ओवैसी के साथी जा सकते हैं भाजपा के साथ।

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यूपी का विधानसभा चुनाव देश की राजनीति में बहुत बड़ी अहमियत रखता है। उत्तर प्रदेश से आने वाली सीटें किसी भी पार्टी के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती रही हैं। यही बहुत बड़ा कारण है कि पिछले क़रीबन साढ़े 4 साल से सत्ता पर काबिज़ भाजपा यूपी में चुनाव हारना नहीं चाहेगी।

अब यूपी से खबर ये आ रही है कि राजभर का भाजपा के साथ गठबंधन हो सकता है ये मुद्दा आजकल चर्चा में है। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि सुभासपा और भाजपा फिर एक बार 2022 में एक साथ चुनावी मैदान में उतर सकती हैं।

पहले सिरे से नकारा था, अब खुद जता रहे हैं संभावनाएं ।

राजभर ने भाजपा के साथ गठबंधन पर सवाल पूछे जाने पर पहले बयान दिया था कि, “यह नगण्य होगा। 2022 में हमारी पार्टी भाजपा को धूल चटा देगी।”मगर भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह से मिलने के बाद राजभर ने अपना बयान बदलते हुए कहा, “यह महज एक शिष्टाचार भेंट है।”

उन्होंने दोबारा से गठबंधन के मुद्दे पर पूछे जाने पर मना नहीं किया। भाजपा प्रदेश उपाध्यक्ष दयाशंकर सिंह ने कहा, “दोनों दल 2022 में एक साथ मिलकर चुनाव लड़ेंगे।”

हाल ही में यूपी के सभी छोटे दलों को एक साथ लाकर ओम प्रकाश राजभर ने “भागीदारी संकल्प मोर्चा” की शुरुआत करी थी। इसी गठबंधन में हैदराबाद के लोकसभा सांसद असदुद्दीन Owaisi भी शामिल हैं।

उन्होंने शुरू से भाजपा का पूर्ण जोर विरोध किया है। भाजपा के खिलाफ एक बयान में उन्होंने महिलाओं को कहा था, “अगर वह वोट मांगने आए तो उन लोगों को चारपाई पर वापस भेजना।”

अगर शर्तें मान ली तो गठबंधन पर विचार होगा- ओपी राजभर

राजभर के मुताबिक वह भाजपा के साथ गठबंधन पर विचार करेंगे। अगर भाजपा आलाकमान उनकी कुछ शर्तें मान लें तो वह जरूर एक बार सोचेंगे।

राजभर की शर्तें है कि,”भाजपा हमारी पिछड़े वर्ग की जातिवार जनगणना, सामाजिक न्याय समिति की रिपोर्ट लागू करने, महिलाओं के लिए 33% आरक्षण, एक समान अनिवार्य और निःशुल्क शिक्षा, घरेलू बिजली का बिल माफी और पिछड़े वर्ग का मुख्यमंत्री बनाने को राजी हो जाए तो सुभासपा गठबंधन पर विचार करेगी।”

यूपी विधानसभा चुनाव देश के लिए है महत्वपूर्ण।

यूपी की विधानसभा सीटें हमेशा से ही देश की राजनीति में बहुत अहम भूमिका निभाती रही हैं। लखनऊ से चुनाव जीतकर अटल जी भारत के प्रधानमंत्री बने थे। मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गुजरात राज्य को छोड़कर यूपी के वाराणसी से चुनाव जीतकर 2014 में प्रधानमंत्री बने और अपने दूसरे टर्म के लिए भी उन्होंने 2019 में यहीं से जीत हासिल की थी।

कांग्रेस में भी यूपी का महत्व है,पहले इंदिरा गांधी रायबरेली सीट से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनी थी। उसके बाद 1984 में राजीव गांधी भी यूपी के अमेठी सीट से चुनाव जीतकर प्रधानमंत्री बनें थे।

मेरे गठबंधन से ओवैसी को भी फायदा – ओपी राजभर

जब राजभर से पूछा गया कि, अगर गठबंधन हुई तो ओवैसी बुरा नहीं मानेंगे?इस पर जवाब देते हुए उन्होंने कहा, “गठबंधन अगर होता है तो इससे यूपी के पिछड़े वर्ग और मुस्लिम समुदाय के लोगों को फायदा होगा। ऐसे में ओवैसी को बुरा नहीं लगना चाहिए।”

वहीं ओवैसी का भाजपा के साथ जाने से पूरी तरह से इनकार कर दिया है, AIMIM के प्रवक्ता आसिम वकार ने (सुभासपा) प्रमुख ओमप्रकाश राजभर (Om Prakash Rajbhar) पर बड़ा बयान दिया है।

वकार ने कहा है कि “हमारी पार्टी के नेता और हमारा अपमान हुआ है. वकार ने स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात को लेकर ओपी राजभर के बारे में काफी भला बुरा कहा है. उन्होंने कहा, अपनी कौम के साथ धोखा नहीं होने देंगे”।