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Hathras gangrape: पीड़ित परिवार का जीना हुआ मुश्किल, बाजार जाने की भी नहीं है इज़ाजत

by Sushma Tomar · September 16, 2021

पिछले साल सितंबर के महीने में यूपी के हाथरस में एक 19 वर्षीय लड़की के साथ गैंगरेप (gangrape) का मामला सामने आया था। इस घटना की कवरेज क्षेत्रीय मीडिया से लेकर मेनस्ट्रीम मीडिया (mainstream media) तक ने की थी।

मामले में चार आरोपी पकड़े गए थे, मीडिया ट्रायल भी हुआ था। बहरहाल, हालात ये हैं कि उस समय जो दो केस दर्ज किये गए थे उनकी सुनवाई आज भी अदालतों में चल रही है। साल भर बीत गया है लेकिन अभी तक पीड़ित को दूर-दूर नहीं इंसाफ मिलता नहीं  दिख रहा है। ऐसे में पीड़ित परिवार ने फैसला किया है कि जब तक अदालत से न्याय नहीं मिल जाता तब तक अस्थियां विसर्जित नहीं कि जाएंगी।

“यहां दम घुटता है”- पीड़ित परिवार

इंडियन एक्सप्रेस ( indian express) की खबर के मुताबिक हादसे के बाद से ही हाथरस पीड़िता के परिवार को गांव से दूर कर दिया गया। उन्हें न तो मंदिर जाने की इजाज़त है और न ही गांव के बाजार में जाने की इजाज़त है। 24 घण्टे सीआरपीएफ (crpf) के करीब 35 जवान परिवार के आस-पास रहते हैं। परिवार का कहना है कि गांव से दूर अब दम घुटता है। पीड़िता के भाई और पिता अपनी नौकरी खो चुके हैं। केस के लिए अपने खेतो और भैसों को भी बेच चुके हैं।

पीड़िता के भाई का कहना है, घर मे तीन छोटी लड़कियां है जिनकी सुरक्षा अब चुनौती है। गांव के लोग अपराधियो की तरह व्यवहार करते हैं। पीड़ित परिवार का कहना है कि सीआरपीएफ के जाने के बाद गांव वाले हमला करेंगे।

गांव में एक घर है जो करीब 70-80 साल पुराना है, अब वहां जाना भी मुश्किल लग रहा है। हमारे लिए उस जगह को छोड़ना आसान नहीं है। परिवार का कहना है कि ये लड़ाई सिर्फ बेटी को न्याय दिलाने की नहीं है, ये लड़ाई गांव में फैले सामाजिक अन्याय के खिलाफ भी है।

आनन फानन में हुआ था पीड़िता का अंतिम संस्कार:

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़िता के साथ गैंगरेप को पीड़िता के खेतों में ही अंजाम दिया गया था। परिवार ने पीड़िता को गर्दन और निजी अंगों पर चोट के साथ पाया था। इसके बाद पीड़िता को पहले अलीगढ़ के अस्पताल फ़िर दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल ( safadarajng hospital) में भर्ती कराया गया था। जिसके बाद ग्यारह दिन तक जिंदगी और मौत के बीच झूलने के बाद पीड़िता ने दम तोड़ दिया था। यूपी पुलिस ने शव को गांव लाकर, सुबह साढ़े 3 बजे जबरन पीड़िता का अंतिम संस्कार कर दिया था। इसके बाद से ही पीड़ित परिवार को गांव से दूर चाक चौबंद में रखा गया है।

दो मामलो में दर्ज हुए थे केस:

हाथरस पीड़िता की मौत के बाद दो मामलो में केस दर्ज हुए थे। एक मामला एससी/एसटी एक्ट (sc/st ect.) के तहत और दूसरा जबरन अंतिम संस्कार करने को लेकर दर्ज किया गया था। जिसकी सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad highcourt) और हाथरस के एससी/एसटी कोर्ट में चल रही है।

हाइकोर्ट में ‘जबरन दाह संस्कार’ के मामले पर सुनवाई की जा रही है। बता दें कि अभी तक विशेष जांच दल ने कोई रिपोर्ट पेश नहीं कि है। वहीं रेप और हत्या मामले की सुनवाई एससी/एसटी कोर्ट में चल रही है। इस मामले में चार आरोपी संदीप(20), रवि(35), लवकुश(23) और रामू (26) को हिरासत में लिया गया था।

यूपी सरकार ने पूरा नहीं किया वादा:

पीड़ित परिवार का कहना है, 25 लाख का मुआवजा मिल चुका है, लेकिन यूपी सरकार ने अपने वादे के मुताबिक घर और नौकरी नहीं दी है। परिवार का कहना है कि गांव के तथाकथित उच्च जाति वाले चाहते हैं कि हमारा वकील केस छोड़ दे।

सुनवाई के दिन अदालत जाने के दौरान ये हमारा पीछा करते हैं और धमकाते हैं। ये आरोपियों को बचाने के लिए कुछ भी कर सकते हैं। दूसरी ओर आरोपियों के परिवार का कहना है मीडिया ट्रायल के बाद से उनका जीना दुश्वार हो गया है।

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