ओवैसी की पार्टी “बाहुबलियों” का साथ क्यों चाहती है?

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“मीठा मीठा गप,और कड़वा कड़वा थू” राजनीति में कुछ भी हो सकता है और ये “कुछ भी” की जो बहस है इसे इस तरह समझिए कि 2017 के विधानसभा चुनावों में बहुजन समाज पार्टी ने तमाम विरोधों के बावजूद बाहुबली मुख्तार अंसारी और उनके भाई सिबगतुल्लाह और बेटे अब्बास अंसारी को उम्मीदवार बनाया था लेकिन अब अचानक से उन्हें वो “माफिया” नज़र आने लगे हैं और उन्होंने मुख़्तार अंसारी का टिकट काट दिया है।

अब दूसरी बात पर आ जाइये… ओवैसी जी की पार्टी के नेताओं ने इस मौके को तुरंत पकड़ लिया है। यूपी इकाई के मीम अध्यक्ष शौकत अली ने कहा है कि “मुख्तार अंसारी अगर हमारी पार्टी में आते हैं तो उन्हें हम मऊ विधानसभा सीट से अपना उम्मीदवार बनायेंगें”। मुख्तार अंसारी फिलहाल बांदा जेल में विचारधीन मुकदमों में आरोपी हैं इसके अलावा इनकी और भी खास पहचान हैं।

मुख़्तार अंसारी 1996 से अब तक लगातार मऊ विधानसभा सीट से विधायक हैं। जहां वो भाजपा,बसपा और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों को लगातार हराते हुए आये हैं। गौर करने वाली बात ये है कि इस बीच मे उन पर तमाम तरह के मुकदमे भी चलते रहें हैं और साथ साथ वो चुनाव जीतते भी रहे हैं।

क्यों हैं मुख़्तार की राजनीतिक अहमियत?

मुख्तार अंसारी खुद गाज़ीपुर लोकसभा की मऊ विधानसभा से विधायक हैं उनके बड़े भाई अफ़ज़ाल अंसारी गाज़ीपुर लोकसभा से सांसद हैं। मुख्तार के दूसरे भाई “मुहम्मदाबाद” विधानसभा से विधायक रह चुके हैं और प्रत्याशी भी रह चुके हैं। मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी जो शूटिंग चेम्पियन रहे हैं वो भी घोसी विधानसभा से बसपा के टिकट पर 2017 का चुनाव लड़े थे और महज़ 7 हज़ार वोटों से चुनाव हारे थे।मुख़्तार और उनके परिवार का राजनीतिक वजूद बीते 25 सालों से है और इनका दबदबा

 गाज़ीपुर,बलिया,बनारस से लेकर चंदौली तक है। बहुत हद तक मुख्तार का परिवार यहां की राजनीति में अपना दखल भी रखता है। इसलिए ही मुख्तार का परिवार हमेशा पूर्वांचल की राजनीति में अपना महत्व रखता है।

ओवैसी की पार्टी क्यों मुख्तार को अपने साथ लाना चाहती है ।

असदुद्दीन ओवैसी यूपी में अपनी राजनीतिक अहमियत बढ़ाना चाह रहे हैं। इसलिए उन्होंने पिछले 2 महीनों से अपना उत्तर प्रदेश में आवाजाही को बढ़ा दिया है। इसी बीच में उन्होंने 2 दिन पहले पूर्व सांसद अतीक़ अहमद को उनके परिवार के साथ अपनी पार्टी में शामिल किया है । खबर ये भी है अतीक़ अहमद के बेटे ओवैसी की पार्टी इलाहाबाद पश्चिम की सीट से उम्मीदवार भी बना सकती है ।

वहीं मुख्तार अंसारी को अपनी पार्टी में लाने की रणनीति के तहत ओवैसी के काम करने की वजह यही है कि इस परिवार को साथ जोड़ कर मजलिस को मज़बूत करना चाह रहे हैं। लेकिन इसमें गौर करने वाली बात ये है कि क्या ओवैसी की पार्टी के नेताओं द्वारा दिया गया ऑफर मुख्तार कबूल करेंगें?

क्यूंकि पिछली बार मुख्तार अंसारी को अपनी पार्टी में लेंगें या नहीं ये बड़ा सवाल हालांकि उनके भाई को वो पार्टी में शामिल करा चुके हैं और चर्चाएं यही है कि मुख्तार अंसारी को भी सपा टिकट दे सकती है। लेकिन ये बात कितनी सच है और इसमें कितने क़यास ये कुछ दिनों में ज़रूर पता चल जाएगा। लेकिन फिलहाल इतना तय है कि मुख़्तार अंसारी छठी बार भी मऊ विधानसभा से चुनाव लड़ने जा रहे हैं। हां किस सिंबल पर लड़ेंगें ये सवाल अभी बाकी है ।