Nargis Dutt : हिंदी सिनेमा की वो अदाकारा जिसे कहा जाता था फर्स्ट लेडी

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हिंदी सिनेमा में अपनी अदाओं और एक्टिंग से और करोड़ों लोगों के दिलों पर राज करने वालीं नरगिस को कौन नहीं जानता, आज की युवा पीढ़ी भी उनकी अदाकारी की कायल है। 1 जून 1929 को उपनिवेशिक भारत की बंगाल प्रेसिडेंसी के कलकत्‍ता में जन्मी नरगिस की पर्सनल और प्रोफेशनल लाइफ हमेशा से ही सुर्ख़ियों में रही है। आज नरगिस के जन्मदिन पर आइए जानते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ ऐसी बातें (Unknown Facts about Nargis Dutt), जिन्हें शायद ही आप जानते होंगे:

सिनेमा जगत की जानी-मानी गायिका थीं नरगिस की मां

अपने समय में बॉलीवुड पर राज करने वाली नरगिस दत्त कि मां जद्दनबाई भी सिनेमा में जानी-मानी गायिका थीं। नरगिस के पिता मोहन चन्‍द उत्‍तम चन्‍द या मोहन बाबू भी सिनेमा जगत से से ही ताल्लुक रखते थे। नरगिस के पिता ने बाद में इस्लाम धर्म अपना लिया जिसके बाद उन्हें अब्दुल राशिद के नाम से जाना गया।‌ अमूमन कई लेखक और कलाकार अपने नाम असली नाम को बदल कर दूसरा नाम रख लेते हैं उसी तरह नरगिस का भी असली नाम फातिमा रशीद था। नरगिस एक फारसी भाषा का शब्द है जिसका मतलब डैफिडिलो फूल होता है।

6 साल की उम्र में किया था फिल्म डेब्यू

नरगिस ने 1935 में आई फिल्‍म तलाश-ए-हक में मात्र 6 साल की उम्र में ने फिल्मी दुनिया में अपना पहला कदम रखा था। लेकिन आपको ये जानकर काफी हैरानी होगी कि न सिर्फ चाइल्ड आर्टिस्ट के तौर पर उन्होंने बहुत छोटी उम्र में काम किया, बल्कि बतौर महबूब खान की फिल्म ‘तकदीर’ में नरगिस ने महज 14 साल की उम्र में काम किया। मुख्य हिरोइन के रूप में भी मात्र 14 साल की उम्र ‘तकदीर’ में में नजर आई थीं। लेकिन एक पूर्ण अभिनेत्री के रूप में वह साल 1942 में आई फिल्‍म तमन्‍ना से फिल्‍मों में अपना आगाज़ किया।

फिल्मों जगत में नरगिस को कहा जाता था फर्स्ट लेडी

नरगिस दत्त बॉलीवुड सिनेमा की पहली ऐसी अभिनेत्री थी, जिन्हें फिल्मों की फर्स्ट लेडी कहा जाता था, इसकी वजह ये थी कि कई मुख्य खिताब अपने नाम करने वाली वो पहली महिला अदाकारा थीं, नरगिस ऐसी पहली अभिनेत्री थीं जिन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ‘पद्मश्री’ से नवाजा गया। केवल इतना ही नहीं, ऑस्कर में विदेशी भाषाओं की कैटेगरी में शामिल होने वाली पहली फिल्म भी नरगिस की मदर इंडिया थी। पहली बार ऐसी बड़ी उपलब्धियां हासिल करने के बाद भी उनके नाम के आगे फर्स्ट लेडी ऑफ पार्लियामेंट फ्रोम हिंदी सिनेमा भी जुड़ा, मतलब कि नरगिस पहली ऐसी महिला अभिनेत्री थीं जो सांसद बनी, 1980 में पहली बार में वह संसद बनीं, लेकिन उसके एक वर्ष के बाद ही

1970 के दशक की शुरुआत में नरगिस दत्त ‘द स्पास्टिक सोसाइटी ऑफ इंडिया’ की पहली संरक्षक बनीं और इसके साथ काम करते हुए उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी अपनी पहचान बनाईं। उन्होंने अभिनेत्री से सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता से 1980 में संसद भवन तक का सफर तय किया। यह सफर नरगिस के लिए बहुत आसान नहीं था। 1981 में कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई, उनका निधन बॉलीवुड के लिए महान क्षति थी।नरगिस दत्त बॉलीवुड सिनेमा की पहली ऐसी अभिनेत्री थी, जिन्हें फिल्मों की फर्स्ट लेडी कहा जाता था, इसकी वजह ये थी कि कई मुख्य खिताब अपने नाम करने वाली वो पहली महिला अदाकारा थीं, नरगिस ऐसी पहली अभिनेत्री थीं जिन्हें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार ‘पद्मश्री’ से नवाजा गया। केवल इतना ही नहीं, ऑस्कर में विदेशी भाषाओं की कैटेगरी में शामिल होने वाली पहली फिल्म भी नरगिस की मदर इंडिया थी। पहली बार ऐसी बड़ी उपलब्धियां हासिल करने के बाद भी उनके नाम के आगे फर्स्ट लेडी ऑफ पार्लियामेंट फ्रोम हिंदी सिनेमा भी जुड़ा, मतलब कि नरगिस पहली ऐसी महिला अभिनेत्री थीं जो सांसद बनी।

1970 के दशक की शुरुआत में नरगिस दत्त ‘द स्पास्टिक सोसाइटी ऑफ इंडिया’ की पहली संरक्षक बनीं और इसके साथ काम करते हुए उन्होंने एक सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में भी अपनी पहचान बनाईं। उन्होंने अभिनेत्री से सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता से 1980 में संसद भवन तक का सफर तय किया। यह सफर नरगिस के लिए बिल्कुल आसान नहीं था। 1981 में कैंसर से उनकी मृत्यु हो गई, उनका निधन बॉलीवुड के लिए महान क्षति थी।