शाहीन बाग की दादी ने टाइम मैगजीन में जगह बनाई है, वे दुनिया के सौ प्रभावशाली (100 influential people of world ) लोगों की सूची में शामिल हुई हैं। जनता के ताकत की यही सुंदरता है कि वह हारकर भी जीत जाती है, दादी जिस कानून के खिलाफ धरने पर बैठी थीं, वह अभी बना हुआ है, लेकिन दुनिया यह जान गई है कि भारत लोकतंत्र के रास्ते पर जिस गति से आगे बढ़ा था, उसी गति से पीछे जा रहा है।
पत्रिका ने लिखा है, “नरेंद्र मोदी ने इस सबको संदेह के घेरे में ला दिया है। हालांकि, भारत में अभी तक के लगभग सारे प्रधानमंत्री 80% हिंदू आबादी से आए हैं, लेकिन मोदी अकेले हैं जिन्होंने ऐसे सरकार चलाई जैसे उन्हें किसी और की परवाह ही नहीं। उनकी हिंदू-राष्ट्रवादी भारतीय जनता पार्टी ने ना केवल कुलीनता को ख़ारिज किया बल्कि बहुलवाद को भी नकारा, ख़ासतौर पर मुसलमानों को निशाना बनाकर, महामारी उसके लिए असंतोष को दबाने का साधन बन गया। और दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र और गहरे अंधेरे में चला गया है।”
कभी दुनिया इस बात के लिए भारत की तारीफ करती थी कि एक देश अंग्रेजों के चंगुल से आजाद हुआ और दुनिया का सबसे सफल लोकतंत्र बना। आपातकाल और उसके बाद तक कई बार दार्शनिक लोग कहते रहे कि ‘भारत में इतनी विविधता है कि ये एक देश के रूप में बना नहीं रह सकता, ये ढह जाएगा’। लेकिन आजादी के पहले से ही नेहरू कह रहे थे कि भारत की विविधता ही भारत की खूबी है और भारत ने इसे सच साबित करके दिखाया।
आज भारत दुनिया भर में बदनामी झेल रहा है, कभी हमारे प्रधानमंत्री को ‘डिवाइडर इन चीफ’ लिखा जाता है, कभी लिखा जाता है कि “दुनिया का सबसे जीवंत लोकतंत्र और गहरे अंधेरे में चला गया है।” धर्म के आधार पर नागरिकता देने का कानून पास करने वाले देश की तारीफ भी कौन करेगा?
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