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क्या सेना से माफ़ी मांगेंगे भागवत और संघ ?

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जम्मू के आर्मी कैंप में हुए आतंकवादी हमले पर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने एक बड़ा और बेतुका बयान दिया है. अपने इस बयान में भागवत ने कहा है कि उनके पास भले ही मिलिट्री संगठन ना हो लेकिन अगर देश को कभी जरूरत पड़ी तो उनके स्वंयसेवक सेना से पहले ही 3 दिन में तैयार हो जाएंगे.
क्या कहा भागवत ने?
बिहार के मुजफ्फरनगर जिले में आरएसएस के एक समारोह के दौरान भागवत ने कहा कि राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ कोई सैन्य संगठन नहीं है, लेकिन हमारे पास सेना जैसा अनुशासन है. यदि देश की आवश्यकता है और देश का संविधान इजाजत देता है तो आएसएस सीमा पर शत्रुओं के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है.
फिर दी ये बेतुकी सफाई 
भागवत के इस बयान से काफी विवाद खड़ा हो गया जिसके बाद आरएसएस की तरफ से बयान को लेकर सफाई दी गई है। आरएसएस द्वारा दी गई सफाई में कहा गया है कि ‘मोहन भागवत ने सेना से संघ की तुलना नहीं की है, बल्कि ये कहा कि आम लोगों को सैनिक बनाने में छह महीने लगते हैं. अगर सेना ट्रेनिंग दे तो तीन दिन में स्वयंसेवक सैनिक बन जाएगा.’
विपक्ष ने उठाये सवाल


आम आदमी पार्टी के संजय सिंह ने कहा – संघ प्रमुख मोहन भागवत द्वारा दिये गए बयान में कहा गया है कि हमारे पास भले ही मिलिट्री ना हो लेकिन हमारे संघ के लोगों को अनुसान सेना की तरह ही दिया जाता है। अगर कभी जरूरत पड़ती है और हमारा संविधान और कानून इजाजत देता है तो हमारे संघ के लोग सेना से भी पहले ही 3 दिन में तैयार हो जाएंगे.


 
हमारी राय: मोहन भागवत की सेना की प्रशिक्षण को लेकर चिंता जायज हो सकती है, पर उसके लिए वो आरएसएस के कार्यकर्ता और सेना की तुलना कर सेना के योगदान को छोटा ना करें और कुछ इतिहास भी पढ़ें ताकि इन्हीं कार्यकर्ताओं का आजादी में योगदान को ना भूलें।