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इज़राईल विरोधी कंटेंट पर सेंसरशिप, अभिव्यक्ति की आज़ादी पर हमला

by Syed Asif Ali · September 18, 2018

अभिव्यक्ति का खुला मंच सोशल मीडिया अब इतना खुला नहीं रहा, इस पर सेंसरशिप, डाटा चोरी, निगरानी और नकेल लगाने जैसे हथकंडे अपनाये जाने लगे हैं।
15 सितम्बर को अपने आधिकारिक ट्वीटर हैंडल से विकीलीक्स ने एक वीडियो ट्वीट कर बड़ा खुलासा किया है कि इज़राईल ने पूरी दुनिया में सोशल साइट्स पर इज़राइल विरोधी कंटेंट पर नज़र रखने के लिए तेलअवीव में कमांड सेंटर स्थापित कर दिया है।
विकीलिक्स ने दो मिनट का वीडियो ट्वीट कर बताया है कि इस्राईल ने ट्विटर और फेसबुक जैसे समस्त सोशल साइटों पर निगरानी रखने के लिए तेलअवीव में एक कार्यालय स्थापित कर दिया है। सूत्रों के अनुसार यह कार्यालय इज़राइल विरोधी दृष्टिकोणों पर नज़र रखेगा और उनसे मुकाबला करेगा।
विकीलिक्स ने रहस्योदघाटन किया है कि जब भी यूज़र्स इस्राईल विरोधी पोस्ट्स करेंगे तो इसकी खबर अल्गोरिद्म जैसे सॉफ्टवेयर और की-वर्ड्स के ज़रिये उस यूज़र्स के शहर और देश के नाम सहित कमांड सेंटर तक पहुंच जायेगी।
यह एसी स्थिति में है जब फेसबुक से डाटा लीक होने पर हंगामा हुआ था, और उसके बाद ज़ुकरबर्ग ने आशंका जताई थी कि दुनिया में 8 करोड़ 70 लाख यूज़र्स को जानकारियों के सार्वजनिक हो जाने का ख़तरा है और इनमें से बहुत से यूज़र्स यूरोप से बाहर रहते हैं और उनमें से ध्यान योग्य संख्या विकासशील देशों में रहती है।
इसके साथ ही ज़ुकरबर्ग ने भविष्य में यूज़र्स की निजता और डाटा की सुरक्षा के लिए कई क़दम उठाने के वादे किये थे। मगर इज़राईल के इस क़दम से विश्व का करोड़ों यूज़र्स आवेश में हैं, और इस तरह की हरकत की निंदा कर रहे हैं, उनका कहना है कि इज़राइल का ये क़दम अभिव्यक्ति की आज़ादी पर निगरानी और सेंसरशिप लगाने जैसी तानाशाही हरकत है।

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