जयंत के कंधो पर आई सियासत की ‘ विरासत ‘

Share

छपरौली में आयोजित पूर्व केंद्रीय मंत्री एंव रालोद सुप्रीमो रहे स्वर्गीय चौधरी अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा एवं जयंत चौधरी की रस्म पगड़ी कार्यक्रम में छोटे चौधरी को श्रद्धांजलि दी गई और जयंत चौधरी को आशिर्वाद के साथ पगड़ी पहनाई गई। इस मौके पर भावुक हुए जयंत चौधरी ने मौजूद भीड़ और मंच पर मौजूद बुजुर्गों से वादा किया कि वह इस पगड़ी का मान हमेशा रखेंगे, इसे कभी झुकने नही देंगे। जबकि भीड़ और मंच से आवाज बुलंद हुई कि जयंत ही अब हमारे सेनापति है।

गौरतलब है कि राष्ट्रीय लोकदल के अध्यक्ष रहे चौधरी अजित सिंह का कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया था।लेकिन कोरोना काल के चलते उनकी श्रद्धांजलि सभा नहीं हो पाई थी। अब जब कोरोना के केस लगातार कम हो रहे हैं, तब राष्ट्रीय लोकदल एवं किसानों ने स्वर्गीय चौधरी अजित सिंह की श्रद्धांजलि सभा का आयोजन करने एवं उनके पुत्र रालोद के अध्यक्ष जयंत चौधरी की रस्म पगड़ी के लिए सभा का आयोजन छपरौली में करने का फैसला लिया गया।

श्रद्धांजलि सभा एवं रस्म पगड़ी कार्यक्रम सभा का समय सुबह 10 बजे रखा गया था, लेकिन पश्चिमी उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों से रालोद के कार्यकर्ता एवं किसान सुबह से ही छपरौली पहुंचने शुरू हो गए थे। चौधरी अजित सिंह की स्मृति में छपरौली स्थित श्रीविद्या मंदिर इंटर कॉलिज परिसर में श्रद्धांजलि सभा एवं रस्म पगड़ी का आयोजन किया गया। रविवार को आर्य समाज पद्धति से सुबह 10 बजे से यज्ञ शुरू हुआ। वैदिक मंत्रोच्चार का उच्चारण करते हुए आर्य विद्वानों और रालोद के पदाधिकारियों, क्षेत्रवासियों और हजारों समर्थकों ने स्वर्गीय चौ. अजित सिंह की आत्मा की शांति के लिए आहूति दी।

मध्याह्न 11.20 बजे रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी, सोमपाल शास्त्री भी कार्यक्रम में पहुंचे और आहूति दी। इसके पश्चात श्रद्धांजलि सभा में चौधरी अजित सिंह के प्रतिमा के समक्ष पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी गई।जिसके बाद 36 बिरादरी के लोगों ने रालोद के मौजूदा अध्यक्ष जयंत चौधरी को पगड़ी पहनाई।इस दौरान सभा में भारी भीड़ का आलम रहा और कार्यक्रम में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों के अलावा पंजाब, हरियाणा, दिल्ली, राजस्थान के लोग भी शामिल हुए।

इस पगड़ी को झुकने नही दूँगा

रालोद के राष्ट्रीय अध्यक्ष जयंत चौधरी ने हवन में आहुतियां दी और उसके बाद मंच पर पहुंचकर सभा में उमड़ी भीड़ का अभिवादन स्वीकार किया। इसके बाद जयंत चौधरी को पगड़ी बांधी गई। इस बीच मंच से ऐलान किया गया कि आज से हमारे सेनापति जयंत चौधरी होंगे। इस अवसर पर भावुक हुए जयंत चौधरी ने कहा कि आपकी इस पगड़ी को झुकने नहीं दूंगा। उम्‍मीद है कि जिस प्रकार जनता का आशीर्वाद पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह व पूर्व केंद्रीय मंत्री अजित सिंह को मिलता रहा, वैसे ही आशीर्वाद मुझे भी मिलेगा।

जयंत ही होंगे अब हमारे सेनापति

श्रद्धांजलि सभा और रस्म पगड़ी कार्यक्रम में विभिन्न समाज और खाप के चौधरियों ने पहुंचकर अपने-अपने समाज की पगड़ी जयंत चौधरी के सिर पर बांधते हुए सियासत की विरासत का जिम्मा सौंपा।इसी दौरान मंच से ऐलान किया गया कि अब जयंत चौधरी हमारे सेनापति होंगे। पगड़ी बंधते ही उमड़ी भीड़ द्वारा चौधरी चरण व चौधरी अजित सिंह अमर रहें के नारे से पूरा छपरौली गूंज गया।

नरेश टिकैत भी हुए शामिल

भाकियू के राष्ट्रीय अध्यक्ष चौधरी नरेश टिकैत ने भी पहुंचकर चौधरी अजित सिंह को श्रद्धासुमन अर्पित किया। कार्यक्रम में पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री सोमपाल शास्त्री, गठवाला खाप के चौधरी राजेंद्र सिंह, गुलाम मोहम्मद जौला, पूर्व सांसद हरेन्द्र मलिक, राजपूत समाज से पूरन सिंह, यूजीसी के पूर्व चेयरमैन वेद प्रकाश शामिल रहें।

इसके अलावा रालोद के क्षेत्रीय अध्यक्ष यशवीर सिंह, क्षेत्रीय महामंत्री एंव अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के अध्यक्ष सोहराब ग्यास, जिलाध्यक्ष मतलूब गौड़, अंतर्राष्ट्रीय रेसलर अंजली चिकारा, जिला पंचायत सदस्य दीपक गून, रालोद नेता रणवीर दहिया, सिवाल विधानसभा क्षेत्र के पूर्व प्रत्याशी नदीम चौहान, पूर्व चेयरमैन महराज अली, आदि शामिल हुए।

मंच पर चढ़ने को लेकर कार्यकर्ता रहे बेताब

रस्‍म पगड़ी और श्रद्धांजलि सभा के दौरान बनाए गए मंच पर चढ़ने के लिए कार्यकर्ता बेताब रहे। इधर-उधर से चढ़ने का प्रयास करते रहे। कार्यकर्ताओं को व्यवस्था बनाने में मशक्कत करनी पड़ी। कार्यक्रम में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे और वाहनों का काफिला एंव पैदल आने वाले लोगों का सिलसिला जारी रहा।

भारी संख्या में पहुंची भीड़ के कारण छपरौली कस्बा थम सा गया और सभी मार्गों पर जाम लगा रहा। रस्म पगड़ी कार्यक्रम में उमड़ी भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस और प्रशासन अलर्ट रहा। चप्पे-चप्पे पर पुलिस बल तैनात किया हुआ है। ट्रैफिक को नियंत्रित करने के लिए रूठ भी डायवर्ट किया गया था, ताकि अन्य लोगों को परेशानी का सामना न करना पड़ा।

खालिद इक़बाल

(लेखक पश्चिमी यूपी की राजनीति के जानकार हैं और विभिन्न अखबारों के लिए लिखने का काम करते हैं)