पीरियड्स पर फैली मिथ्या का सच जानकर आप हैरान रह जाएंगे ।

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पीरियड्स ( periods) । इसे मासिक धर्म और mensturation भी कहते है। ये महिलाओ के शरीर में एक नार्मल साइकिल होती है जो हर महीने लाहभग 28 दिनों तक चलती है। 28 दिनों के बाद पीरियड्स शुरू होते हैं जो एक हफ्ते तक रेगुलर होते हैं। लेकिन किसी किसी में ये 5 या 6 दिन भी हो सकते है, क्योंकि ये साइकिल पर डिपेंड होता है। इसमें महिलाओं को ब्लीडिंग होती है। इस वक्त वैजाइना के आस पास और पेट में दर्द होता है, पेट में गैस भी हो जाती है।

इस दौरान अक्सर महिलाएं घुटने पेट मे दबाकर दर्द सहन करने की कोशिश करती है लेकिन इस पर खुल कर बात नहीं करती। पीरियड्स में सेनेटरी नैपकिन यूज़ किये जाते है जो ज़्यादातर मार्किट से काली पन्नी में छिपा कर लाए जाते हैं। कुछ महिलाएं आज भी कपड़ा यूज़ करती है, जो सही नहीं है। ऐसा सिर्फ इसलिए है क्योंकि न सिर्फ वीमेन बल्कि कोई भी इस मुद्दे पर खुल कर बात नहीं करता। क्योंकि लोग इस पर झिझकते है और शर्म महसूस करते है। इसीलिए पीरियड्स पर फैले मिथ पर भी आंखे मूंद कर विश्वास कर लिया जाता है।

क्यों होते है पीरियड्स :

महिलाओ के शरीर में हर महीने एक अंडा बनता है जो ओवरीज़ में बनता है और मैच्योर भी यही होता है। इसके बाद यूट्रीन ट्यूब के ज़रिए यूट्रेस यानी गर्भाशय में जाता है। इस प्रक्रिया को ovelation कहा जाता है। गर्भाशय में अगर उसे स्पर्म मिल जाता है तो ये फर्टिलाइज करता है और प्रेग्नेंसी की तैयारी करता है। गर्भाशय में अंडे के लिये छोटी छोटी और मुलायम कोशिकाएं बनती है जो प्रेंग्नेंसी में मददगार साबित होती हैं।

                         Photo : google

लेकिन अगर अंडे को स्पर्म नही मिलता तो ये कोशिकाएं और अंडा किसी काम का नहीं रह जाता। इसीलिए इन कोशिकाओं और उस फर्टिलाइज नहीं हुए अंडे को बाहर निकालना पड़ जाता है। यही हर महीने होने वाली ब्लीडिंग यानी पीरियड्स है। लेकिन अगर सैक्स के बाद अंडा फर्टिलाइज हो जाता है (शुक्राणु से क्रिया कर लेता है) तो ये अंडा यूट्रेस (गर्भशय) की दीवारों पर जाकर चिपक जाता है। इसके बाद पीरियड्स नहीं होते।


पीरियड्स के दौरान शरीर मे क्या होता है :

पीरियड्स के दौरान शरीर में दर्द, आलास और चिड़चिड़ापन जैसी चीज़े होने लगती हैं। किसी को तो बहुत रोने का मन भी होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि इस समय हमारे शरीर में चार हॉरमोन ऊपर नीचे होते हैं। इसमें ऑस्ट्रोजन ( oestrogen), प्रोजेस्टेरोन (progesterone), लुटिनीसिंग हार्मोन (luteinising Harmon), फॉलिकल स्टिमुलटिंग हार्मोन (follicle stimulating Harmon). है।

दरअसल, होता है ये है कि जब अंडा ओवरी को छोड़ कर यूट्रेस में जाता है तो oestrogen harmon की मात्रा अचानक बढ़ जाती है, इससे महिलाएं एनर्जेटिक महसूस करती है। यही हार्मोन है जो यूट्रेस में नई कोशिकाएं बनाता है। अंडे के ओवरी से निकलने के बाद progesterone की मात्रा भी बढ़ जाती है ये इस बात का ख़याल रखता है कि यूट्रेस में बनी कोशिकाएं सुरक्षित रहे।

                       Photo : youtube

वही oestrogen को बताता है कि अब टिशू बनाना बन्द करो। luteinising Harmon यानी LH वो हार्मोन है जो अंडे को ओवरी से धक्का देकर यूट्रेस में लाता है। वहीं follicle stimulating Harmon( FSH) जब देखता है कि ओवरी से अंडा निकल चुका है तो ये नया अंडा बनाने लगता है।


पीरियड्स में आने वाला खून गंदा होता है ?

पीरियड्स पर एक मिथ है कि पीरियड्स के दौरान शरीर से निकलने वाला खून गंदा होता है। लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है DW हिंदी के मुताबिक पीरियड्स में जो ब्लीडिंग होती है उसमें वो टिशू होते जो प्रेगनेंसी में मदद के लिए ओस्ट्रोजेन हार्मोन बनाता है। इसके साथ वो अंडा भी होता है जो फर्टिलाइज नहीं हुआ होता है। इसलिए अगर आप भी ये सोचते हैं कि ये गंदा खून होता है तो अपने मन से इस बात को निकाल दीजिए।

पीरियड्स के दौरान सैक्स करना सेफ है ?

बहुत से लोग सोचते हैं कि पीरियड्स के दौरान सैक्स करना सेफ नहीं है। इससे इंफेक्शन हो जाता है। लेकिन गाइनकॉलजिस्ट लाइया वॉल्स पेरेज DW हिंदी में बताती हैं कि पीरियड्स के दौरान सैक्स मुमकिन है, बल्कि कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान ज़्यादा सुख की अनुभूति होती है।

पीरियड्स में सैक्स करने के बाद पुरुषों को इंफेक्शन हो सकता है इसलिए बेहतर है कि वो कॉन्डम यूज़ किया करें। हालांकि, इंफेक्शन बिना पीरियड्स के भी हो सकता है। ये सभी मिथ तभी टूटेंगे जब पीरियड्स पर खुल कर बात होगी, इसलिए किसी को भी इस पर बात करने में शर्म महसूस करने की ज़रूरत नहीं होनी चाहिए ।