गज़ल – मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए
मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए मुहब्बतों से भरी कश्तियाँ डुबाते हुए गुज़र गई है फकत सीढियाँ बनाते हुए...
November 2, 2019
मैं काँपने लगा हूँ दूरियाँ बनाते हुए मुहब्बतों से भरी कश्तियाँ डुबाते हुए गुज़र गई है फकत सीढियाँ बनाते हुए...
हमेशा ज़िन्दगानी में मेरी ऐसा क्यूं नहीं होता जमाने की निगाहों में मैं अच्छा क्यूं नहीं होता उसूलों से मैं...