Share

तिरंगा यात्रा में मुस्लिम-विरोधी नारे और भगवा झंडे क्यों ?

by Team TH · January 27, 2018

यूपी के कासगंज में तिरंगा यात्रा के बाद हुई एक मौत के बवाल मचा हुआ है, सोशलमीडिया में एक समुदाय विशेष को टारगेट करके मैसेज चलाये जा रहे हैं. कि  फलां समुदाय के लोगों ने तिरंगा यात्रा पर हमला कर दिया. पर वास्तविकता सोशल मीडिया में चल रहे मैसेजेज़ से बिलकुल अलग है.

इस घटना पर इतिहासकार अमरेश मिश्रा ने अपनी फेसबुक वाल पर एक पोस्ट लिखी है –

अमरेश मिमिश्रा कहते हैं –

“सोशल मिडीया पर कोई बहकावे में न आये…
एटा के पास कासगंज में दंगा कराने की VHP-RSS की साज़िश की सच्चाई जानिये. साज़िश विफल हो गयी है. ऐसी ही एक घटना, बदायूं में भी घटी.
पद्मावत फिल्म के जरिये, RSS-मोदी की फिरंगी ताक़तों और ईज़राइल के इशारे पर हिन्दू-मुस्लिम, और राजपूत बनाम ब्राहमण, या राजपूत बनाम जाट-गूजर-OBC-अन्य पिछ्ड़ी जातियां-दलित इत्यादी, में दंगे कराने की रणनीती, कामयाब नही हो पायी।
जनता की एकजुटता, राजपूतों का संयम, मुसलमानो की समझदारी, ब्राहमण व जाट-गूजर-OBC-अन्य पिछ्ड़ी जातियां-दलित इत्यादी का वर्तमान सरकार की चालों में न आने की दृढ़ता के कारण ही इतनी बड़ी साज़िश, जिसमे भंसाली और अंबानी का सीधा हाथ है, का पर्दा फाश हो गया।
पद्मावती में फेल हो जाने पर, मौजूदा निज़ाम ने कासगंज, उत्तर प्रदेश में हिन्दू-मुस्लिम दंगा कराने की कोशिश की। पहले ABVP-BJP के लड़कों से जानबूझ कर, साज़िश के तहत, मुस्लिम इलाकों में तिरंगा यात्रा निकालते वक़्त, मुस्लिम-विरोधी नारे लगवाये गये।
और ‘मुस्लिम’ इलाक़ों से, इन्ही RSS-अंबानी के छटे हुए गुन्डो ने, तिरंगा यात्रा पर गोली चलायी जिसमे एक लड़के की मौत हो गयी। मक़सद था हिन्दुओं को ये जताना की मुसलमानो ने तिरंगा यात्रा पर गोली चलायी।
अभी हाल ही में गोण्डा जिले में, दो RSS कार्यकर्ता, गाय काट कर, मन्दिर में फेंकने का प्रयास करते पकड़े गये। मक़सद था हिन्दू-मुस्लिम दंगे कराना। कई बार VHP-RSS-बजरंग दल के लोग, मुस्लिम वेश में बम बनाते पकड़े गये हैं।
कासगंज में जनता ने तुरन्त सदभाव के पक्ष में जुलूस निकाला। प्रशासन ने भी चुस्तता दिखायी। आखरी खबर मिलने तक, मामला शान्त पड़ गया है।”

इतिहासकार एवं लेख़क अमरेश मिश्रा एवं सोशल एक्टिविस्ट हिमांशु कुमार

वहीं इस घटना पर समाज सेवी  हिमांशु कुमार अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं –

  • ये तिरंगा यात्रा है या भगवा आतंक फैलाओ यात्रा है ?
  • किसी के हाथ में तिरंगा नहीं है
  • बल्कि बड़े बड़े भगवा झन्डे पकड़े हुए हैं
  • सिर्फ एक तिरंगे कपड़े की चादर ज़रूर पकड़ी हुई है
  • लेकिन भारतीय ध्वजा संहिता के अनुसार तो, राष्ट्रध्वज को किसी दूसरे रूप में इस्तेमाल करना अवैध है.

