कोंग्रेस के बिना विपक्षी राजनीति संभव नहीं है ?

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लोकतांत्रिक देश मे जितनी महत्ता चुनी हुई सरकार की होती है, उतनी ही महत्ता विपक्ष की भी होती है। भारत की वर्तमान राजनीति में विपक्ष कमज़ोर है, और टुकड़ों में बिखरा हुआ है। वहीं सबसे बड़ा सवाल ये है कि विपक्ष का नेतृत्व कौंन करेगा।

वर्तमान में BJP सत्ता में है और विपक्ष के चेहरे के तौर पर congress सबसे बड़ी पार्टी है। लेकिन कुछ नेता अब congress को विपक्षी नेतृत्व और सबसे बड़ी पार्टी होने से इंकार कर रहे हैं। वहीं UPA की प्रासंगिकता को भी खत्म करने की कोशिश की जा रही हैं।

“अब कोई UPA नहीं है” : ममता बनर्जी

बुधवार 1 दिसंबर को तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष (TMC) ममता बैनर्जी मुंबई के दौरे पर गयी थी। उन्होंने वहां NCP प्रमुख शरद पवार (sharad pawar) से मुलाकात की और विपक्ष के चेहरे के लिए नया नेतृत्व चुनने के लिए एक कदम उठाया। उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा, की अब कोई UPA ( संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) नहीं है।

image : TV9

TMC लगातार कोंग्रेस में सेंध लगा रही है। बता दें कि, बंगाल में बड़ी जीत और BJP को धुल चाटने के बाद अब TMC गोवा और त्रिपुरा में बड़े स्तर पर कैम्पेन चला रही है। गोवा में कोंग्रेस के वरिष्ठ नेता लुइजिन्हों फ्लोरिया ने कोंग्रेस दामन छोड़ TMC का दामन थाम लिया है। वहीं मेघालय में भी कोंग्रेस के 12 से 17 विधायक TMC जॉइन कर चुके हैं।

कोंग्रेस के बिना विपक्ष संभव नहीं : NCP और शिवसेना

Mamta banarji के UPA को नकारने के बाद शिवसेना ने कहा, की बिना कोंग्रेस एक सशक्त विपक्ष नहीं हो सकता। शिवसेना के मुखपत्र सामना में इस पर खुल कर बात की गई हैं। वहीं NCP की तरफ से भी यही बयान सामने आया है। NCP नेता नवाब मलिक (navab Malik) ने कहा, की कोंग्रेस के बिना एक मजबूत विपक्ष नहीं हो सकता, सभी दलों को एक साथ आना चाहिए।

शिवसेना (shivsena) का कहना है, की कोंग्रेस के बिना राजनीति सम्भव नहीं है। बीते 10 सालों में कोंग्रेस का पिछड़ना चिंताजनक है, लेकिन ये भी उतना ही सच है की वर्तमान में कोंग्रेस से दूरी फाफिस्ट राज को मज़बूत करेगी। आगे कहा कि, कोंग्रेस के बिना विपक्ष की राजनीति कभी पूरी हो ही नहीं सकती, विपक्ष में कोंग्रेस को दूर करने का मंसूबा घातक हो सकता है।

विपक्ष के रूप में कोंग्रेस पर उठ रहे हैं सवाल :

TMC के राजनीतिक सलाहकार प्रशांत किशोर (Prashant kishore ) लगातार कोंग्रेस पर हमलावर हैं। उन्होंने विपक्ष के तौर पर कोंग्रेस की क्षमता पर भी सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा की, जो पार्टी बीते 10 सालों में 90 फीसदी चुनाव हार चुकी है उसे विपक्ष के नेतृत्व का चुनाव भी लोकतांत्रिक तरीके से होने देना चाहिए। प्रशांत किशोर कोंग्रेस और BJP में राजनीतिक सलाहकार रह चुके है, वहीं पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनावों में वो सुर्खियों में आए थे।



कोंग्रेस पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा, कोंग्रेस में किसी को नेतृत्व का व्यक्तिगत अधिकार नहीं है। एक ट्वीट करते हुए प्रशांत किशोर ने लिखा थ, ” कोंग्रेस जिस विचार और स्थान का प्रतिनिधित्व करती है, वो एक मज़बूत विपक्ष के लिए काफ़ी अहम है, लेकिन इन मामले में कोंग्रेस नेतृत्व का व्यक्तिगत तौर पर किसी को दैवीय अधिकार नहीं है। वो भी तब, जब पार्टी पिछले 10 सालों में 90 प्रतिशत चुनाव हारी हो। वह विपक्ष के नेतृत्व का फैसला लोकतांत्रिक तरीके से होने दें।”