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जब मौलाना आजाद ने किया कांग्रेस के बिगड़ते मिजाज़ का अपनी किताब में ज़िक्र

by Team TH · March 25, 2017

यह उन दिनों की बात है जब मिस्टर नरीमन को सरदार पटेल की चालबाजी ने मुंबई का मुख्यमंत्री होने से रोक दिया था और एक अल्पसंख्यक होने के नाते मिस्टर नरीमन को अपना सब कुछ गवाना पड़ा और एक उभरता हुआ राजनेता सरदार पटेल की वजह से डूब गया अब आते हैं ऐसे ही एक कारनामें पर बिहार में किया कांग्रेसियों बिहार में सुबे के चुनाव हो चुके थे कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और बिहार में कांग्रेस के सबसे बड़े नेता डॉक्टर सैयद महमूद थे वह ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के एक जनरल सिक्रेट्री भी और बिहार में उनको अच्छी खासी मकबूलियत हासिल थी इस लिए वजीर-ए-आला की कुर्सी पर उनका पहला हक था और लोगों को उम्मीद भी यही थी कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी डॉक्टर सैयद महमूद को ही बिहार का वजीर-ए-आला बनाएगी लेकिन यहां भी मिस्टर नरिमन के जैसी घटना ने फिर जन्म लिया, और हुआ यह की श्री कृष्ण सिंहा और अनूग्रह नरायण सिंहा जो मरकजी असेम्बली के मेम्बर थे उंन्हें वापस बिहार बुलाया गया और बिहार के वज़ीर आला के लिए तैय्यार किया जाने लगा, डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद ने बिहार में वही रोल अदा किया जो मुम्बई में सरदार पटेल ने किया था मिस्टर नरीमन को वजीर आला की कुर्सी से दूर रखने के लिए, बिहार और मुम्बई में बस यही फर्क था कि जब होकूमत तशकील दी गयी तो डॉक्टर सैय्यद महमूद को भी काबीना में जगह दे दी गयी, इन दो वाक्यात ने उसे जमाने में एक सवाल खड़ा करदिया और बदमज़गी पैदा करदी, मैं जब पीछे मुड़कर देखता हूँ तो यह महसूस किये बग़ैर नहीं रह सकता हुँ की काँग्रेस जिन मक़ासिद कि दावेदार थी उन पर अमल पैरा नहीं हो सकी, और बहुत ही अफ़सोस के साथ यह तस्लीम करना पड़ता है की काँग्रेस की फौकीयत उस दर्जे तक नहीं पहुँच सकी थी, जहाँ फिरका वाराना मसलेहतों को वह नज़र अंदाज़ कर सकती और अक्सरियत या अकलियत के सवालों में उलझे बग़ैर सिर्फ अहलियत काबिलियत जहनियत की बुनियाद पर कर सकती.
आज़ादी-ए-हिंद (एडवांस फ्रीडम)- मौलाना अबुल कलाम आज़ाद

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