Share

ग़ज़ल- मुसव्विर हूं सभी तस्वीर में मैं रंग भरता हूं

by Ashfaq Khan · October 12, 2017

हमेशा ज़िन्दगानी में मेरी ऐसा क्यूं नहीं होता
जमाने की निगाहों में मैं अच्छा क्यूं नहीं होता
उसूलों से मैं सौदा कर के खुद से पूछ लेता हूँ
मिरी सांसे तो चलती हैं मै ज़िंदा क्यूं नही होता
हरिक को एक पगली बेटा कह कर के बुलाती है
मगर उस भीड़ में तब कोई बेटा क्यूं नहीं होता
गये गुज़रे ज़माने की कहानी क्यों बताता है
भला इस दौर में आखिर करिश्मा क्यूं नही होता
मुसव्विर हूं सभी तस्वीर में मैं रंग भरता हूं
कभी भी मेरा कोई ख्वाब पूरा क्यूं नही होता
          अशफाक़ ख़ान”जबल”

Browse

You may also like