मुख्य रेलमार्गों के आसपास ही क्यों बन रहे हैं अडानी एग्री. के गोदाम ?

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मोदी सरकार का हर कदम अडानी अम्बानी जैसे बड़े पूंजीपतियों के हितों की सुरक्षा के लिए उठाया जाता है। लेकिन नाम उसे विकास का दिया जाता है सुधारो का दिया जाता है, खेती किसानी को अडानी एग्री जैसी बड़ी कंपनी के हाथों में सौंपने का खाका सरकार ने बहुत पहले ही तैयार कर रखा था। नतीजा यह है कि अडानी भारत में एग्रीकल्चर से जुड़े बिजनेस का सबसे बड़ा खिलाड़ी बन चुका है।

अडानी ग्रुप खाद्य तेलों ओर दालों के बिजनेस का पहले ही बेताज बादशाह बन चुका है। 2016 में तो भारतीय जनता पार्टी के व्यापार प्रकोष्ठ के राष्ट्रीय संयोजक ओर भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्यामबिहारी मिश्र जो चार बार के सांसद रह चुके हैं, उन्होंने स्वयं सार्वजनिक मंच पर खुले शब्दों में आरोप लगाया था कि अरहर की दाल के महंगे होने का अडानी को आयात लाइसेंस प्रदान कर देने से सीधा संबंध है।

अडानी को कृषि के क्षेत्र में खड़ा करने में मोदी सरकार का सबसे बड़ा हाथ रहा है। कल आयी जनसत्ता की रिपोर्ट बताती है, कि बीते पांच साल में अडानी की एग्री लॉजिस्टिक बिजनेस से जुड़ी 21 कंपनियां आस्तित्व में आई है, ये सभी कंपनियां अडानी एग्री लॉजिस्टिक नेटवर्क की हैं। कमाल की बात यह है कि ये सभी कंपनियां गुजरात में रजिस्टर्ड हुई हैं। ओर ये भटिंडा, बरनाला, देवास, होशंगाबाद, कन्नौज, मनसा, मोगा, कटिहार, दरभंगा, समस्तीपुर सतना, उज्जैन जैसे छोटे छोटे शहरों के लिए बनाई गयी हैं।

अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड कंपनी देश भर में भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के साथ ओर अपनी अन्य जरूरतों को पूरा करने के लिए देश भर में आधुनिक गोदामो का एक नेटवर्क खड़ा कर रही है। इसके लिए अडानी समूह देश भर में रेलवे ट्रैक के नजदीक जमीन खरीद रहा है।

अगर आप उपरोक्त शहरों की पोजिशन देखे तो ज्यादातर शहर देश के मुख्य रेलमार्ग पर स्थित है। हरियाणा के पानीपत के नौल्था गांव में अडानी ग्रुप पिछले तीन सालो से जमीन खरीद रहा है। अडानी एग्री लॉजिस्टिक्स लिमिटेड यहाँ 100 एकड़ भूमि पर वेयरहाउस बना रहा है, यह जमीन भी रेलवे ट्रैक के बेहद नजदीक ही है।

दरअसल मोदी सरकार अडानी के लिए एक विशेष ट्रेन चलाने जा रही हैं, जिसे किसान रेल कहा जा रहा है। अब पूरे देश में विशेष ट्रेनों के माध्यम से फसलों ओर फल सब्जियों की ढुलाई का काम होगा। दरअसल खाद्यान्न ओर फल सब्जियों की ढुलाई ट्रकों की अपेक्षा ट्रेन से ज्यादा सस्ती पड़ती है इसलिए यह कदम उठाया जा रहा है 7 अगस्त 2020 से किसान रेल का परिचालन शुरू भी हो गया है, पहली किसान रेल महाराष्ट्र के देवलाली से बिहार के दानापुर के बीच चलाई गई है।

किसान रेल की स्कीम भी दरअसल PPP मॉडल पर आधारित है, भारतीय रेलवे की योजना भविष्य में 98 रेफ्रिजरेटर रेल कंटेनर खरीदने की है। ताकि उससे फल सब्जियों की ढुलाई की जाए यह मॉडल PPP यानी पब्लिक प्राइवेट साझेदारी के आधार पर ही बनाया गया है। रेलवे की योजना एक एग्रीकल्चर लॉजिस्टिक सेंटर बनाने की है। अब यदि देश भर में लॉजिस्टिक सेंटर यदि अडानी बना रहा है तो रेलवे की इस परियोजना में भी वही शामिल होगा। दरअसल मोदी सरकार देश कर पूरे संसाधनों को अडानी ओर अम्बानी को सौप देने पर आमादा है, अफसोस की बात यह है लोग यह सब देखकर भी अनजान बनने का नाटक कर रहे हैं।