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क्या किसानों की समस्याएं और बेरोज़गारी, हरियाणा और महाराष्ट्र में मुद्दा नहीं है ?

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राहुल कोटियाल एक स्वतंत्र पत्रकार हैं, जो आपण ग्राउन्ड रिपोर्टिंग को कलमबद्ध करने के अनोखे अंदाज के लिए जाने जाते हैं।

दो राज्यों में चुनाव हो रहे हैं. इनमें से एक राज्य किसान आत्महत्याओं के मामले में टॉप पर है तो दूसरा बेरोज़गारी दर के मामले में सर्वोच्च स्थान बना चुका है।
महाराष्ट्र में किसान आत्महत्या की दर पूरे देश में सबसे ज़्यादा है। जबकि हरियाणा इन दिनों बेरोज़गारी दर के नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। जहाँ देश में औसत बेरोज़गारी दर 8.4 प्रतिशत है वहीं हरियाणा में ये दर 28.7 प्रतिशत तक जा पहुँची है। यानी राष्ट्रीय औसत से तीन गुना ऊपर।
दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकार है, ऐसे में चुनाव से ठीक पहले भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष, जो देश के गृह मंत्री भी हैं, एक इंटर्व्यू देते हैं। इस इंटर्व्यू में वो किसानों और बेरोज़गारों पर बात नहीं करते बल्कि एनआरसी पर बात करते हैं। वो कहते हैं कि हम पूरे देश में एनआरसी लागू करेंगे और उससे पहले एक नागरिकता संशोधन बिल लेकर आएँगे।
इस बिल के अनुसार देश में रह रहे हिंदू, सिख, बौध, जैन और ईसाई लोगों को नागरिकता मिलेगी। फिर चाहे वो जहाँ से भी और जैसे भी देश में दाखिल हुए हों, उन्हें भारतीय नागरिकता दी जाएगी जबकि ‘घुसपैठियों’ को देश से निकाला जाएगा।
इस बयान से गृह मंत्री/भाजपा अध्यक्ष अमित शाह का सीधा आशय था कि मुसलमानों के अलावा सबको भारतीय नागरिकता दी जाएगी। ये बयान उन्होंने इस इंटर्व्यू में कई-कई बार दोहराया, अलग-अलग तरीक़ों से दोहराया।
बस, चुनावों का नैरटिव सेट हो गया। किसानों की आत्महत्याएँ और युवाओं की बेरोज़गारी जैसे मुद्दे हवा हो गए और चर्चा वहीं आ गई जहाँ भाजपा अध्यक्ष इसे लाना चाहते थे। हार्ड वर्क से खोदा गया गड्ढा अब तैयार है मित्रों, आओ मिलकर कूद पड़ें। आपस में ही लड़ मरें।