क्या आप जानते हैं “अमर जवान ज्योति” का इतिहास ?

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Sushma Tomar

शुक्रवार 21 जनवरी को इंडिया गेट पर 5 दशकों से जल रही अमर जवान ज्योति (amar jawan jyoti) का विलय नेशनल वॉर मैमोरियल (national war memorial)  की अमर ज्योति में कर दिया गया है। इसकी जानकारी एक दिन पहले सेना के अधिकारियों ने दी थी। जिसमे कहा गया था कि शुक्रवार को इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति की लौ को नेशनल वॉर मैमोरियल में शिफ्ट कर दिया जाएगा।

नेशनल वॉर मैमोरियल की बात करें तो ये स्मारक 25 फरवरी 2019 को वर्तमान सरकार में बनवाया गया है। इसमें चार चक्र मौजूद हैं जिनमे अमर चक्र, वीरता चक्र, त्याग चक्र और सुरक्षा चक्र हैं। ये स्मारक इंडिया गेट से 400 मीटर की दूरी पर स्थित हैं। स्मारक पर 25 हज़ार 942 सैनिकों के नाम स्वर्णिम अक्षरों में लिखे गए हैं।

अमर जवान ज्योति को शिफ्ट किये जाने की घोषणा के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, की कुछ लोग देशप्रेम और बलिदान को नहीं समझ सकते। वहीं कांग्रेस के एक और नेता लाल जी देसाई ने इसे शहीदों का अपमान बताया। हालांकि कहा जा रहा है कि इससे सियासत तेज़ हो गयी है।


इंडिया गेट पर लगेगी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा :

इंडिया गेट पर नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा लगने के बाद तस्वीर कुछ यूं होगी। तस्वीर- ट्विटर


अमर जवान ज्योति का युद्ध स्मारक की अमर ज्योति में विलय के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट कर ये जानकारी दी कि, 23 जनवरी 2022 को नेता जी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा का अनावरण इंडिया गेट पर किया जाएगा। बता दें कि 23 जनवरी को नेता जी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा होलोग्राम से प्रदर्शित की जाएगी और बाद में प्रतिमा स्थापित की जाएगी। मालूम हो कि 23 जनवरी को नेता जी सुभाष चंद्र बोस की 125वी जयंती हैं।

गणतंत्र दिवस से पहले अमर जवान ज्योति को किया जा रहा शिफ्ट :

गौरतलब है कि आने वाली 26 जनवरी को भारत 72वां गणतंत्र दिवस मनाएगा। हर साल इस मौके पर इंडिया गेट पर भव्य आयोजन किया जाता है। कई राज्यों समेत सेनाओं की झांकियां निकलती हैं। कार्यक्रम के माध्यम से दूसरे देशों से आए मेहमानों को हमारे देश की एकता, अखंडता और संस्कृति से परिचित कराया जाता है।


महत्वपूर्ण बात ये की कार्यक्रम शुरू होने से पहले देश के प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति जाकर इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति को प्रणाम कर देश के लिए शहीद हुए जवानों की शहादत को याद करते हैं। लेकिन अमर जवान ज्योति को शिफ्ट करने के बाद अब प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति वॉर मैमोरियल जाकर शहीदों को श्रद्धांजलि देंगे और फिर 26 जनवरी के कार्यक्रम शुरू किया जाएगा।

क्यों जलाई गई थी अमर जवान ज्योति:

1919 के प्रथम विश्व युद्ध में भारत के जवान ब्रिटिशों के लिए लड़े थे और शाहिद हुए थे। जवानों की वीरता को सराहते हुए ब्रिटिश काल में इंडिया गेट का निर्माण कराया गया और शिर्ष पर 13 हज़ार 516 जवानों के नाम दर्ज किए गए। इसमें भारतीय और ब्रिटिश दोनों सैनिकों के नाम हैं।

