Share

14 मई को फ़लस्तीनी नागरिक क्यों मनाते हैं "यौमे नक़बा"

by Md Zakariya khan · May 14, 2018

14 मई 1948 को इज़राईल वजूद में आया था. अंग्रेजों ने फ़लस्तीन को दो हिस्सों में तकसीम करके एक बड़े हिस्से पर दुनिया फार के यहूदियों के लिए एक देश बसाया तो दूसरा देश फ़लस्तीन को उजाड़ दिया था.
70 साल पूरे होने पर आज फ़लस्तीन और इज़राईल द्वारा क़ब्ज़ा की गई फ़लस्तीनी ज़मीन सहित इज़राईल और फ़लस्तीन में फ़लस्तीनी नागरिकों द्वारा प्रदर्शन और जुलूस निकाले जा रहे हैं.
वहीं दूसरी तरफ अमेरिका आज ही के दिन तेल अबीब से अपना दूतावास बैतूल मुक़द्दस शिफ्ट करने की तैयारी कर रहा है. मुकामी मीडिया के मुताबिक हमास की तरफ से एक बयान जारी किया गया है – जिसमें फ़लस्तीनी नागरिकों से अपील की गई है, कि वह यौम ए नकबा के मौके पर निकाली जाने वाली रैली में भरपूर शिरकत करें और इज़राईल को यह पैगाम दें कि फ़लस्तीनी क़ौम आज भी अपने हक को हासिल करने के लिए सड़कों पर मौजूद है.
बयान में 14 मई सोमवार को मश्रीकि गाजा पट्टी में बहुत बड़ा वापसी मार्च और मुजाहिरों की काल दी गई थी, फलस्तीनी नागरिकों से  इन मुजाहिरों में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने  और फलस्तीन के हक वापसी के लिए जारी आन्दोलन  को कामयाब बनाने का आह्वान किया गया था .
बयान में कहा गया है, कि हम सन 1948 से इज़राइल द्वारा क़ब्ज़ा किये गए फलस्तीन के शहरों के फलस्तीनी बाशिंदे, गाजा की पट्टी गरब उरदन बैतूल मुक़द्दस और बाहर के मुल्कों में रहने वाले फलस्तीनियों से अपील करते हैं, कि वह यौम ए नक़बा को सम्पूर्ण राष्ट्रीयता के जज़्बे  के साथ मनाएं और दुनिया को यह पैगाम दें कि फ़लस्तीनी क़ौम आज भी सरजमीन ए फलस्तीन पर इज़राईल के क़ब्ज़े  को तस्लीम नहीं करती है.
हमास का कहना है कि फलस्तीन की आजादी के तसव्वुर और फ़लस्तीनी क़ौम हुक़ूक़ में अफरा-तफरी के लिए मंजूर किये गए तमाम क़दम और प्रोग्राम आज एक बार फिर रद्द किये जाते  है. हमास ने अहद किया कि वह अमेरिकी सदर डोनाल्ड ट्रंप के नाम निहाद स्कीम “सदी की डील” को नाकाम बना कर रहेगी.
बयान में ये भी कहा गया है, कि गाजा पट्टी पर सभी तरह की पाबंदी इजराइल द्वारा खत्म की जाएँ और गाजा का सारा रास्ता खोल दिया जाए
इस बयान में फलस्तीन की हुकूमत से मुतालबा किया गया कि वह इज़राईल के साथ ताल्लुकात और साज बाज का सिलसिला बंद करें और फलस्तीन में कौमी मसलहत के अमल को आगे बढ़ाने के लिए काम करें.
ख्याल रहे कि 14 मई सन 1948 को फलस्तीन इज़राईली रियासत के कयाम को अमल में लाया गया था, फलस्तीनी आज तक उस दिन को “यौम ए नकवा” “यानी मुसीबत का दिन “करार देते हैं. इस रोज फ़लस्तीनी नागरिक फलस्तीन भर में इसराइली रियासत के बयान के खिलाफ एहतेजाज और मुजाहिरे किए जाते हैं.

Browse

You may also like