Share

आखिर कब सुरक्षित होंगी बेटियां, कब रुकेंगी रेप की घटनाएं?

by Shagufta Ajaz Khan · June 29, 2018

6 दिन हो गये , मगर देश की एक बेटी के हत्यारों  को  हमारी सरकार और पुलिस दोनों ढूंढ़ने में अभी तक नाकाम है. ‘संस्कृति राय’ देश की 20 साल की बेटी फिर दरिंदो के हाथों मार दी गई. और देश की सरकार अभी तक चुप बैठी है. 6 दिन के अंदर तो हथियारों को सज़ा भी मिल जानी चाहिए थी, मगर हमारा  प्रशासन तो नाम के झंडे गाड़ रहा है.
“बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ” का नारा सरकार देती रही है लखनऊ में खून से लथपथ देश की बेटी की लाश मिलती है. बेटियां तो देश की धरोहर होती है, बेटियाँ तो देश की संस्कृति होती है. जब वही बेटी “बेटी बचाओ ,बेटी पढ़ाओ ‘”के नारे को समृद्धि करने के लिए गांव से शहर पढ़ने आती है, तो वो खुद को असुरक्षित पाती है, संस्कृति राय की तरह आज देश मे हज़ारो बेटियां अपने घर से दूर पढ़ने के लिए जाती है बल्कि लाखो के हिसाब से शिक्षा के लिए माँ-बाप से दूर रह रही है, क्या वो सुरक्षित है नही सुरक्षित तो देश के कोने में कंही भी रह रही बेटी नही है.

संस्कृति राय

सवाल ये है कि असुरक्षा के डर से बेटी अब अपने सपनो को कागज़ की तरह मुठ्ठी में मरोड़ दे ,या कंही दफना दे, इस देश मे पहले लड़कियों को अंधविश्वास और रूढ़िवाद सोच की दीवारों ने कैद कर रखा था, जब उन्हें अपनी ज़िंदगी मे कुछ बेहतर करने के लिए आज़ादी मिली है तो इस तरह उन्हें गलियों,सड़को,खेतो,मेट्रो, बसों और सार्वजनिक स्थलों पर अपनी हवस का शिकार बनाया जा रहा है.
जिस देश मे बेटी को पूजा जाए उस देश की संस्कृति को इस तरह शर्मसार होना पड़ रहा है. कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अब हम किसी को मुह दिखाने लायक़ नही रहे है. और विदेशी स्तर पर एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारा देश महिलाओ के लिए सबसे ख़तरनाक देश साबित हुआ है. देश मे बनाई गई सारी योजनाएं सिर्फ फाइल्स में ही सिमट कर रह गई है क्या हम अब खुद को अभी भी प्रगति के पथ पर चलने वाला देश कहंगे ? मुझे तो लगता है कि प्रगति करी है सिर्फ और सिर्फ बेटी के साथ बढ़ रहे अपराधों में, हम आज के समय मे कही भी महफूज़ नही हैं. ये अब हमारी ज़िंदगी का हिस्सा बनते जा रहा है.
हम पिछले छ, सात सालों से लगतार इस घिनोने अपराध का विरोध कर रहे हैं.  कभी लिख कर ,कभी बोल कर,कभी सड़को पर उतर कर,कभी चुप रह कर क्या कुछ नही किया मगर अभी तक देश मे एक भी ऐसा क़ानून नही बना है . जिस से अपराधी की अपराध करने से रूह कांप जाए, हज़ारों बार हमने इसके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है मगर वो बेगैरत लोग लगातार हमारी देश की मासूम बच्चियों पर अपनी हैवानियत की नफ़्स को निकालते रहे है, क्या सरकार और पुलिस ने चुड़िया पहन ली हैं? क्या उन वहशी दरिदों के सामने  सारे हथियार  डाल दिये गये हैं?
अभी हमारे ज़ख्म भरे भी नही थे. कि बालियां की बेटी के साथ फिर वही दरिन्दगी दिखती नज़र आई है। जो निर्भया, आसिफा, गीता, और पता नही कहा कहा कोई एक तादाद हो तो बताए. क्या होगा देश का अगर इसी पथ पर हम चलते रहे. रोज़ इसी तरह हमारी देश की संस्कृति को ख़त्म किया जाय। तो क्या सरकार हर केस को इसी तरह लम्बा खिंचती रहेगी और फिर उसी लिस्ट में हर रोज़ उसी देश की बेटियों का नाम जुड़ता जायेगा?? क्या कभी कोई ऐसा क़ानून बनेगा जिस से देश की हर बेटी खुद को महफूज़ महसूस करेंगी?क्या कोई ऐसी सज़ा मिलेगी जिसमें हर उस बेटी को इंसाफ मिलेगा जो उस अपराध से पीड़ित है या उसी अपराध में इस दुनिया से गुज़र गई?
Justicesforrapevictims
Justicesfor “संस्कृति राय”

Browse

You may also like