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मोदी सरकार का नया कारनामा : लीजिए प्रीपेड बिजली

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भारत में विद्युत की मांग 6 साल के निचले स्तर पर हैं, देश की जितनी भी बड़ी पॉवर कंपनियां है वह लगातार घाटे में जा रही है। अब भला मोदी सरकार बड़े पूंजीपतियों के नुकसान होते भला कैसे देख सकती है। इसलिए मोदी सरकार ने पावर सेक्टर की स्थिति सुधारने के लिए देश के हर घर और कारोबारी संस्थानों में स्मार्ट मीटर लगवाने की योजना बनाई है। इस मीटर की सबसे बड़ी खासियत यह हैं, कि यह प्रीपेड मीटर हैं यानी जैसे आप कि अपने मोबाइल को या टाटा स्काई, डिश टीवी को रिचार्ज करवाते हो। वैसे ही अब आपको अपने घर की बिजली को जलाने के लिए पहले बेलेंस डलवाना होगा।
इस योजना के तहत आपको अपना बिजली मीटर प्री-पेड करवाना ही पड़ेगा। न कहने का कोई ऑप्शन नही है और पुराने मीटर को जारी रख पाने की कोई गुंजाइश भी नही है। केंद्रीय बिजली मंत्री आर.के. सिंह कह रहे हैं, कि देश में कोई भी मीटर पोस्ट पेड नहीं रह जाएगा। हर एक मीटर बदले जाएंगे चाहे वे मीटर बिल्कुल सही काम कर रहे हों, जैसे ही बैलेंस खत्म होने को आयेगा, उपभोक्ता के पास मैसेज आने लगेंगे वैसे प्री-पेड मीटर को फोन से भी रिचार्ज कराने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
देश भर में बिजली के मीटर को प्री-पेड करने का काम शुरू हो गया है। तीन साल में देश के हर घर का मीटर प्री-पेड हो जाएगा, देश में सभी बिजली मीटर के प्री-पेड होने के बाद बिजली वितरण कंपनियों (डिस्कॉम) की लागत कम हो जाएगी। मीटर रीडिंग का झमेला खत्म हो जाएगा। अभी डिस्कॉम को मीटर रीडिंग के लिए स्टॉफ रखना होता है, जो घर-घर जाकर मीटर रीडिंग का काम करता है। मीटर में छेड़छाड़ को रोकने एवं उसकी चेकिंग के लिए अलग से टीम गठित करना पड़ता है। बिजली काटने के लिए स्टॉफ भेजना पड़ता है। प्री-पेड होने के बाद यह सब झंझट समाप्त हो जाएगा।
यह तो हुई सरकारी बात। अब समझना यह है, कि यह काम आखिर किया क्यो जा रहा है। दरअसल रिजर्व बैंक के डेटा के मुताबिक, भारतीय बैंकों ने पावर सेक्टर को अप्रैल के अंत तक 5.19 लाख करोड़ रुपये का कर्ज दिया हुआ था। आरबीआई ने फरवरी 2018 में बैंकों को निर्देश दिया था, कि वे स्ट्रेस्ड लोन के मामलों को डिफॉल्ट के 180 दिनों के अंदर सुलझाएं। आरबीआई ने कहा था कि अगर ऐसा नहीं किया जाता है, तो कंपनी को लोन रिजॉल्यूशन के लिए नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्यूनल (एनसीएलटी) ले जाना होगा। यह फैसला 2,000 करोड़ से अधिक के सभी लोन के लिए था। लेकिन इलाहाबाद हाईकोर्ट ने पावर सेक्टर में एनपीए के सर्कुलर पर रोक लगा दी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले के बाद विलफुल डिफॉल्टर को छोड़ किसी भी पावर कंपनी पर कार्रवाई नहीं हो पाई।
बाद में रिजर्व बैंक ने भी इस सर्कुलर से बड़ी कंपनियों को छूट देने की बात कर दी, लेकिन पॉवर कंपनियों की हालत बद से बदतर होती ही जा रही है। अब सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के हवाले से कहा जा रहा है, कि सरकार बिना बैंक गारंटी जब्त किए पावर कंपनियों द्वारा कोयला आपूर्ति सरेंडर करने की अनुमति देने पर विचार कर रही है।
स्पष्ट है कि निजी पॉवर कंपनियों की हालत गंभीर है, और उन्ही को सपोर्ट करने के लिए यह स्मार्ट प्रीपेड मीटर की योजना लाई जा रही है। ताकि उपभोक्ता से पहले पैसा वसूला जाए और बाद में उसे बिजली दी जाए।