Share

ओवैसी का ऐलान,भाजपा के गढ़ में लड़ेंगे चुनाव

by Asad Shaikh · August 11, 2021

असदुद्दीन ओवैसी भारतीय राजनीति में बड़ा नाम हैं, बेहतरीन वक्ता और संसद में जबरदस्त तरह से अपनी बात रखने वाले इस सांसद को चाहने वालो की तादाद बहुत लंबी है। सच कहें तो आप ओवैसी को गलत या सही के तराजू में तोल सकते हैं लेकिन उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं कर सकते हैं। बस यही ही से ओवैसी अपनी राजनीति शुरू करते हैं।

ओवैसी अपनी लोकप्रियता को जानते हैं और अपनी उपस्थिति की अहमियत को भी अच्छे से समझते हैं। यही वजह है कि हैदराबाद से निकलकर आज उनकी पार्टी बिहार और महाराष्ट्र तक पहुंच चुकी है। अब ओवैसी खुद को “राष्ट्रीय नेता” की तरह स्थापित करना चाहते हैं।

जी हां इलेक्शन कमीशन के बताए गए रूल्स और रेगुलेशन के मुताबिक कम से कम 4 राज्यों में उनके कुछ प्रतिशत विधायक होने चाहिए। ओवैसी उसी तरफ कोशिश कर रहे हैं। फिलहाल 2 लोकसभा सांसद लेकर ओवैसी अपनी पार्टी को आगे बढ़ाना चाह रहे हैं।

उत्तर प्रदेश के बाद उतराखण्ड भी पहुंचेगी मजलिस

हाल ही में ओवैसी ने ये ऐलान किया था कि उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लिमीन उत्तर प्रदेश की 100 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। इस बयान ने यूपी की सियासत में बवंडर ला दिया था। क्योंकि सपा और बसपा जैसे दल जिनकी ताक़त मुसलमान वोटर्स हैं ओवैसी का ये ऐलान उनके लिए खतरे की घण्टी था।

अब ओवैसी उत्तराखंड राज्य में भी चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे हैं जहां वो राज्य की 70 में से 22 सीटों पर चुनाव लड़ेंगें। पहाड़ी क्षेत्र में बसा उत्तराखंड राज्य कांग्रेस बनाम भाजपा के मुकाबले के लिए जाना जाता है। वहीं कुछ गिनी चुनी सीटों पर मुस्लिम वोट अच्छी खासी तादाद में भी हैं।

असदुद्दीन ओवैसी यही ही अपनी नज़र गड़ाए हैं,मौजूदा स्थिति में उत्तराखंड में दो मुस्लिम विधायक हैं और दोनों ही कांग्रेस के टिकट पर जीत कर आये थे। लेकिन ओवैसी जी तो 22 सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।

जिस खबर ने कम से कम कांग्रेस को चौंका कर रख दिया है।क्योंकि फिलहाल कांग्रेस यहां मज़बूत स्थिति में नज़र आ रही है। फिलहाल राज्य में भाजपा की सरकार है और लगातार बदलते मुख्यमंत्री उनकी स्थिति को मज़बूत बता नहीं रहे हैं।

क्या असर हो सकता है ओवैसी का?

ओवैसी की पार्टी उत्तराखंड में चुनाव लड़ने की स्थिति में बहुत बड़ा कमाल कर पाए ये तो आसार नही हैं लेकिन उपस्थिति भाजपा को फायदे मे ला सकती है। उनके चुनाव लड़ने या प्रचार करने भर से भी पूरा चुनाव में ध्रुवीकरण हो सकता है और इसका सीधा फायदा भाजपा को हो सकता है।

वहीं उत्तराखंड के प्रदेश अध्यक्ष का “आज तक” से कहना है कि “हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष कुछ दिनों में आएंगे और पार्टी के उम्मीदवारों पर अंतिम फैसला लेंगे” इस खबर के बाद सबसे ज़्यादा टेंशन में कांग्रेस होने वाली है क्योंकि हो या न हो ओवैसी के ये प्लान कांग्रेस की जड़े हिला सकता है।

Browse

You may also like