कविता – दिल का समंदर
तेरे दिल का समंदर है गहरा बहुत पर डुबाने को मुझको ये काफी नहीं कल फिर तुम तोड़ोगी वादा कोई...
July 22, 2017
तेरे दिल का समंदर है गहरा बहुत पर डुबाने को मुझको ये काफी नहीं कल फिर तुम तोड़ोगी वादा कोई...
मेरी बातें तुम्हें अच्छी लगतीं, ये तो हमको पता ना था तुम हो मेरे हम हैं तुम्हारे, ये कब तुमने...
गुज़र गई है मिरी उम्र खुद से लड़ते हुए मुहब्बतों से भरे वो खतों को पढ़ते हुए धुएं की तरह...