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फ़िरसे महंगा होगा पेट्रोल डीज़ल, जानिये क्यों ?

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OPEC देशों ने वियना में गुरुवार को एक मीटिंग आयोजित की. इस बैठक में तेल उत्पादन में कटौती को 2018 के अंत तक जारी रखने का फैसला लिया गया. ‘इकोनोमिस टाइम्स’  की रिपोर्ट के अनुसार इस कदम का उद्देश्य लगातार गिर रही क्रूड ऑइल की कीमतों पर लगम लगाना है. अब हो सकता है कि सप्लाई-डिमांड फोर्मुले से क्रूड ऑइल की कीमतें आने वाले समय में बढ़ जाए. क्रूड ऑयल के कीमतों में तेजी से भारत में भी पेट्रोल और डीजल की कीमतों पर इसका असर देखने को मिल सकता है.

फाइल फोटो

क्या हुआ बैठक में

वियना में आयोजित इस बैठक में ओपेक और नॉन-ओपेक देशों की बैठक थी. नॉन-ओपेक देशों की अगुवाई रूस कर रहा था.  रूस और ओपेक देशों ने इस पैक्ट पर मोहर लगा दी. रूस के उर्जा मंत्री ने कहा की ‘इस पैक्ट से बाजार को कड़ा सन्देश मिला है’. ज्ञात रहे की सऊदी अरेबिया और रूस तेल के उत्पादन में पहला और दूसरा स्थान रखते है. इस बैठक  में लीबिया और नाइजीरिया ने पहली बार प्रोडक्शन लिमिट को स्वीकार किया है. और इस प्रॉडक्शन कट करने की डील में अमेरिका शामिल नहीं है.

क्या है ओपेक?

ओपेक यानी तेल निर्यातक देशों का संगठन (Organization of the Petroleum Exporting Countrie). इसमें एशिया, अफ्रीका तथा दक्षिण अमेरिका के प्रमुख तेल उत्पादक व निर्यातक देश शामिल हैं.  जिनकी दुनिया के कुल कच्चे तेल में लगभग 77 प्रतिशत की हिस्सेदारी है. संगठन की स्थापना हुई 14 सितंबर 1960 में इराक की राजधानी बगदाद में तथा छह नवंबर 1962 को संयुक्त राष्ट्र ने पंजीकृत किया. ओपेक का सचिवालय पहले जिनोवा में था जिसे बाद में वियना कर दिया गया है.
ओपेक के पांच संस्‍थापक देशों में ईरान, इराक, कुवैत, सउदी अरब व वेनेजुएला थे. कतर, लीबिया, संयुक्‍त अरब अमीरात, अल्‍जीरिया, नाइजीरिया, इक्‍वाडोर, गेबोन, अंगोला और इक्वाडोर गुइएना अन्य सदस्य  है