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नज़रिया – जनता किसी गिनती में भी है क्या ?

by Asad Shaikh · February 27, 2018

आपकी तादाद सिर्फ “वोट” के लिए गिनी जाती है,की ये इतनी आबादी है,वरना बताइये कहा है आपकी गिनती? क्या समझते है आप 110000 हज़ार करोड़ के घोटालें,9000 करोड़ का गबन और 2 लाख करोड़ का स्कैम ये जो बड़ी बड़ी गिनतियां आपको गिनाई जा रही है ये क्या है।
ये इतनी बड़ी बड़ी रकमें मज़ाक है उस “एलीट” तबके के लिए जो अपनी मर्जी से,चॉइस से शौक से ज़िंदगी गुज़ार रहा है,अपनी मर्ज़ी की चीजें कर रहा है,महंगी गाड़ी से उतरकर वो या तो अपने आलीशान दफ्तर में जाता है या महलनुमा घर मे और घूमने विदेश जाता है ही,उसे इन सबसे क्या है? इस “एलीट” और “हाइयर एलीट” के लिए लगभग सभी आबादी “डर्टी पीपल्स” ही है, उसके लिए इस बड़ी आबादी की गिनती “वर्कर्स” जितनी ही है,ओर हो भी क्यों न।
तो और क्या समझते है आप? आप पर उन्हें रहम है? अरे नही साहब आप “मिडिल क्लास” या “लोवर मिडिल” कही भी मामूली सा भी “एक्सिट” ही नही करते है,जानते नही है क्या आप? अरे बहुत भोले है आप,आप क्या समझते है ये इतने बड़े बड़े उद्योग से लेकर बड़े बड़े होटल्स के मालिक कोंन है? लाखो करोड़ के बिजनेस किसके है। अनजानी तादाद में इतने शेयर्स किसके है?
अरे उसी एक या दो फीसद आबादी के है जिस के पास तमाम “पूंजी” है मौजूद है,बाकी सब खेल भर है,किसानों की मौत, भूख की तड़प और फुटपाथ पर सोने वाले या कुचल कर मार दिए जाने वाले “इंसान” और इस चीज़ से उन्हें फर्क नही पड़ता है,उन्हें करोड़ों नौजवानों के बेरोजगार होने से कोई फर्क नही पड़ रहा है।
साम्प्रदायिक दंगों से उसमे मौतों से कोई फर्क नही है,क्योंकि इससे उनके रहन सहन,ऐशों आराम पर कोई फर्क नही है, ओर उन्हें लेना भी नही है,वो क्यूँ ले जब उनके लिए सभी चीजें उनके ज़रा से पैसे झटकने भर से जमा हो जाती है,हर एक चीज़ उनके हिसाब से हो जाती है,तो उन्हें क्या टेंशन? फिक्र? सोचना?
कुछ भी नही,आप सोचिये राशन की दुकानों पर लाइन लगाने वालों,डीटीसी की भीड़ में पिसने वालो पैदल चल कर 5 या 10 रुपये बचाने वालों और चुनावों के वक़्त “जज़्बाती” होने वालों आप सोचों न,समझो कि खेल क्या है कहा है? और आप तो गिनती में भी नही हो। आप तो बस बिना बात के लोड ले रहे हो लेते रहो कोई बात नही है.

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