ओवैसी ने “माफिया” अतीक़ को टिकट क्यों दिया है?

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Asad Shaikh

असदुद्दीन ओवैसी यूपी विधानसभा चुनाव की तैयारियां पूरी ताकत और मेहनत से करते हुए नज़र आ रहे हैं। यूपी की अलग अलग सीटों पर चुनावी जनसभा कर चुके असदुद्दीन ओवैसी आज प्रयागराज में थे। इससे पहले भी वो संभल,मुरादाबाद से लेकर गाज़ीपुर के क्षेत्र में जनसभाएं कर चुके हैं।

आज ओवैसी प्रयागराज(इलाहाबाद) में थे जहां वो जेल में बंद और “माफिया” घोषित हो चुके अतीक़ अहमद के घर गए थे। जिसके बाद चारों तरफ सिर्फ ओवैसी ही कि चर्चाएं चल रही थी। इसी बीच उन्होंने बड़ी घोषणा करते हुए इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा सीट से अतीक़ अहमद को अपना उम्मीदवार भी घोषित कर दिया।

क्या है इसके पीछे की राजनीति?

दरअसल असदुद्दीन ओवेसी बिहार की तर्ज़ पर ही यूपी में भी बहुत समझदारी से राजनीतिक दांव चल रहे हैं जहां वो अपना बिहार वाला फॉर्मूला अपना रहे हैं। ओवैसी ने बिहार में जिस शख्स को अपना प्रदेश अध्यक्ष बनाया था वो वहां पूर्व विधायक रह चुके थे और उन्हें ज़मीनी समझ भी थी।

इसी तरह वहां जब टिकट वितरण की बारी आई थी तब भी ओवैसी ने बहुत बारीकी के साथ अपनी पार्टी के उम्मीदवार घोषित किये थे। जिसके बाद का रिजल्ट सभी ने देखा ही है। ओवैसी यूपी में भी यही कर रहे हैं। उन्होंने जिस अतीक़ अहमद को इलाहाबाद पश्चिमी विधानसभा से उम्मीदवार बनाया है वो वहां से पांच बार विधायक रहने वाले शख्स का नाम है ।

इसके अलावा अतीक़ अहमद 2004 के लोकसभा चुनावों में फूलपुर लोकसभा से चुनकर संसद में गए थे। 2012 के विधानसभा चुनाव अतीक़ अहमद ने जेल से लड़ा था जहां वो 62 हज़ार वोट लेकर दूसरे नम्बर पर आए थे।

असदुद्दीन ओवैसी उनके इसी वोट को केश कराना चाहते हैं। जहां अतीक़ अहमद वाला वोट और ओवैसी वाला वोट मिलकर उन्हें ये सीट जिताना चाहते हैं। कुछ दिनों पहले ही अतीक़ अहमद की बीवी को पार्टी जॉइन कराने के कुछ ही दिनों बाद ओवैसी ने अतीक़ को उम्मीदवार बनाते हुए बहुत बड़ा दांव खेल दिया है।

क्या हो सकता है परिणाम?

जिस तरह से असदुद्दीन ओवेसी अतीक़ के लिए प्रचार कर रहे हैं ऐसे में ये कहना गलत नहीं होगा कि ओवैसी चाहते हैं कि अतीक़ चुनाव लड़ें लेकिन 17 साल पहले चुनाव जीतने वाले और गुजरात की जेल में बंद अतीक़ अहमद के लिए ये सब इतना आसान नहीं होने वाला है। क्योंकि अभी बाकी पार्टियों के पत्ते खुलना अभी बाकी हैं।

लेकिन बहरहाल ओवैसी ने अपना दांव चल दिया है और ये कहना बिल्कुल भी गलत नहीं होगा कि उनका ये दांव राजनीतिक तौर पर बहुत बड़ा दांव होने वाला है। जिसमें उनकी पार्टी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा लेने की तरफ एक और कदम ज़रूर बढ़ा देगी।