Share

डियर मौलाना साहब ! अब चिड़िया खेत चुग चुकी है

by Asad Shaikh · December 29, 2017

एक मिसाल है,बहुत आसान और बहुत मामूली सी मगर मायने बहुत अहम है ये मिसाल है “अब पछताये होत क्या जब चिड़ियाँ चुग गई खेत” यानी जब पहले ही चिड़िया खेत चुग गयी नुकसान कर गयी तो अब पछता कर,मन मसोस कर हाथ मलने से क्या फायदा है? कुछ होगा क्या? नही यही चीज़ “इंस्टैंट ट्रिपल तलाक” के मसले पर हुई है।
तत्काल तीन तलाक का पहला मामला कब आपके सामने आया था? किसी को ध्यान है शायद हो शायद न हो लेकिन ज़रा गौर करिये की आपने इस चीज़ को सीरियस लेना कब शुरू किया था ध्यान है? दिन रात टेलीविजन पर बहसें हो रही थी,बातें हो रही थी और चर्चे हो रहें थे,मगर क्या किसी ने गौर किया? नही,क्योंकि आपने इस एक मसले को ऐसा कर दिया कि ये “मज़ाक” बन कर रह गया।
आज मुस्लिम समाज को “दोषी” बनाकर दिखाया जा रहा है, “तीन तलाक” जो एक व्यवस्थित तरीका है हर उस जोड़ें के अलग होने का,बुराई को खत्म करने का लेकिन उस एक पूरी व्यवस्थित चीज़ को गलत तरह से इस्तेमाल किया गया और हैरत ये है कि तमाम लोगों के सामने, नज़रों के सामने ये सब होता रहा मगर किसी ने गौर नही किया।
इसके पीछे किस किस जो गलत कहेंगे आप? उन लोगों को जो टीवी पर बिना ज़रूरत तलाक के मसले पर बहसें करते रहें,या उनसे जो मुंह सिलें बेठें रहें या फिर उनसे जो “ये सब ढोंग है” कहते रहें,या खुद ही को जो तत्काल तीन तलाक के मसले पर “मज़ाक” उड़ाते रह गए ओर एक पूरे समाज की बेहतर चीज़ गलत शक्ल लेकर अव्यवस्था जैसी नज़र आने लगी।
जहां ज़रूरत इस पर बड़े उलेमाओं द्वारा,जिम्मेदारों द्वारा सख्त से सख्त कदम उठाकर तीन तलाक के नाम पर गलत शक्ल ले रही चीज़ को खत्म करने की थी वहां लापरवाही हुई,देरी हुई और इतनी हुई कि आज ये “गुनाह” बनने जा रहा है,आप खुद सोचिये की ये हालात आएं ही क्यों? चिड़िया के लिए खेत को खाली छोड़ा गया,हिफाज़त के लिये किसी को रखा नही गया,तो क्या चिड़िया खेत को छोड़ देगी? आप खुद ही सोचिये है न… बाकी अभी और बहुत कुछ इस मसले पर नज़र आएगा ही।

Browse

You may also like