तालिबानी नेता के दिल की बात आई जुबान पर, कहा शरियत कानून ही होगा लागू

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तालिबान का कब्जा होते ही पूरी दुनिया अफगानिस्तान पर नज़रे जमाए बैठी है। एक समय पर पूरी दुनिया ने जिस संगठन को आंतकी घोषित कर दिया था, आज वो संगठन पूरे देश पर कब्जा कर चुका है। साथ ही जल्द ही औपचारिक तौर पर अपनी सरकार भी बनाने जा रहा है। यहां तक कि कई देशों ने तो तालिबान को सरकार के रूप में मान्यता भी दे दी है।

अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद से ही तालिबान के प्रवक्ता दुनिया को समझाते आ रहे हैं कि हमने अपनी पिछली गलतियों से सबक लिया है। यह तालिबान बदला हुआ है। अब हम नियम और कानून की सरकार बनाएंगे। साथ ही महिलाओं को भी शरिया के अनुसार सभी जरूरी अधिकार देने जा रहे हैं। पर अब तालिबानी प्रवक्ता और उनके कुछ नेताओं के बयानों में विरोधाभास नजर आ रहा है।

दरअसल,तालिबानी नेता वहीदुल्लाह हाशिमी ने कहा है कि अफगानिस्तान में कोई लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं होगी।

अफगानिस्तान की हुकूमत कैसी होगी, हमें बताने की जरूरत नहीं

अफगानिस्तान में सत्ता संभालने की तैयारी में जुटे तालिबान के एक नेता ने तालिबान के शांति और नियम कायदे से सरकार चलाने की बात पर संदेह पैदा करने वाली बात कह दी है।

दरअसल, तालिबानी नेता वहीदुल्लाह हाशिमी ने कहा है कि अफगानिस्तान में कोई लोकतांत्रिक व्यवस्था नहीं होगी, क्योंकि यहां इसका कोई वजूद नहीं है। अंतर्राष्ट्रीय न्यूज एजेंसी रॉयटर्स से हाशिमी ने अपनी बातचीत में कहा है कि “तालिबान को ये बताने की जरूरत नहीं कि अफगानिस्तान की हुकूमत कैसी होगी, क्योंकि ये एकदम साफ है। यहां शरिया कानून चलेगा”

हैबतुल्लाह अखुंदजादा होगा हुकूमत का मुखिया

वहीदुल्लाह ने आगे कहा, तालिबान यह स्ट्रैटजी बना रहा है कि अफगानिस्तान को कैसे चलाया जाएगा। अभी तक की योजना के मुताबिक तालिबानी काउंसिल अफगानिस्तान का कामकाज संभाल सकती है।

साथ ही मूवमेंट का प्रमुख हैबतुल्लाह अखुंदजादा तालिबानी हुकूमत का मुखिया हो सकता है। हाशिमी की मानें, तो अखुंदजादा तालिबानी काउंसिल के प्रमुख से भी ऊपर होगा।

उसका कद देश के राष्ट्रपति के बराबर होगा। इतना ही नहीं कि अखुंदजादा का डेप्युटी ही राष्ट्रपति की भूमिका में रहेगा।वहीदुल्लाह की बातों से कोई भी साफतौर पर यह अंदाजा लगा सकता है कि तालिबान का शासन वैसा ही रहने के आसार हैं जैसा कि पिछली बार 1996 से 2001 तक रहा था। तब मुल्ला उमर अप्रत्यक्ष रूप से तालिबान की कमान संभाल रहा था और रोज का कामकाज एक काउंसिल के जिम्मे था।

बनाई जा रही है नई सेना

तालिबान अफगानिस्तान में नई सेना बनाने की तैयारी कर रही है। इसमें तालिबानियों के साथ अफगानिस्तान के पूर्व पायलट और सैनिकों से भी भर्ती होने की अपील की गई है। अब देखना ये है कि तालिबान का ये भर्ती अभियान कितना कामयाब होता है, क्योंकि पिछले 20 सालों में तालिबानी हजारों सैनिकों को मार चुके हैं।

इसके अलावा तालिबान ने हाल ही में अफगानी पायलट को भी निशाना बनाना शुरू कर दिया था। इन पायलटों में से अधिकतर पायलट अमरीका से ट्रेनिंग लेकर आए थे।

वहीदुल्लाह का कहना है कि ज्यादातर अफगानी सैनिकों ने तुर्की, जर्मनी और इंग्लैंड में ट्रेनिंग ली है। इसलिए उनसे लौटने के लिए कहा जाएगा। हम सेना में कुछ बदलाव भी करने वाले हैं। लेकिन फिर भी हमें पूर्व सैनिकों की जरूरत पड़ेगी। तालिबान को विशेषकर पायलट्स की जरूरत है, क्योंकि उसके पास लड़ाके तो हैं, लेकिन पायलट्स नहीं हैं।