अस्पताल से मदद न मिलने पर पत्नि के शव को गोद में उठा लाया व्यक्ति

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Sushma Tomar
  • जुलाई महीने की शुरुआत में ही ओडिशा राज्य के जिला मुख्यालय अस्पताल से कर्मचारियों द्वारा की जाने वाली अनदेखी का मामला सामने आया है।
  • मामला सामने आने के बाद जिला अस्पताल के दो कर्मचारियों को सस्पेंड भी कर दिया गया है।

फिरिंगिया प्रखंड के मोटिंगिया गांव में रहने वाले बालकृष्ण कन्हार ने पिछले महीने 29 जून को अपनी पत्नी को जिला अस्पताल में भर्ती कराया था। वह एनीमिया और सांस लेने में तकलीफ से पीड़ित थी। जिसके बाद एक जुलाई को बालकृष्ण की पत्नी की मृत्यु हो गयी। मौत के बाद पत्नी के शव को अस्पताल से ले जाने में न तो अस्पताल के किसी कर्मचारी ने मदद की और न ही किसी तरह के वाहन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। मजबूरन,बालकृष्ण को अपनी पत्नी के शव को गोद मे उठाकर महिला वार्ड से दो फ़्लोर नीचे ग्राउंड फ्लोर पर लाना पड़ा।

ग्राउंड फ्लोर पर स्ट्रेचर तो मिला पर वाहन चालक ने शव को उठाने से इनकार कर दिया।जिसके बाद बीमार पिता के साथ मिलकर अपनी पत्नी के शव को वाहन में रखा।इसी के बाद से बालकृष्ण कन्हार का अपनी पत्नी के शव को ले जाने वाला वीडियो वायरल हो गया।

कर्मचारियों ने अपने काम की अनदेखी की है: राजश्री पटनायक

पीड़ित बालकृष्ण कन्हार ओडिशा में रहने वाली कंध जनजाति से आते हैं और ये जनजाति कंधमाल जिले में रहती है।इन जनजातियों तक वैसे भी सरकारी सेवा और योजनाओं का लाभ बहुत कम पहुंच पाता है।

दी हिन्दू की एक रिपोर्ट के अनुसार कंधमाल के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी राजश्री पटनायक का कहना है की “अस्पताल से महाप्रयाण वाहनों तक शव को ले जाने की निगरानी करना कर्मचारियों का कर्तव्य है और कर्मचारियों ने उसी कर्तव्य की उपेक्षा की है।जिसके चलते अस्पताल की एक नर्स और एक अटेंडेंट को अस्पताल से निष्कासित कर दिया गया है।

पहले भी सामने आ चुके हैं कई मामले:

2016 में भी ऐसा ही एक मामला सामने आया था जिसमे अपनी पत्नी के शव को कंधों पर रखकर एक शक्स 12 किलोमीटर तक चला था।

कंधमाल सिटीजन्स फोरम के अध्यक्ष अरूप जेना ने इसी घटना को याद करते हुए कहा “यह घटना 2016 में घटी दाना मांझी की घटना को याद दिलाती है। जिन्हें कालाहांडी मामले में अपनी पत्नी के शव को 12 किलोमीटर तक अपने कंधों पर रख कर ले जाना पड़ा था।”हमे ऐसे कदम उठाने चाहिए कि ऐसी परिस्थितियां दुबारा न हों।

2016 की दाना मांझी की घटना के बाद ओडिशा सरकार ने महाप्रयाण योजना शुरू की थी। जिसमे शवो को ले जाने के लिए वाहनों की उपलब्धता निश्चित की जाती है।