प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से बाड़मेर जिले के पचपदरा में प्रस्तावित रिफाईनरी का दोबारा शिलान्यास नहीं करने का अनुरोध करते हुए राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने आज कहा कि चुनावी लाभ पाने के लिए दोबारा शिलान्यास करवाने की परंपरा गलत बताया.
उन्होंने कहा है कि राजस्थान की तस्वीर व तकदीर बदल देने वाली रिफाइनरी परियोजना का शिलान्यास सोनिया गांधी ने चार वर्ष पूर्व किया था और अब भाजपा सरकार द्वारा फिर से शिलान्यास कराने के लिए प्रधानमंत्री को बुलाया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है.
वहीं पूर्व मुख्यमंत्री गहलोत ने प्रधानमंत्री मोदी को 12 अगस्त 2017 और 05 जनवरी को पत्र लिखकर अवगत कराया था कि-
- रिफाइनरी का शिलान्यास 22 सितम्बर 2013 को ही किया जा चुका है.
- इसके बावजूद शिलान्यास किया जाना स्वस्थ लोकतांत्रिक परंपरा के अनुकूल नहीं है.
- मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की हठधर्मिता के कारण चार साल बर्बाद हो गए.
- रिफाइनरी समय से शुरू हो जाती तो अब तक पूर्ण हो जाती और अच्छा होता कि अब प्रधानमंत्री मोदी इस परियोजना का उद्घाटन करने आते.
- इस परियोजना को मुख्यमंत्री द्वारा इसलिए लटकाया गया था कि कांग्रेस को श्रेय नहीं मिल पाए.
- देरी के कारण राजस्थान के हजारों युवाओं को रोजगार से वंचित होना पड़ा
- और राजस्थान सरकार को इससे राजस्व के रूप में भारी हानि हुई.
- उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री प्रदेशवासियों को इस रिफाइनरी में चालीस हजार करोड़ रुपये की बचत का झूठा राग अलाप कर भ्रमित करने का प्रयास कर रही हैं.
- उन्होंने कहा कि चार साल में रिफाइनरी की लागत में छह हजार करोड़ रुपये की वृद्धि हुई है.
शिलान्यास के समय पर उठ रहे सवाल –
राजस्थान में 2 लोकसभा, 1 राज्य विधानसभा सीट के लिए चुनावी घोषणा के साथ आचार संहिता लागू हो जाने के बावजूद रिफाईनरी का शिलान्यास क्या आचार संहिता का उल्लंघन नहीं है? क्योंकि रिफाईनरी एक जिले/क्षेत्र विशेष के लिए नहीं है,यह सम्पूर्ण राज्य को प्रभावित करने वाली महत्वाकांक्षी परियोजना है