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सेकुलर दलों के दूसरे नेताओं का भी कोई भरोसा नहीं

by Sarfaraz Nazeer · March 12, 2018

नरेश अग्रवाल चले गए, जाने दीजिए, आना जाना तो लगा ही रहता है, वैसे इस तरह सो काल्ड सेक्यूलर दल से भाजपा में शामिल होने वाले नेताओ की लंबी फेरहिस्त है, इस मामले में आप सिर्फ मुस्लिम नेताओ पर ही ( वो भी 98%) भरोसा कर सकते हैं बाकी 2% उन नेताओ के लिए छोड़ रखा है जो अंदर से या बाहर से भाजपा से किसी तरह के ताल्लुकात न कभी रखते रहे हैं और न भविष्य में रखने की उम्मीद है।
असल मुद्दे पर आते हैं, नरेश अग्रवाल जैसे सपाई हो या किसी सो काल्ड सेक्यूलर दल का हिन्दू लीडरशिप, उसके भाजपा ज्वाइन करने से मुझे न पहले तकलीफ थी न आज है और न भविष्य में होगी।
मेरी चिंता इस तरह के सभी नेताओ की जय जय कार करने वाली मुस्लिम अवाम के लिए है जो एक झटके में खुद को ठगा महसूस करते हैं, “भइया जी” अथवा “नेता जी” मर जाएंगे लेकिन भाजपा में नहीं जाएंगे, तक जैसे स्लोगन इस्तेमाल करने वाली मुस्लिम अवाम किसके पास जाए? किधर जाए? अपनी ही बिरादरी के नेता से बग़ावत कर पार्टी निष्ठा और भइया जी पर अटूट विश्वास रखने वाली ये भीड़ हर दरवाजे से दुत्कारी जाएगी।
किसी दूसरे सो काल्ड सेक्यूलर दल के दूसरे नेता का क्या भरोसा? कल को मौका पाते ही वो भी निकल लेगा। अपनी लीडरशिप की बात करे तो कम्यूनल होने का ठप्पा लग जाएगा और अपनी ही बिरादरी के लोग “लीगी” कह कर सामाजिक बहिष्कार कर देंगे।
कल को ये लौट आए तो अखिलेश भइया माल्यापर्ण कर गले लगा लेंगे तब तक ( अग्रवाल के भाजपा में रहने तक) किसी और जगह गया तो वापसी के बाद अग्रवाल भइया दुश्मन की नज़र से देंखेगे।बहरहाल अखिलेश, मायावती, राहुल भले ऐसे लोगों की घर वापसी पर गले लगाए आप सतर्क रहिएगा।
जो जीवन में एक बार भाजपा में चला गया उसको अपने दलो दमाग़ से ता उम्र निकाल फेंकिए, यही एकमात्र विकल्प है।

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