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जानिये क्यों मनाया जाता है मकर सक्रांति का त्यौंहार

by Vinod Rulaniya · January 14, 2018

मकर सक्रांति नाम लेते ही हमारे आँखों के सामने आसमान मे उड़ते हुए पतंगो का नज़ारा आ जाता है. छतों पर खड़े लोगों  के द्वारा उड़ाए जा रहे हज़ारों लाखो पतंगे, जहा तक नज़र जाये वहा तक पतंग ही पतंग, आसमान में पक्षियों से ज्यादा पतंगों की संख्या , ये कटी-वो कटी की आवाजें,कटी हुई पतंगों को पकड़ने के लिए गलियों में भागते बच्चे ऐसे ही दृश्य हमारे जहन में घूमने लगते है. पर आपने कभी सोचा की इस पर्व को मकर सक्रांति क्यों कहा जाता है,इस पर्व पर पतंगे क्यों उड़ाई जाती है. और ये हमेशा 14 जनवरी को ही क्यों आता है. तो अब आप सोचिये मत और पढ़िये हम ऐसे ही कुछ सवालों के जबाब लेकर आये है.

क्या है इस त्यौहार को मनाने के पीछे कहानी

इस त्यौहार को मकर सक्रांति कहे जाने के पीछे एक कहानी है, कहा जाता है,कि इस दिन सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर सक्रांति में विराजमान होता है, इसलिए इसे मकर सक्रांति के नाम से जाना जाता है. साथ ही इस दिन सूर्य की गति उत्तरायण भी हो जाती है. इसलिए इस पर्व या त्यौहार को भारत के कुछ राज्यो में उत्तरायण के नाम से भी जाना जाता है. सूर्य के उतरायण में जाने के समय उससे निकलने वाली सूर्य की किरणें मानव शरीर के लिए औषधि का काम करती हैं. इसलिए पतंग उड़ाने से शरीर को लगातार ,शरीर को सूर्य से सेंक मिलता है और उससे हमारा शरीर स्वस्थ रहता है. और हम अपने पतंग उड़ाते समय एक प्रकार से लाभवर्धक कार्य कर रहे होते है. अब बात आती है,की ये एकमात्र ऐसा त्यौहार है,जो 14 जनवरी को ही आता है. इसका क्या कारण है,तो आपको बता दे की सूर्य का धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में आना या फिर यु कहे की सूर्य की दिशा उत्तरायण होना जनवरी महीने के चौहदवे या पहन्द्रवे दिन ही होता है. इसलिए ये त्यौहार हमेशा 14 जनवरी को ही मनाया जाता है.

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