पूर्वी पाकिस्तान पर भारत की विजय के बाद आत्मसमर्पण के कागज़ों पर हस्ताक्षर करते पाकिस्तानी सेना प्रमुख 

साल 1971 में जब भरतीय सेना ने पाकिस्तान के साथ युद्ध में ना केवल पाकिस्तान को धूल चटाई बल्कि पूर्वी पाकिस्तान को अलग कर उसे बंगला देश भी बनाया था। इस युद्ध में सैनिकों की सहादत को याद रखने के लिए तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने इंडिया गेट पर 26 जनवरी 1972 को अमर जवान ज्योति जलाई थी। जो बीते 5 दशकों से लगातार जल रही है।

अमर जवान ज्योति को बुझाया जा रहा है ?

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने सरकार के इस फैसले पर दुख जताते हुए ट्वीट कर कहा, ” बड़ी दुख की बात है हमारे वीर जवानों के लिए जो अमर ज्योति जलती थी उसे बुझा दिया जाएगा। कुछ लोग देशप्रेम और बलिदान नहीं समझ सकते है-कोई बात नहीं। हम अपने जवानों के लिए अमर जवान ज्योति एक बार फिर जलाएंगे।”

कांग्रेस नेता लालजी देसाई ने भी ट्वीट कर कहा, “इंडिया गेट पर प्रज्वलित अमर जवान ज्योति को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक में विलय करना अत्यंत दुखद है। ये उन वीर शहीदों का अपमान है जो 1971 के भारत-पाक युद्ध में वीरगति को प्रपात हुए थे।”

नेशनल वॉर मैमोरियल का उद्घाटन करते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( तस्वीर ANI)

अशोक कुमार पांडेय ने कहा, “1971 की ऐतिहासिक जीत के बाद बनी अमर जवान ज्योति बुझा दी गई। कितना डर है इन्हें इतिहास से। कितनी भयावह ईर्ष्या है अपने ही इतिहास से कि विजय के प्रतीक नष्ट किए जा रहे हैं। ये नहीं जानते कि एकदिन यही इतिहास इन पर थूकेगा।” हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं जा रहा है, उसे युद्ध स्मारक की अमर ज्योति में विलय किया जा रहा है।

ये शाश्वत ज्वाला का विलय है :

इस मौके पर कई लोगो ने अपनी सहमति ट्विटर पर सांझा की हैं। रिटायर्ड आर्मी जनरल संतीश दुआ ने ट्वीट कर कहा, “मुझे खुशी है कि इंडिया गेट पर जल रही अमर जवान ज्योति की शाश्वत( अमर) को राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की अमर ज्योति में मिलाया जा रहा है। इंडिया गेट प्रथम विश्व युद्ध में शहीद हुए सैनिकों का स्मारक है। अमर जवान ज्योति को 1972 में जोड़ा गया। नेशनल वॉर मैमोरियल स्वतंत्रता के बाद शाहिद हुए जवानों को श्रद्धांजलि देता है। सभी श्रदांजलि समारोह को पहले ही नेशनल वॉर मैमोरियल में स्थानांतरित किया जा चुका है।”

नेशनल वॉर मैमोरियल में अमर जवान ज्योति का विलय (तस्वीर : ज़ी मीडिया)

1971 के युद्ध में थल सेना प्रमुख रहे लेफ्टिनेंट जनरल जेबीएस यादव ने समाचार एजेंसी ANI को कहा, “ये 1947 के बाद शाहिद हुए जवानों को उचित सम्मान होगा”
वहीं अखिलेश शर्मा ने सूत्रों के हवाले से ट्वीट कर कहा कि, ” अमर जवान ज्योति को बुझाया नहीं जा रहा बल्कि, उसे समर स्मारक में मिलाया जा रहा है। सात दशक बाद देश के शहीद जवानों के लिए कोई स्मारक बना है जिसमे 1971 के युद्ध के साथ साथ सभी युद्धों में शहीद जवानों का नाम अंकित हैं।”