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उन्नाव से कठुआ तक शर्मसार इंसानियत और सल्फेट बनती जनता

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मै तुम्हे बताता हूं कि बीजेपी क्यों कुलदीप सेंगेर के साथ खड़ी है, क्यों आसिफा के बलात्कारियों का खुला साथ दे रही है, क्यों महिला सांसद इस शर्म पर खामोश है.
क्योकि उन्हे लगता है कि जनता मूर्ख है और वोट के दिन हिंदू मुस्लिम, फेक राष्ट्रवाद जैसे मुद्दों पर वोट दे देगी.
वो तुम्हे सल्फेट समझते हैं और कसम से तुम हो भी. वो तुम्हे बरगलाते हैं कि हमारे सिवा इस देश का कोई भला नहीं कर सकता. हमारे सिवा कोई विकल्प नहीं है.
ये तुम्हारी मूर्खता तो है ही, जिसकी मुझे परवाह नहीं, मगर उससे ज्यादा ये प्रजातंत्र की हत्या है. जिसका मुझे अफसोस है.
जब जनता अपने हितों के अनदेखी करके जुमलों पर विश्वास करने लगती है. ये तुम्हारी नियति है.
आसिफा की मौत ने सिर्फ उसकी बर्बरता के लिए नहीं हिला दिया है मुझे. इसलिए नहीं कि बेटी का बाप हूं. नहीं. बल्कि जनता की बेबसी पर रहम आता है.
जब सत्ताधारी पार्टी खुलेआम बलात्कारियों के साथ खड़ी हो, जब बलात्कारियों, क्रूर लोगों के साथ वकील और हिंदुत्व का झंडा बुलंद करने वाले लोग खड़े हों, तब लगता है कि आप किस कदर हर तरफ से फंस गए हैं.
मुझे अब भी उम्मीद है कि ये गिने चुने लोग हैं जो वहशी हैं, जो जानवर बनने को आमादा हैं, मुझे उम्मीद है कि खोमोश बहुमत इससे नाराज़ है. कोई भी सरकार या सोच जो बलात्कारियों के साथ खड़ी हो, वो सभ्य समाज का हिस्सा नहीं हो सकती.
नहीं ये गलत है. जायज नहीं है. तुम्हे अपनी जिंदगी नाजायज करनी हो या उस रसातल मे खुद को दफ्न करना हो, वो तुम होगे. मैे नहीं. मैं नहीं. मै अपने बच्चों के लिए आदर्श बनना चाहता हूं. उनके लिए मिसाल. कम से कम कोशिश तो कर सकता हूं ना.
तुम राक्षसों के सामने सजदा करो, ये तुम्हारी त्रासदी है. तुम्हारा नसीब. तुम्हारा दुर्भाग्य.