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श्रीलंका के धार्मिक संघर्ष की ये है कहानी

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भारत का पड़ोसी राष्ट्र श्रीलंका इन दिनों धार्मिक संघर्ष ,तनाव व हिंसा के दौर से गुज़र रहा है। श्रीलंका सरकार ने देश मे दस दिनों के लिए आपातकाल लागू कर दिया है देश के कई इलाको में फैली हिंसा को देखते हुए यह फैसला लिया गया है अचानक आपातकाल लगाने से सभी चौक गए है।
आपातकाल के कारण मुस्लिम व बौद्ध समुदाय के लोगो के बीच भड़की हिंसा है। सोमवार रात श्रीलंका के कैंडी जिले में भड़की भीड़ सड़को पर निकल आई जिसके बाद मुस्लिमों के घर,दुकानें व मस्जिदें आग के हवाले कर दी गईं। सुरक्षा व शांति को देखते हुए सरकार ने आपातकाल की घोषणा कर दी। सरकार के अनुसार अगर स्थिति में सुधार नही होता तो आपातकाल के समय को बढ़ाया जा सकता है।
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हिंसा का कारण

वास्तव में श्रीलंका में फैली हिंसा एक दिन के संघर्ष या तनाव से नहीं पनपी, बल्कि वहाँ मुस्लिमों व बौद्ध समुदाय के लोगो के बीच पनप रहे आक्रोश की तरफ इशारा करती है जिसका कारण रोहिंग्या मुसलमानों की बढ़ती तादात है। पिछले माह फरवरी में चौराहे पर एक  बौद्ध धर्म के ट्रक ड्राइवर की पीट पीट कर हत्या कर दी गई थी जिसके बाद बौद्ध धर्म के लोगो मे गुस्सा पैदा हो गया तब उसके अंतिम संस्कार के समय वहाँ मुस्लिमों की दुकानों और घरों में आग लगा दी गई जिसमें एक मुस्लिम व्यक्ति की मृत्यु हो गई , इसके बाद यह हिंसा पूरे देश मे फैलती चली गई , मुसलमानों द्वारा जबरन धर्मांतरण की खबरें वहाँ के बौद्ध समुदाय में लगी चिंगारी को बढ़ाने का काम कर रहीं है ये चिंगारी पूरे श्रीलंका को अपने चपेट में ले चुकी है, मंगलवार को इसके भयंकर रूप धारण करने के पश्च्यात सरकार को यह कदम उठाना पड़ा।

संघर्ष व तनाव का लंबा क्रम

पिछले कुछ समय से श्रीलंका में मस्जिदों और मुसलमानों के बिज़नेस पर सिलसिलेवार हमले हो रहे है विरोध में मुस्लिम लोगो ने भी बौद्ध समुदाय के लोगो के खिलाफ जंग छेड़ दी।
कुछ हफ़्तों पहले ही श्रीलंका के पूर्वी शहर आमपारा  में मुस्लिम विरोधी हिंसा हुई थी। 2012 से ही वहाँ साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति बनी हुई है माना जा रहा है कि एक कट्टरपंथी बौद्ध संगठन (बीबीएस) इस आग को हवा देता रहता है, उनका आरोप है कि मुस्लिम यहाँ जबरन धर्म परिवर्तन करा रहे व बौद्ध मठों को नुकसान पहुंचा रहे है।
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पिछले दो हफ़्तों के अंदर गॉल के मुसलमानों के घर ,दुकाने और मस्जिदों ओर बीस से अधिक हमलो की घटनाएं हो चुकी है।2013 में कोलंबो में  बौद्ध समुदाय के कुछ लोगो ने तीन मुसलमानों की हत्या कर दी 2014 में बौद्ध गुरुओ के नेतृत्व एल भीड़ ने एक मुस्लिम की दुकान पर हमला कर दिया था जिसमें सात लोग घायल हुए थे।
श्रीलंका की कुल आबादी दो करोड़ दस लाख है जिसमें 70 फीसदी बौद्ध व 12 फीसदी मुस्लिमों की तादात है।
श्रीलंका के कुछ आर्गेनाईजेशन और ग्रुप भी रोहिंग्या मुस्लिमों को शरण देने का विरोध कर रहे है, बौद्ध सिंहलियों का मानना है कि रोहिंग्या मुसलमानों ने म्यांमार में उनके समुदाय के लोगो को  परेशान किया है, इसलिए उन्हें यहाँ शरण नहीं दी जा सकती।
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यहां सवाल यह भी भी कि शांति और अहिंसा के प्रतीक के तौर ओर देखे जाने वाले बौद्ध धर्म के लोग ,जिनकी मान्यतायें उसे अन्य धर्मों से अलग बनाती है तो फ़िर मुस्लिमों के खिलाफ बौद्ध हिंसा का सहारा क्यों ले रहे है, श्रीलंका में मुस्लिम परंपरा के तहत मासांहार या पशुओं को मारना बौद्ध धर्म के खिलाफ मन जाता है जो इस विवाद के एक मुद्दा है।
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कट्टरपंथी सिंहली बौद्ध का एक राष्ट्रवादी संगठन ‘बोड बला’ भी है  जो मुस्लिमों के खिलाफ प्रदर्शन करता व मार्च निकलता है उनको मुस्लिमो की बढ़ती आबादी से शिकायत है।

सरकार के प्रयास

श्रीलंकन सरकार हालात को काबू करने के प्रयास कर रही है मंगलवार को इसी सिलसिले में कैबिनेट मीटिंग भी हुई थी जिसमे फैसला लिया गया कि पूरे देश मे जब तक हालात नियंत्रण में नहीं हो जाते आपातकाल लगाया जाएगा, सरकार सेना व सुरक्षा बलों के सहायता से तनावपूर्ण क्षेत्रों पर नियंत्रण बनाये हुए है। फ़ेसबुक और सोशल मीडिया पर नज़र रख रही है व उन लोगो के खिलाफ सख्त कार्यवाही कर रही है जो हिंसा फैलाने के लिए इसका प्रयोग कर रहे है।

क्रिकेट मैच नहीं रुकेगा

श्रीलंका में ऐसे समय मे इमरजेंसी लगाई गई है जब भारतीय क्रिकेट टीम निदाहास ट्रॉफी मैच खेलने श्रीलंका के दौरे पर है  लेकिन आपातकाल के असर मैच पर नही पड़ेगा।
खुद बीसीसीआई ने कहा कि श्रीलंका में आपातकाल की घोषणा की गई है लेकिन वह कैंडी में है कोलंबो में नहीं, कैंडी जिला कोलंबो से 120 किलोमीटर दूर है , जहाँ टीम रुकी है अधिकारियों के अनुसार टीम की सुरक्षादुगनी कर दी गई है।  सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध के बीच मैच सामान्य रूप के कराया जाएगा ।