0

क्या है संघ का सोशलमीडिया विरोधी विचार

Share
Avatar

राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ(आरएसएस) का अब तक का सबसे विशाल समागम ‘राष्ट्रोदय’ रविवार को मेरठ में हुआ तीन लाख से अधिक स्वयंसेवक इस समागम का हिस्सा बने। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने अपने पिछले भाषणों व बयानों की तरह ही यहाँ ही कट्टर हिन्दू होने की परिभाषा समझाने की कोशिश की। 35 फ़ीट ऊंचे मंच से संबोधन में भागवत ने कहा कि पंथ कोई भी हो,भगवान कोई भी हो,भारतमाता को अपनी माँ मानने वाला हिन्दू है। देश मे कुछ लोग हिन्दू है लेकिन वो जानते नहीं कि वे हिन्दू है। उन्हें जागरूक करना होगा। भागवत ने यह भी कहा कि जो व्यक्ति भारतीय पूर्वजो का वंशज है वह हिन्दू ही है।
मोहन भागवत का इशारा मुस्लिमो की तरफ ही था ऐसे ही कई प्रकार के बयानों को लेकर वह पहले भी चर्चाओं में रहे है, कुछ ही समय पहले हिन्दुओ को लेकर उन्हीने कहा था कि सभी हिन्दुओ को एक स्थान पर रहना चाहिए,एक जगह का पानी पीना चाहिए व एक प्रकार से सबक अंतिम संस्कर होना चाहिए।

फिर वही तीखे बोल

भागवत राष्ट्रीय एकता, देशप्रेम, भाईचारा जैसे शब्दों के पीछे अपने भाषण की कड़वाहट को छुपाने को पूरी कोशिश करते है लेकिन उनकी भावनायें कही न कहीं भली प्रकार से व्यक्त हो ही जाती है। भागवत के बयानों में न सिर्फ हिंदुत्व बल्कि महिलायें भी कभी कभी निशाने पर आ जाती है मोहन भागवत का मानना है कि रेप जैसी घटनाएं गांव से ज्यादा शहरों में घटती है जिसका कारण है महिलओं का घर से बाहर जाकर नोकरी करना, हिन्दू धर्म मे पति पत्नी के संबंधों को समझाते हुए वह कहते है कि पत्नी को घर के भीतर रहकर ही  पतिधर्म निभाते हुए पति की सेवा करनी चाहिए।
संघ प्रमुख के विवादास्पद बयानों की सूची लंबी है हर मुद्दे, हर क्षेत्र को हिंदुत्व के तराजू पर तोलकर पेश करने की उनकी आदत समय समय पर ख्याति दिलाने का काम ही करती है।

सोशल मीडिया निशाने पर

रविवार को स्वयंसेवको को  भगवा प्रवचनो से मोहित करते हुए उन्होंने सोशल मीडिया की भी जमकर आलोचना की। संघ प्रमुख ने संघ प्रचारकों को हिदायत दी कि वह ई-मेल को छोड़कर बाकी किसी भी तरह के सोशल मीडिया से दूरी बनाएं। मोहन भागवत ने कहा कि सोशल मीडिया से गलत जानकारी मिलती है व यह बहुत समय बर्बाद भी करती है।
भागवत के अनुसार आपस मे जानकारी साझा करने के लिए या प्रचार विभाग के लोग सोशल मीडिया के जरिये जानकारी देते है तो वह व्हाट्सएप का प्रयोग कर सकते है लेकिन संघ प्रचारकों को व्यक्तिगत तौर पर सोशल मीडिया का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए और यह भाषण देते समय भागवत को संघ के फेसबुक पेज पर पांच हजार लोग लाइव देख रहे थे।
भले ही भागवत ने प्रचारकों को सोशल मीडिया से दूर रहने को कहा हो लेकिन संघ अपने विचारो को लोगो तक पहुचाने के लिए जमकर सोशल मीडिया का प्रयोग कर रहा है। रविवार को मेरठ में जो कार्यक्रम हुआ उसके प्रचार के लिए भी सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल किया गया। पूरा कार्यक्रम संघ के पेज से लाइव दिखाया गया। इस पेज पर पच्चीस हजार प्रतिक्रियाएँ आई ,11500 कमैंट्स आये व 11000 लोगो ने इसे शेयर किया।
इतना ही नही संघ का ऑफिसियल ट्विटर हैंडल भी है व जल्द ही ‘गाथा’ नाम से एक एप शुरू करने की भी तैयारी की जा रही है, जो संघ के इतिहास की जानकारी देगा।
संघ कई स्थानों पर ई वर्चुअल शाखा भी चला रहा है संघ में जिस तरह सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल होता है उसे देखकर तो लगता है कि भागवत के सोशल मीडिया से दूर रहने वाले ये शब्द भाषणों में ही सिमटकर रहने वाले है।

अंग्रेजी से दूरी

मोहन भागवत ने संघ चालको व पदाधिकारियों को अपने बच्चो को अंग्रेजी मीडियम स्कूल में नहीं पढ़ाने की हिदायत दी है उन्होंने कहा कि ‘ दुनिया भर में ऐसे कई सर्वे हुए है जिससे साबित हुआ है कि अपनी मातृभाषा में पढ़े बच्चे ही आगे जाकर बुद्धिमान बनते है। यह सवाल उठने पर की शिशु मंदिरो में ( संघ स्कूलों में ) भी इंग्लिश मीडियम में पढ़ाने के लिए पेरेंट्स दबाव बना रहे है  भागवत ने कहा कि ‘ हम किसी के दबाव में नहीं आना  चाहिए हमे भारतीय शिक्षा प्रणाली के अनुसार ही उनको पढ़ना होगा।