अच्छा, तो हम ऐसे विश्वगुरु बनेंगे ?

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कर्नाटक के एक हनुमान मंदिर के सामने कुछ मुस्लिम ठेले पर फल बेच रहे थे। हिंदूवादी उपद्रवियों को यह बात अच्छी नहीं लगी। उन्होंने ठेले पलट दिए, ​फल बर्बाद कर दिए, विक्रेताओं से बदसलूकी की। यह सब पुलिस की मौजूदगी में हुआ। पुलिस देखती रही। वे फल विक्रेता हिंदुवादियों के लिए कौन सा खतरा पेश कर रहे थे? अगर आप हिंदू हैं तो सोचिए कि इस अधर्म से आपको, आपकी आस्था को, आपके धर्म को, आपके देवता को क्या फायदा हुआ होगा? क्या हिंदू होने का धर्म यही है कि किसी गैर धर्म वाले को बिना कारण सताया जाए?

कर्नाटक आजकल सांप्रदायिकता की नई प्रयोगशाला है। कभी हिजाब, कभी हलाल और झटका, कभी मुस्लिमों के खिलाफ अभियान… जिस कर्नाटक के बेंगलोर ने दस साल पहले आईटी सेक्टर के कारण दुनिया भर में अपनी पहचान बनाई थी, वह अब अपनी नफरत के कारण मशहूर हो रहा है। कुछ लोग कहते हैं कि इससे हम विश्वगुरु बनेंगे।

राम नवमी पर भी देश के कई हिस्सों में ऐसे उपद्रव किए गए। बिहार के मुजफ्फरपुर में रामनवमी शोभा यात्रा निकाली गई। शोभा यात्रा में शामिल लोग एक ईदगाह के पास पहुंचे तो ईदगाह पर चढ़ गए और गुम्बद पर भगवा झंडा फहरा दिया। इससे तनाव की स्थिति पैदा हुई। पुलिस अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर लोगों को शांत कराया और गुम्बद से भगवा उतारा गया। रामनवमी शोभा यात्रा के दौरान मुजफ्फरपुर में ही यह दूसरी घटना है।

नवरात्र के महीने में भगवा धारण किए हुए एक शख्स मु​सलमानों को धमकी देता है कि अगर वे नहीं सुधरे तो उनकी महिलाओं का सरेआम बलात्कार किया जाएगा। हमारी आस्था में हर व्यक्ति को उसी ईश्वर ने बनाया है। जिस नवरात्रि में हमारे घरों में नारी शक्ति की पूजा हो रही है, उसी समय अपराधी मानसिकता का एक व्यक्ति महिलाओं का सरेआम सामूहिक बलात्कार करने की धमकी दे रहा है। उसके सामने खड़ी पुलिस मूकदर्शक है। भीड़ ताली बजाकर जय श्रीराम का नारा लगा रही है। इस अधर्म से क्या सच में भगवान राम प्रसन्न हुए? इस अधर्म से देवी मां क्या प्रसन्न हुईं? क्या जो लोग किसी दूसरे समुदाय या धर्म से ताल्लुक रखते हैं, उन्हें ईश्वर ने नहीं बनाया है?

राजस्थान के करौली में नवसंवत्सर के मौके पर हिंदू संगठनों ने बाइक रैली निकाली। पुलिस महानिदेशक एमएल लाठर के मुताबिक, रैली में डीजे बजाने की अनुमति नहीं थी। इसी शर्त पर अनुमति दी गई थी। लेकिन रैली में डीजे पर आपत्तिजनक गाने बजाए गए। मुस्लिम बस्ती में उकसाने वाले नारे लगाए गए। दूसरे पक्ष ने इस उपद्रव का समाधान निकालने की जगह पथराव शुरू कर दिया। पथराव करने वालों में एक निर्दलीय पार्षद भी है। वह पार्षद प्रशासन की मदद ले सकता था, लेकिन उसने हिंसा चुनी। आग लगाने वाले बस मौके की तलाश में रहते हैं।

अब यह सब रोज हो रहा है। आठ साल से जो भीड़तंत्र तैयार किया जा रहा था, वह अब घर से बाहर निकल चुका है और बार बार कानून व्यवस्था अपने हाथ में ले रहा है। यह भीड़ एक दिन आपके भी घर आएगी। मजहबी पागलपन ने आजतक दुनिया में किसी का भला नहीं किया है। जो अपने को बहुत बड़ा हिंदू समझता हो, वह ऐसी पगलाई भीड़ को रोकने या समझाने की कोशिश करके अंजाम देख सकता है। इसे कानून और संविधान से ही नियंत्रित किया जाता है लेकिन आजकल संविधान की जड़ खोदना सरकार में बैठे लोगों का प्रिय शगल है।

ऐसी बातों पर कुछ लोग कहते हैं कि तुम मुसलमानों का समर्थन करते हो। यह मुसलमानों का समर्थन नहीं है। यह हिंदुओं का समर्थन है, क्योंकि मुसलमानों का डर दिखाकर हिंदुओं को उल्लू बनाया जा रहा है। अगर किसी समाज का कोई व्यक्ति अपराध करता है तो उसे सजा देने से किसने रोका है? लेकिन यह जो हो रहा है, इसका मकसद कुछ और है। इसका मकसद समाज को बांटकर, लोगों को आपस में लड़ाकर, राजनीतिक फायदा उठाना है। वे अपनी कुर्सी के लिए देश की शांति की बलि ले रहे हैं।

वे अपनी सत्ता के लिए ऐसा कर रहे हैं, लेकिन एक दिन इसका अंजाम देखकर आप सिहर जाएंगे।

तस्वीर में देखिए और सोचिए कि इस निरीह आदमी से आपके धर्म को क्या और क्यों खतरा है? अगर है तो आप कायर हैं।

जय सियाराम!