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जब सस्ता होना था पेट्रोल डीज़ल, मोदी सरकार ने 3 रु/लीटर बढ़ा दी एक्साईज़ ड्यूटी

by Gireesh Malviya · March 14, 2020

केंद्र सरकार ने पेट्रोल तथा डीजल पर उत्पाद शुल्क और रोड सेस मिलाकर प्रति लीटर कुल तीन रुपये की वृद्धि कर दी है। कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट का लाभ कही आम आदमी तक नहीं पुहंच जाए इसलिए यह कदम उठाया गया है।
पेट्रोल पर विशेष उत्पाद शुल्क प्रति लीटर दो रुपये बढ़ाकर आठ रुपये कर दिया है तो वहीं डीजल पर यह शुल्क दो रुपये बढ़कर अब चार रुपये प्रति लीटर हो गया है। इसके अलावा पेट्रोल और डीजल पर लगने वाला सड़क उपकर भी एक-एक रुपये प्रति लीटर बढ़ाकर 10 रुपये कर दिया गया है।
कीमतें गिरने का फायदा भारत में ग्राहकों को मिलता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। आज यदि कच्चे तेल के दाम गिरने का फायदा आम आदमी को नहीं दिया जाएगा तो आखिर कब दिया जाएगा ?
मोदी सरकार जब से आई है तब से 12 नवंबर 2014 से अभी तक केंद्रीय उत्पाद शुल्क में ग्यारहवीं बार बढ़ोत्तरी की गयी है। 2019 में इंडियन आयल कॉरपोरेशन के आंकड़ों के मुताबिक, पेट्रोल का वास्तविक आधार मूल्य प्रति लीटर 33.91 रुपये है, जबकि आम आदमी के लिए इसका खुदरा मूल्य 72.96 रुपये प्रति लीटर है।
16 जून, 2017 से डीजल और पेट्रोल के दाम रोज के आधार पर संशोधित होते हैं। पेट्रोल पर कुल 35.5 रुपये टैक्स देना होता है, इसमें 20 रुपये एक्साइज ड्यूटी और 15.51 वैट होता है। इसके अलावा 3.56 डीलर का कमीशन होता है। वैट हर राज्य में अलग है, इसलिए हर राज्य में दाम भी अलग अलग बैठता है। 2014 से पेट्रोल और डीजल पर एक्साइज ड्यूटी 10 गुना बढ़ चुकी है और घटी है सिर्फ दो बार।
पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा तैयार आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2014-15 में सरकार को पेट्रोलियम पदार्थों की बिक्री से केंद्र सरकार को 126025 करोड़ रुपये मिले थे। जो कि वर्ष 2018-19 में 135.60 फीसदी बढ़ कर 296918 करोड़ रुपये हो गया।
यदि पेट्रोलियम पदार्थों का विपणन करने वाली कंपनियों द्वारा सरकार को चुकाये गए आयकर या कारपोरेट कर, लाभ पर लाभांश, लाभ वितरण पर देय कर -डीडीटी- आदि को जोड़ दिया जाये तो यह राशि और भी बढ़ जाती है। वर्ष 2014-15 में सरकार को इन सब मद में केंद्र सरकार को 172065 करोड़ रुपये मिले थे। जो कि वर्ष 2018-19 में बढ़ कर 365113 करोड़ रुपये हो गया है। यह 112.20 फीसदी की बढ़ोतरी है।
आमतौर पर सरकार तर्क देती है कि इस टैक्स के पैसे को गरीबों के कल्याणकारी कामों पर खर्च किया जाता है। लेकिन यह तर्क झूठा है. महंगा पेट्रोल खरीदने से मिडिल क्लास पर बोझ पड़ता है। जबकि महंगे डीजल की वजह से मालभाड़ा नहीं घटता और अंतत: महंगाई बढ़ती है जो गरीबों को सबसे ज्यादा खलती है। कच्चा तेल सस्ता होने पर पेट्रोल डीजल यदि सस्ता नहीं होगा तो कब होगा ?

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