लोकसभा चुनाव 2019 – पुलवामा हमले के शहीदों के नाम पर वोट मांगना निंदनीय है

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प्रधानमंत्री जी, क्या पुलवामा हमला आप की एक उपलब्धि है या बड़ी सुरक्षा चूक ? अगर चूक है तो फिर किसी सुरक्षा चूक के नाम पर जिसमें 44 जवान शहीद हो गए हैं आप क्यों वोट मांग रहे हैं ? और अगर इसे आप अपनी उपलब्धि समझते हैं तो और बात है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर जनसभा रैली को संबोधित करने मंगलवार को महाराष्ट्र के लातूर जिले में पहुंचे. यहां पीएम मोदी ने फर्स्ट टाइम वोटर्स से सवाल किया कि ‘आपका पहला वोट बालाकोट में एयर स्ट्राइक करने वाले वीर जवानों के लिए समर्पित हो सकता है क्या? आपका पहला वोट पुलवामा में शहीद हुए वीरों के नाम समर्पित हो सकता है क्या?’ पीएम मोदी ने आगे कहा, मैं फर्स्ट टाइम वोटर्स (First Time Voters) को कहना चाहता हूं कि आप 18 साल के हो गए हैं और आप अपना पहला वोट देश के लिए दीजिए. देश को मजबूत बनाने के लिए दीजिए, एक मजबूत सरकार बनाने के लिए दीजिए।
फर्स्ट टाइम वोटर्स आप के सामने सपने हैं। उन सपनों का पूरा करने के लिये आप को रोजी रोटी शिक्षा स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझना पड़ेगा। आप सरकार चुनने जा रहे हैं न कि नफरत और उन्माद से भरा हुआ एक गिरोह जो हिटलर की तर्ज़ पर आप को बरबादी के मुहाने पर खड़ा कर दे। आप ऐसी सरकार चुने जो आप को बेहतर शिक्षा दे सके, रोज़गार के अवसर दे आप को अपने पांव पर खड़ा होने की सामर्थ्य दे और एक ऐसा देश दे जो प्रगति के पथ पर निरन्तर बढ़ता रहे। उन्माद, नफरत और ज़हर भरी शब्दावली से भरे भाषण आप को एक ऐसे अंधकूप में ले जाकर पटक देंगे कि आप अभी उसकी कल्पना भी नहीं कर पा रहे हैं। एक शांत घृणा मुक्त और वैज्ञानिक सोच से सम्पन्न प्रगतिशील राष्ट्र के लिये सन्नद्ध हों। विवेकहीनता से बाहर आइये। नफरत और घृणा को नकार दीजिये। उत्तिष्ठ जाग्रत वरान्निबोधत।
प्रधानमंत्री जी ने पुलवामा के शहीदों के नाम पर वोट मांग कर यह स्वतः प्रमाणित कर दिया है कि पिछले पांच साल में ऐसा कुछ भी सरकार ने नहीं किया है जिस पर जनता के बीच जाया जाय। न तो नोटबंदी से जनता का कुछ भला हुआ और न ही जीएसटी से व्यापार को गति मिली, और न ही खूबसूरत नामो वाली योजनाओं से। अंत मे वोट के लिये हमारे शहीद पुलिस के जवान ही काम आ रहे हैं। पुलवामा एक उपलब्धि नहीं विफलता है। यह एक घनघोर विफलता है। बड़ी सुरक्षा चूक है। यह चूक किसकी है यह तो सरकार ही बता सकती है। पर एक बड़ी और लापरवाही भरी चूक जिसमे 44 जवान अनायास ही बम के धमाकों से उड़ गए हों पर अपनी जिम्मेदारी स्वीकार कर के  भविष्य में ऐसी घटना को रोकने के बजाय शहीदों के शव पर वोट मांगना एक अत्यंत गर्हित कर्म है। इसकी जितनी भी निंदा की जाय कम है।
लातूर में हो रही पीएम की रैली और भाषण आदर्श चुनाव संहिता का खुला उल्लंघन है। पर निर्वाचन आयोग और उसका प्रमुख मुख्य निर्वाचन आयुक्त मौन पड़ा है। यह शर्मनाक है। ऐसा मुर्दा और मेरुदंड विहीन मुख्य निर्वाचन आयुक्त देश पहली बार देख रहा है।

© विजय शंकर सिंह