नज़रिया – इंसानी खून की कोई कीमत नहीं, क्या आप राक्षस बन चुके हैं ?

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मुझे पता है यह जो मैं लिखने जा रहा हूँ, उससे आप कन्नी काटकर चुपचाप निकल जाएँगे । मेरे लफ़्ज़ आपके गिरेहबान तक तो जाएँगे चाहे मैं खुद को रोकना भले ही जितना चाहूँ । तेलंगाना में अभी कुछ रोज़ पहले एक लड़के को मार दिया गया क्योंकि उसने प्रेम किया था । उसकी पत्नी और माँ किसी के भी सामने मारा जाए या छिपा कर मारा जाए,हालात तो दोनों ही भयानक हैं । लड़के लड़की की हँसती हुई तस्वीर के बगल में गर्दन से टपकते ख़ून की तस्वीर ने बहुतों को परेशान कर डाला । मैं अपनी बात बता दूँ की मुझे अब ख़ून विचलित नही करता,लाश को चाहे जितना उधेड़ दिया गया हो,मुझे असर नही होता क्योंकि अपने समाज के अंदर जीवित राक्षसी प्रव्रत्ति को हमने स्वीकार कर लिया है ।
एक बार सोचियेगा की आपने अपने किसी को कभी अपनी ज़िन्दगी जीने भी दी है । आप खाना तय करते हैं, पहनना तय करते हैं, देखना तय करते हैं, बोलना तय करते हैं, रिश्ता तय करते हैं, नेता तय करते हैं, विचार तय करते हैं, विषय तय करते हैं । इसके विपरीत अगर कुछ भी हुआ तो आपकी भावनाएँ चकनाचूर हो जाती हैं।
आप अजीब मक्कार लोग हैं, जो पूजते जैसा हैं, वैसे होना नही चाहते ।पड़ोस के घर में तो मोहम्मद साहब जैसा चरित्रवान लड़का चाहिए मगर अपना बच्चा बाहुबली,अनाप शनाप तरह ख़ूब कमाऊ दबंग लड़का ही चाहिए । फ़िल्मो में मार खाकर भी हीरो के हाथ में हीरोइन देख आप खुश होते हैं मगर घर में इश्क़ पर ज़बरदस्त पहरा ।
लड़के की हत्या के बाद चीख़ती हुई वह पाँच महीने की गर्भवती लड़की हो सकता है आपको रुला दे ।हो सकता है आप फौरी तौर पर उसपर अफसोस करें मगर क्या आप अपने बच्चे को यह आज़ादी दे पाएँगे ।जो बड़े दिल के प्रगतिशील लोग हैं वह भी आज लड़के लड़की के प्रेम भले बर्दाश्त करलें मगर लड़के लड़के के इश्क़ से भौ तन जाएँगी ।
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एक नज़र ज़रा इसपर भी डाल लें की जिस बाप ने अपनी बेटी की माँग उजाड़ी है, उसने भला क्यों किया ।समाज के डर से,समाज की बेइज़्ज़ती से,समाज के तिरस्कार से,अब यह तो जानते ही होंगे की समाज हम और आप हैं मंगल ग्रह के लोग नही ।हमने आपने ऐसा माहौल बना रखा है जिसमे प्रेम ख़ून के आँसू रोए । हम आप हैं, जिन्होंने धरती को प्रेम से ऊसर बनाने का ठेका ले रखा है ।
ईश्वर भी हम पर थूकता होगा की क्या इंसान उससे बन गए । ईश्वर के सबसे प्रिय “प्रेम”को ही इंसान ने ज़हर बना दिया । वह लड़की और लड़का जिसे आपने धर्म की नज़र से देखा,जाति के चश्मे से देखा और फिर मार डाला, उसमे हर उसका हाथ है जिसके दिल में धर्म और जाति का अलगाव है ।
प्रेम पर पहरा बिठाकर हम असभ्य समाज की पहली पँक्ति में खड़े सबसे बड़े मूर्ख हैं ।हर वह समाज सड़ा हुआ है जो प्रेम को बर्दाश्त नही कर सकता,हर वह समाज सभ्य है जो प्रेम को सींचता है ।
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हम भूल रहे थे यहाँ प्रेम को लव जेहाद का नारा देकर हत्या को पुण्य कहने वाली एक भीड़ है।हम तो फ़िल्मो में भी नही चाहते की दो धर्मो के बीच प्रेम करने वाले हीरो हीरोइन हो ।हम तो दो धर्मो के प्रेमी जोड़ों को हिकारत की नज़र से देखने वाले औंधी बुद्धि वाले लोग हैं, बताओ हम हत्या करें न तो क्या करें ।
प्रेम,त्याग और अहिँसा का ताबीज़ लेकर आज़ाद हुआ देश सत्तर साल बाद नफ़रत,दिखावा और हिँसा की डोर पकड़ अब अपने ही बच्चों के गले उतारने लगा है । मैं उन बच्चों की मुस्कुराती तस्वीर देखता हूँ । लगता है कान्हा इन्ही के होंटो पर मुस्कुरा रहें हैं फिर तुम्हारी उस नफ़रत को देखता हूँ जिसमे लड़के की गर्दन पर ऐसा घाव है जैसे कोई आदमखोर मुँह मारकर गया हो । इतने सबके बावजूद मैं अपनी हत्या तक इस बात पर कायम रहूँगा की जिसके हृदय में प्रेम है, ईश्वर वहीं हैं । जो प्रेम से नफ़रत करता है, वह राक्षस है ।
एक बार अपने दिल में झाँकना और खुद को देखना की कहीं तुम भी प्रेम के दरोग़ा तो नही हो ।हर वह व्यक्ति प्रेम पर बैठा दरोग़ा है जो किसी को भी अपनी जाति, धर्म,लिंग,रँग,क्षेत्र,विचार के साथ ही प्रेम की छूट देना चाहता है ।हर वह हत्यारा है जो प्रेम को केवल अपने मानको पर तौलना चाहता है ।मैं उम्मीद करता हूँ की जिन्हें वाक़ई अफसोस है, वह अपने दिलों की गिरह खोलें,हर एक के लिए खोलें…यही उस प्रेम में शहीद प्रणय को श्रधांजलि होगी ।