क्या केजरीवाल का फ्री बिजली दावा यूपी में चलेगा ?

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Asad Shaikh

यूपी में 6 महीने बाद चुनाव होने वाले हैं,मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिले दर ज़िलें जनता के बीच जाकर उन्हें ये भरोसा दिलाना शुरु कर दिया है कि उनकी पार्टी ही में प्रदेश का हित है। अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश की सरकार को फेल बता रहे हैं और ये दावे कर रहे हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों में समाजवादी पार्टी ही कि सरकार आएगी।

वहीं यूपी से सटे दिल्ली में सत्ता पर काबिज़ आम आदमी पार्टी ने भी यूपी में पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है। अयोध्या से तिरंगा यात्रा करते हुए योगी आदित्यनाथ की भाजपा सरकार के खिलाफ अपना प्रचार शुरु कर दिया है। प्रदेश प्रभारी संजय सिंह और नए नए यूपी के संगठन के द्वारा पार्टी पूरी ताक़त के साथ आने वाला विधानसभा चुनाव लड़ने वाली है।

इसी बीच में उन्होंने प्रदेश की राजनीति में एक दांव चल दिया है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने यूपी की जनता से ये वादा किया है कि अगर उनकी सरकार यहां पर आती है तो वो प्रदेश के लोगों को 300 यूनिट तक फ्री बिजली देंगें और पुराने बकाया बिलों को माफ भी करेंगे।

क्या ये दांव चल पाएगा?

वैसे तो केजरीवाल सरकार ने 5 साल के बाद फिर से सरकार बनाते हुए ये कारनामा करके दिखाया है कि मुद्दे पर चुनाव हो सकता है। लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि दिल्ली और यूपी की राजनीति में जो ज़मीन और आसमान का फ़र्क़ है उसे अरविंद केजरीवाल भूल रहे हैं वो ये जानते हुए भी अंजान बन रहे हैं कि दिल्ली ने ज़्यादातर शहरी आबादी है और यूपी में ग्रामीण आबादी ज़्यादातर रहती है।

इस मुद्दे पर यूपी की राजनीति के जानकार वरिष्ठ पत्रकार आशीष अवस्थी से हमने बात की है उनका कहना है कि “आम आदमी पार्टी जिस झूठ और प्रोपोगेंडा को लेकर दिल्ली में सत्ता आ गयी है वैसा लोकपाल वाला झूठ यूपी में नहीं चलेगा। यूपी की राजनीति खेत, खलियान और फसल से होकर गुजरती है संघर्ष से हो कर गुजरती है। न की शहरी चमक दमक से गुज़रती है। इसलिए वोट काटने की चाहत लिए और भाजपा की मदद करने के केजरीवाल जी के इरादे यहां बेकार साबित होने वाले हैं”।

दूसरी तरफ ज़मीनी पत्रकारिता करने वाले और बोलतन्त्र यूट्यूब चैनल के सम्पादक राघव त्रिवेदी ने भी अपनी बात इस मुद्दे पर रखी है। उनका कहना है कि “यूपी की ग्रामीण आबादी को बिजली के मुद्दे से कोई मतलब नही है क्योंकि अभी भी यूपी में सभी जगह 24 घण्टे बिजली नहीं आती है। दूसरी बात शहरी इलाकों में युवा ज़रूर इससे आकर्षित होगा लेकिन अगर ये युवा केजरीवाल को वोट देगा तो सबसे ज़्यादा नुक़सान विपक्ष के दलों को होगा,ऐसे में केजरीवाल की पार्टी का यूपी में चुनाव लड़ना सिर्फ विपक्ष के दलों के लिए सरदर्द है।”

क्या कहते हैं आँकड़े?

सूत्रों के मुताबिक आम आदमी पार्टी किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं करेंगी और अकेले ही चुनाव लड़ेगी ऐसे में बड़ा सवाल ये है कि जहां जहां आम आदमी पार्टी चुनाव लड़ेगी वहां की सीटों पर जो भी वोट झाड़ू के उम्मीदवार को जायेगा उससे फायदा किसे होगा?

इस सवाल का सीधा सा जवाब ये है कि भाजपा ही को फायदा होगा क्यूंकि विपक्ष के नाम का वोट या तो मुद्दे के दम पर या फि उम्मीदवार के नाम ही पर जनता देगी और थोड़े थोड़े वोट ही से अगर ये अंतर ज़्यादा बढ़ेगा तो जाहिर है कि ये बहुत बड़ा अंतर भी कर सकता है।