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आप कैसे कह सकते हैं, कि कोई विरोध न हो

by Asad Shaikh · September 20, 2017

केसे विरोध न हो…
कैसे कोई विरोध न हो,विरोध करता हूँ आपका,आपकी राजनीति का, तो क्या आप टेढ़ी आंखों से देखेंगे मुझे?
लेकिन क्यों क्या आप विरोध को खत्म कर देना चाहते है? क्या आप “विपक्ष” को खत्म कर देना चाहते हो?
अगर विरोध ही न होगा तो फिर कैसे समाज मे “मार्क्स” पैदा होगा? फिर केसे समाज में “लेनिन” होगा? कैसे?
वही मार्क्स ,वही लेनिन जो अकेले ‘व्यवस्था’ से लड़ते थे,
अकेले “समाज”बदलते थे, वो भी “विरोध” से,बताइये
या आप “विरोध” को भूल गए हो? ‘लोहिया’ को भूल गए हो? जो “जेपी” को भूल गए,क्या जवाब दोगे उन्हें आप?
उनसे जो सड़क को “संसद” के लिए दवा बताते थे,
सड़क से संसद का मुकाबला करते थे? बताइये
की आपने उनके सिद्धान्तों का गला घोंटा था,आपने विरोध करने वाले को कोसा था,अपने विरोध को कोंसा था।
आपने विरोध लिखने वाले को घूरा था,आपने विरोध बोलने वाले को दुश्मन समझा था,बताइये है जवाब?
क्या जवाब देंगे आप “अटल” को जो देश को ही बचाना चाहते थे,किसी भी पार्टी को नही,क्या उनसे कहेंगे आपको विरोधी पसन्द नही है?
कैसे कहेंगे आप? हर एक विरोधी से,विरोध करने की मनाही है,कैसे आप विरोध करने वाले,विपक्ष में रहने वालों को भूल जाएंगे?
कैसे? नही भूल सकतें है आप,क्योंकि “विरोध” ,” विपक्ष” लोकतंत्र को ज़िंदा रखते है,आप कैसे कह सकतें है कि कोई विरोध न हो,कैसे? कैसे?
#वंदे_ईश्वरम

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