देखिये आपने पहले तो काल्पनिक महान प्राचीन इतिहास का झूठ खड़ा किया. आपने भगवा झन्डे को हिन्दु, ब्राह्मण और महान प्राचीनता का प्रतीक घोषित किया. और भगवा झन्डे के सहारे दंगाइयों, गुन्डो और हत्यारों को महान घोषित कर दिया.
लेकिन अगर आप अपने धर्म, जाति और नस्ल को ही देशभक्त, सही और महान कहेंगे और कहेंगे कि इस महानता की वजह से आपको अन्य नीच देशद्रोही और गलत लोगों के ऊपर राज करने का हक है. और राज मिल जाने के बाद आप पूंजीपतियों के फायदे के लिये देश की अर्थव्यवस्था चौपट कर देंगे. नौजवानों को बेरोज़गार बनाकर कहेंगे पकौड़े बेचो. तो अन्य लोग आपका ज़रूर विरोध करेंगे. तिरंगे की आड़ में नस्लवाद, सम्प्रदायवाद, श्रेष्ठतावाद का गन्दा खेल खेलना बन्द कीजिये.
Image may contain: 1 person, standing and outdoor

क़ानून के जानकार अधिवक्ता सरफ़राज़ नज़ीर उत्तर प्रदेश के पूर्व डीजीपी के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहते हैं –

कासगंज के दंगे में उप्र के पूर्व डीजीपी विक्रम सिंह का बयान सुनिए – ” गणतंत्र दिवस पर तिरंगे का अपमान करने वालो को ‘कुचलने’ का समय आ गया है, पुलिस को ऐसी कार्यवाही करनी चाहिए कि मानवाधिकार आयोग तक जब बात जाए तो पता चले कि पुलिस जब ‘अपने पर’ आती है तो क्या करती है?”
इस स्टेटमेंट में छिपे दो खतरनाक पहलू पर गौर किजिए – पहली बात कि इतने बड़े अधिकारी ने ये कैसे तय कर लिया कि ये दंगा तिरंगे के अपमान से जुड़ा है? और कुचलने जैसे शब्द का इस्तेमाल करके उन्होने अपना पूर्वाग्रह ज़ाहिर नहीं किया है,? दूसरी बात कोई भी गुंडा या दंगाई हाथ में तिरंगा लेकर कोई अपराध  करता है तो क्या उसे सिर्फ इस आधार पर बिना जाँच के निर्दोष मान लिया जाए कि उसने हाथ में तिरंगा ले रखा था?
जनाब, इस पूर्वाग्रह से बाहर आइए वरना तमाम अपराधी पवित्र तिरंगे की आड़ लेकर अपराध करना शुरू कर देंगे और लकीर पीटते रह जाएंगे। कासगंज में जो हुआ वो दुःखद है, जाँच होनी चाहिए, दोषी को सज़ा मिलनी चाहिए, शर्त ये है कि आप पहले से सबकुछ तय करना छोड़ दीजिए।

कासगंज घटना – भड़काऊ नारों के साथ मुस्लिम युवक से ज़बरदस्ती बुलवाया “जय श्री राम” और भीड़ ने कहा – “मुल्लो का एक ही स्थान पाकिस्तान या कब्रिस्तान”

कासगंज के विवाद का एक पहलू  और ये भी निकल कर आ रहा है,  दरअसल 69वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कासगंज के वीर अब्दुल हामिद चौराहे पर सभी समुदाय के लोग एकत्रित होकर झंडावंदन की तैयारी में लगे थे,  तभी विश्व हिंदू परिषद और एबीवीपी के कार्यकर्ताओं की बाइक  रैली चौराहे पर पहुंची. इस रैली ने देशभक्ति के नारे छोड़कर “जय श्रीराम” का नारा देना शुरू कर दिया.
इसके बाद उन्होंने ”वंदे मातरम्” के नारे के साथ “हिंदुस्तान में रहना होगा जय श्रीराम कहना होगा” जैसा भड़काऊ नारा लगाना शुरू कर दिया गया. इसके बाद एक और भड़काऊ नारा दिया जाने लगा  “मुल्लो का एक ही स्थान पाकिस्तान या कब्रिस्तान” जैसे नारे जोर जोर से लगाने लगें।

तकरार के बाद दोनों पक्षों में हुई फायरिंग में एक पक्ष के युवक की मृत्यु हुई, तो दूसरे पक्ष का युवक गोली लगने से हुआ घायल

इस नारेबाज़ी के बाद मामला और तब बिगड़ गया जब एक टोपी पहने शख्स को पकड़कर  उससे ज़बरदस्ती जय श्रीराम के नारे लगवाने की कोशिश की गई, उसे खींचकर थप्पड़ मारे गए,  इस घटना के बाद मुस्लिम लड़कों की भीड़ उस स्थान में इकठ्ठा होने लगी. इस बहस और हाथापाई के बाद  दोनों तरफ से फायरिंग और पत्थरबाजी शुरू हुई, जिसमें तिरंगा यात्रा में शामिल एक युवक चंदन गुप्ता की गोली लगने से मौत हो गई थी. न सिर्फ चन्दन गुप्ता की मृत्यु हुई बल्कि दूसरी तरफ से हुई फायरिंग में एक मुस्लिम युवक भी घायल है.

Browse

You may also like