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कैब और एनआरसी भारत को जिन्ना का पाकिस्तान बना देगा: नागरिकता बचाओ आंदोलन

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लखनऊ 9 दिसंबर: उत्तरप्रदेश के ग़ैरभाजपा संगठनों का साझा आंदोलन “नागरिकता बचाओ आंदोलन” के बैनर पर गांधी प्रतिमा, हज़रतगंज लखनऊ में नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 (CAB) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) पर एक विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था।
इस विरोध प्रदर्शन के दौरान प्रो. रमेश दीक्षित ने कहा कि धर्मनिरपेक्षता संविधान की मूल संरचना है। सीएबी संविधान के इस दर्शन का उल्लंघन करता है। साथ ही यह विधेयक संविधान के अनुच्छेद 14 का भी उल्लंघन करता है। वहीं प्रो. अली खान महमूदाबाद ने कहा कि CAB न केवल अवैध है, बल्कि यह अनैतिक भी है। सीएबी के संबंध में उन्होंने कहा- कैब संविधान की हत्या और ‘भारत के विचार’ की हत्या है।
इसके पश्चात अब्दुल हफीज गांधी ने बोलते हुए कहा – कि भारत में धर्म कभी भी नागरिकता का आधार नहीं रहा है। उन्होंने आगे कहा कि सीएबी और एनआरसी एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। दोनों का हमारे देश और संविधान की आत्मा को बचाने के लिए विरोध किया जाना चाहिए।

इस धरने को संबोधित करते हुए – डॉ. पवन राव अंबेडकर ने सीएबी पर बोलते हुए कहा कि बाबासाहेब भीमराव अंबेडकर ने कभी भी इस स्थिति की कल्पना नहीं की, जहां सरकार भारतीय संविधान के बहुलतावादी मूल्यों के खिलाफ काम करेगी। उन्होंने कहा कि लोगों को सीएबी और एनआरसी का बहिष्कार करने के लिए खुलकर सामने आना चाहिए।
प्रदर्शन के दौरान बोलते हुए अमीक जामई ने कहा – कि सीएबी संविधान विरोधी है। उन्होंने यह भी कहा कि लोगों को वर्तमान सरकार के संवैधानिक विरोधी कदमों का खुलकर विरोध करना चाहिए। सपा प्रवक्ता जामई ने कहा कि सीएबी और एनआरसी के बारे में जागरूकता पैदा करना जरूरी है। असली मुद्दों से लोगों का ध्यान हटाने के लिए सरकार यह सब कर रही है। यह सरकार हमेशा सांप्रदायिक विभाजन पैदा करती है।

कांग्रेस प्रवक्ता सदफ़ जाफ़र ने कहा कि मैं अपना कोई भी दस्ताबेज़ प्रस्तुत नहीं करूंगी।  सीएबी के खिलाफ एक सविनय अवज्ञा आंदोलन का आह्वान करूंगी क्योंकि यह सामाजिक और संवैधानिक दोनों मूल्यों को नष्ट करने के लिए है। महिला अधिकार कार्यकर्ता ताहिरा हसन ने कहा कि यह किस तरह का बिल है, जहां एक समुदाय अलग-थलग है। क्या यह संविधान पर हमला नहीं है? यह अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है। हम सबसे बड़े लोकतंत्र हैं, जो संविधान के अनुसार चलता है। जिसके अनुसार देश का प्रत्येक नागरिक कानून के समक्ष समान है, इसलिए संविधान और मानवता की रक्षा के लिए एकजुट होकर लड़े  सीएबी न केवल भेदभावपूर्ण है, बल्कि अपरिपक्व भी है।
सामाजिक कार्यकर्ता ओवैस सुल्तान खान ने कहा, कि NRC पूरी तरह से एक निरर्थक प्रयास है। जैसा कि असम के मामले में साबित हुआ। जब यह सत्तारूढ़ पार्टी के अनुरूप नहीं था, तो उसने घोषणा की कि वे एनआरसी को स्वीकार नहीं करेंगे। पूरे अभ्यास पर बहुत पैसा खर्च किया गया। लेकिन परिणाम शून्य है। धरने को  संबोधित करते हुए सुहैब अंसारी ने कहा कि इस बिल को किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाना चाहिए। यह देश सभी का है। विधेयक हमारे संवैधानिक मूल्यों पर हमला है। समानता हमारा मौलिक अधिकार है। धर्म के आधार पर भेदभाव असंवैधानिक है।
एएमयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष डॉ. मशकूर अहमद उस्मानी ने कहा कि सीएबी पूरी तरह से असंवैधानिक है। यह संविधान की मूल संरचना का उल्लंघन करता है। यह संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 का भी उल्लंघन है जो सभी को यह अधिकार देता है कि किसी को भी धर्म, आयु, लिंग आदि के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाएगा।
डॉ. सबीहा फातमा ने कहा कि CAB का एकमात्र उद्देश्य भारत के मुसलमानों को दरकिनार करना प्रतीत होता है और मैं इसका कड़ा विरोध करती हूँ। नाहीद अकील, सामाजिक कार्यकर्ता, ने कहा इस देश का दूसरा विभाजन नहीं होने देंगे। हम इस देश के संस्थापक हैं और हम एक बार फिर बलिदान देंगे। CAB और NRC स्वीकार्य नहीं है। अब्दुल हन्नान ने कहा कि CAB और NRC देश की अखंडता और धर्मनिरपेक्षता पर हमला है। हम इसे किसी सूरत में बर्दास्त नहीं करेंगे और इसके खिलाफ अपने आंदोलन को गति देते रहेंगे।
बीते कल जनसंगठनों की साझा बैठक मे जिसकी अध्यक्षता प्रो रूपरेखा वर्मा, प्रो रमेश दिक्षित व चचा अमीर हैदर ने तय किया यह आंदोलन  “नागरिकता बचाओ आंदोलन” के नाम से चलेगा और यह तहरीक नागरिकता संशोधन विधेयक, 2019 (CAB) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ यूपी भर जनता को तैयार करेगी, सदारत कर रहे व वर्किग ग्रुप ने अब्दुल हफीज गॉधी, अतहर हुसैन व अमीक जामेई को बतौर कंवीनर चुना गया।