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असम NRC में लिस्ट से बाहर हुए ट्रांसजेंडर्स की याचिका पर सरकार को नोटिस

by Sangam Dubey · January 29, 2020

जब से असम में एन आर सी लागू हुआ है, तब से एन आर सी की पूरी प्रक्रिया विवादों में रही है। असम से पहले ट्रांसजेंडर जस्टिस बरुआ ने राष्ट्रीय नागरिक पंजी की प्रक्रिया में ट्रांसजेंडर्स को कथित रूप से शामिल नहीं करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ता के अनुसार असम में 2000 ट्रांसजेंडर को एन आर सी से बाहर रखा गया है। इसके बाद ही ट्रांसजेंडर जज स्वाति बिधान बरुआ ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इसकी सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 27 जनवरी को केंद्र और असम सरकार को नोटिस जारी किया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में बरुआ ने दावा किया है कि लगभग 2000 ट्रांसजेंडर को एन आर सी में बाहर रखा गया है। 31 अगस्त को जारी की गई एनआरसी की फाइनल लिस्ट में  19 लाख लोगों को बाहर रखा गया है।
स्वाति विधान ने एएनआई(ANI) से बात करते हुए कहा कि ‘ट्रांसजेंडर्स के लिए कोई अलग कैटेगरी नहीं बनाई गई है। एनआरसी के आवेदन में ‘अन्य’ कैटेगरी नहीं दी गयी है। इस वजह से ट्रांसजेंडर को महिला या पुरुष के तौर पर अपनी पहचान अपनाने को कहा गया।

बता दें कि संसद ने पिछले साल 26 नवंबर को ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के अधिकारों का संरक्षण कानून 2019 को मंजूरी दी थी। इस कानून में ट्रांसजेंडर लोगों के साथ किसी भी तरह के भेदभाव पर पाबंदी लगाई गई है और अपना जेंडर निर्धारण करने का अधिकार दिया गया है।
31 अगस्त को जारी एनआरसी की अंतिम सूची में 19 लाख लोगों को अवैध माना गया। इस सूची में तीन करोड़ 29 लाख लोगों ने एनआरसी के लिए आवेदन किया था, जिसमें से तीन करोड़ 11 लाख लोगों को ही वैध माना गया । सूची से बाहर लोगों के पास विदेशी न्यायाधिकरण में अपील करने के लिए 4 महीनों का वक्त दिया गया है। इस पूरी प्रक्रिया में अभी और वक्त लगेगा। इससे  पहले दो चरणों में जारी हुए एनआरसी ड्राफ्ट में 41 लाख लोगों को अवैध घोषित किया गया था, जिसके बाद बाहर हुए लोगों को फिर से आवेदन करने का मौका दिया गया था।

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