Share

आदिवासियों का मध्यप्रदेश की राजनीति में क्या रोल है ?

by Md Zakariya khan · March 17, 2018

मध्यप्रदेश में लगभग 23 प्रतिशत आबादी आदिवासियों की है, पर विडंबना देखिये कि आज तक मध्यप्रदेश में किसी भी राजनीतिक पार्टी ने एक भी आदिवासी मुख्यमंत्री इस प्रदेश को नहीं दिए हैं. ज्ञात होकि मध्यप्रदेश के महाकौशल क्षेत्र (जबलपुर संभाग) और मालवा क्षेत्र (इंदौर एवं उज्जैन संभाग) में बड़ी आबादी आदिवासियों की निवास करती है. महाकौशल क्षेत्र के तो शासक आदिवासी ही रहे हैं, राजा रघुनाथ सिंह का नाम आपने सुना होगा.
जबलपुर का मदन महल हो या मंडला से लेकर बालाघाट, सिवनी, छिंदवाड़ा, शहडोल अनूपपुर आदि. ये क्षेत्र आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र हैं. एक और विडंबना ये रही कि इन क्षेत्र से कोई गैरआदिवासी भी मुख्यमंत्री नहीं बन सका. अब सवाल ये उठता है, कि क्या ज़रूरी है कि आदिवासी मुख्यमंत्री बनाया जाए. तो फिर सवाल तो ये भी उठता है, कि क्या ज़रूरी है कि आप उनसे वोट माँगने जाएँ. सत्ता और शासन की हिस्सेदारी से ही आदिवासियों का कायाकल्प होगा, क्योंकि जब सत्ता होगी तो वो बेहतर निर्णय ले सकते हैं.
हर राजनीतिक पार्टी के पास फ़िलहाल कोई न कोई आदिवासी नेतृत्व मौजूद है, पर क्या वो राजनीतिक रूप से आदिवासियों के मुद्दों को उठाने का कार्य विधानसभाओं में करते हैं. आज आदिवासियों को उनके आरक्षण पर कोसने वाले बहुत मिलेंगे, पर क्या आपने कभी आदिवासी क्षेत्रों में जाकर जायज़ा लिया. बिलकुल नहीं लिया, पर आपकोतो भाषण देना है.
आदिवासी भोले होते, दिल के सच्चे होते हैं. इसलिये आप उन्हें कुछ भी कह जाते हैं. संसद से लेकर विधानसभा तक हर पार्टी के आदिवासी नेता पार्टी की विचारधाराओं के आगे दबकर मुख्य समस्यों को उठाने पर जोर देते दिखाई नहीं देते, आखिर क्यों?
आदिवासियों का नेतृत्व करने वाले तरह -तरह राजनीतिक संगठन भी मार्केट में मौजूद हैं. पर क्या वह आदिवासियों की समस्याओं का निवारण कर पा रहे हैं. सवाल बहुत हैं, पर इस बीच एक राय भी है.
दरअसल कुछ दिन पूर्व क्षेत्र के ही एक वरिष्ठ आदिवासी नेता से मुलाक़ात हुई, मैं उनकी बात से बिलकुल इत्तेफ़ाक रखता हूँ. उन्होंने कहा कि आदिवासियों के उत्थान के लिए यदि विधानसभा और लोकसभा में आरक्षित सीटों से चुनकर जाने वाले हर दल के आदिवासी नेता आवाज़ उठाने लगें. तो मोहन भागवत जैसे लोगों की हिम्मत नहीं होगी, कि वो आरक्षण को ख़त्म करने की बात करे.
अब आते हैं, पोईन्ट पर – मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव बेहद नज़दीक हैं. आदिवासियों के पास वोट मांगने के लिए तरह-तरह के ढोंग राजनीतिक पार्टियों की तरफ़ से किये जायेंगे. आप वोट किसी को भी दो, पर एक बार ज़रा ठोक बजाकर चैक कर लेना, कि किसने आपके उत्थान के लिए वास्तव में काम किया है. और कौन है जो आपका बंटाढार करना चाहता है. अंत में एक बात और , अपना वोट बर्बाद मत करना.

Browse

You may also like