वसीम रिज़वी ने धर्म परिवर्तन क्यों किया ?

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सोमवार को गाज़ियाबाद के डासना के देवी मंदिर में वसीम रिज़वी ने सनातन धर्म अपना लिया। इस वक्त उनके साथ मंदिर के पुजारी और जूना अखाड़े के महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी मौजूद रहे। पूरे हिन्दू रीति रिवाज़ो से वसीम रिज़वी ने हिन्दू धर्म अपनाया। धर्म परिवर्तन के बाद उनका नाम जितेंद्र त्यागी बताया जा रहा है।

वसीम रिज़वी शिया वक्फ बोर्ड के पूर्वे चेयरमैन रह चुके हैं। इसके अलावा अपनी किताब मोहम्मद और कुरान की 26 आयतों को हटाने की मांग के लिए चर्चा में भी आ चुके हैं। राम मंदिर के पक्षधर हैं और लगातार अपनी वीडियो और बयानों से चर्चा में रहते हैं।

वसीयत में कहा, ” मुझे दफनाना नहीं, जला देना”

कुछ हफ़्तों पहले वसीम रिज़वी ने अपनी वसीयत जारी की थी, जिसमे कहा, था कि मेरे मरने के बाद मुझे कब्रिस्तान नहीं मिलेगा। इसलिए मेरे शरीर को लखनऊ में मेरे हिन्दू दोस्तों को सौप दिया जाए। मुझे दफनाया न जाए, बल्कि पूरे हिन्दू रीति रिवाजों से मेरा अंतिम संस्कार किया जाए। इतना ही नहीं वसीम रिज़वी ने अपने अंतिम संस्कार का अधिकार यति नरसिंहानंद गिरी को दिया था। वसीम रिज़वी का कहना है कि उन्हें इस्लाम से निकल दिया गया है, ऐसे में मरने के बाद उन्हें कब्रिस्तान में ज़मीन नहीं मिलेगी।

“पैग़म्बर मोहम्मद और कुरान की आयत”  पर बयान देकर पैदा किया था विवाद :

इससे पहले वसीम रिज़वी (Vasim Rizvi) देश के सर्वोच्च न्यायालय में कुरान की 26 आयतों को हटाने के लिए याचिका दायर कर चुके हैं। गैरतलब है कि, सुप्रीम कोर्ट को उनकी इस याचिका में कोई दम नहीं लगा, और कोर्ट ने इस याचिका को खारिज कर दिया था। यहाँ तक की वसीम रिज़वी को 50 हज़ार तक का जुर्माना देने के लिए भी कहा गया था।

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वहीं वसीम की किताब “मोहम्मद” को लेकर भी खासी राजनीति गरमाई थी। पूरा मुस्लिम समुदाय इस किताब का विरोध कर रहा था, यहाँ तक कि AIMIM अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने इस किताब के बारे में कहा, की इसमें गंद भरा है।

उन्होंने ये भी कहा की, वसीम रिज़वी ने अपनी किताब में पैगम्बर मोहम्मद का अपमान किया है। कहा, कि इस किताब की भाषा समुदाय का अपमान करती है। और इस सिलसिले में हैदराबाद में असदुद्दीन ओवैसी ने कई धाराओं के तहत मामला दर्ज कराया था।

राममंदिर के समर्थक :

UP में जब से BjP की सरकार बनी है तब से वसीम रिज़वी राम मंदिर के पक्षधर बन गए। उन्होंने कई बार विवादित जन्मभूमि का दौरा किया, पुजारियों और कई अखाड़ों के महामंडलेश्वर से भी मुलाकात की थी। यहीं नहीं एक बार उन्होंने बताया कि, खुद स्वयं श्री भगवान राम उनके सपने में आए और राम मंदिर के निर्माण को लेकर संकेत दिये। उन्होंने कई बार ये भी कहा, की मंदिर के निर्माण में हो रही देरी पर न केवल राम भक्त बल्कि खुद भगवान राम की भी आंखों से आंसू आ रहे होंगे। वसीम ने एक इल्ज़ाम के साथ कहा था, की पाकिस्तान की मदद से कोंग्रेस पार्टी राम मंदिर के निर्माण को सुप्रीम कोर्ट में फैसले की बात कर के अटका रही है। मंदिर बनाने के लिए अध्यादेश लाना चाहिए।

जान से मारने की मिल रही हैं धमकियां :

कुछ दिनों पहले मीडिया में वसीम रिज़वी की एक वीडियो काफ़ी चर्चा में आई जिसमे वो कहते दिखे की कुछ कट्टरपंथियों ने उन्हें मारने के लिए उन पर इनाम रखा हैं। इस मामले में उन्होंने AIMIM के प्रवक्ता का नाम लिया। हालांकि, वीडियो सच में थी जिसमे एक व्यक्ति हिंदी और ऊर्दू की मिली जुली भाषा मे ये कहता दिख रहा था, की वसीम रिज़वी और यति नरसिंहानंद गिरी की गर्दन काट के लाने वाले को 1 करोड़ दिया जाएगा।

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वीडियो में वसीम रिज़वी के लिए ये भी कहा, गया कि वो एक मुसलमान नहीं हैं। क्योंकि वो मुसलमानों को कट्टरपंथी कहते हैं, समुदाय को आतंकवादी गुट बताते हैं। अपने एक बयान में उन्होंने ये भी कहा, था कि सबसे पुराना धर्म सनातन धर्म हैं और इस्लाम 1400 साल पहले अरब में विकसित हुआ।

वसीम ने धर्म क्यों बदला ?

मुद्दे की बात ये हैं कि भारत देश मे हर एक नागरिक को ये पूरा अधिकार है कि वो कोई भी धर्म अपना सकता है। और उससे किसी को कोई दिक्कत या तकलीफ नहीं होनी चाहिए, जो लाज़मी भी हैं।
लेकिन UP में रहने वाला एक व्यक्ति उस समय धर्म बदल कर हिन्दू हो जाए जब चुनाव नजदीक हो! ऐसे मौके पर धर्म बदला जाए जब देश मे हिन्दू बनाम मुस्लिम चल रहा हो। गरुग्राम में जुमे की नमाज़ न हो इसलिए नए नए हथकंडे आजमाए जा रहे हो।
सवाल तो हर किसी के मन में उठना लाज़मी है कि कहीं ये चुनावो के लिए पोलिटिकल स्टंट तो नहीं, या सच में वसीम रिज़वी ने अपनी इच्छा को फलीभूत किया है।