ये शाहरुख या सलमान का रोड शो नहीं था, फिर भी लड़कियों की तादाद हैरान करने वाले थी

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कल 6 अक्टूबर 2018 को मैं राहुल गांधी की रैली कवर करने के लिए जबलपुर पहुंचा था, मैंने इसके पहले राहुल गांधी के और भी रोड शो देखे हैं. पर कल मैंने एक नई चीज़ देखा. हो सकता है ये पहले भी हुआ हो पर मेरी नज़र कल पहली बार इस चीज़ पर पड़ी. राहुल गांधी के रोड शो को देखने के लड़कियों का हुजूम, मैं लड़कियों के एक हुजूम के पास ये सोचकर गया कि ये NSUI की लड़कियां होंगी, इनकी एक बाईट tribunehindi.com पर चलाया जाये. जब मैंने उनसे कहा कि आप लोग NSUI की कार्यकर्ता हैं. तो उन्होंने नहीं हम तो राहुल गांधी को देखने आये थे. मैं ये सुनकर ताज्जुब में पड़ गया, भाई ये कोई सलमान खान या शाहरुख खान का रोड शो थोड़े ही है. जो लडकियां इस क़दर तादाद में राहुल गांधी को देखने के लिए इकठ्ठा हुई हैं. ये सीन था जबलपुर के शास्त्री ब्रिज का.
जब मैं जबलपुर के गोरखपुर थाने के पहले वाले चौक से गोरखपुर थाने की तरफ़ जाते राहुल के काफ़िले के इर्द गिर्द जमा भीड़ पर नज़र दौड़ा रहा तो एक और चीज़ देखने को मिली. कि रोड के दोनों तरफ की बिल्डिंग्स में महिलायें सबसे ज़्यादा तादाद में अंजार आ रही थीं. गोरखपुर थाने के सामने से जैसे ही राहुल गाँधी का काफ़िला निकला, मैंने कई पुलिस वालों को एक फैन की मुद्रा में देखा. मध्यप्रदेश में तो आचार संहिता लग चुकी है, इसलिए पुलिस के अन्दर से भी राजनीतिक हस्तक्षेप का डर ख़त्म हो चुका है. इसलिए फैन मुद्रा में नज़र आ रहे थे.
जबलपुर में राहुल गांधी का ये पहला आगमन था, इसलिए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं में एक अलग ही जोश नज़र आ रहा था. पूरे रोड शो में राहुल गांधी ज़िंदाबाद के नारों के अलावा “जय जय कमलनाथ” का नारा भी गूँज रहा था.हमें छिंदवाडा ज़िले के एक कांग्रेसी बुज़ुर्ग मिले. उन्होंने नेहरु टोपी पहनी हुई थी. उनसे बात शुरू हुई तो उन्होंने बताया कि उनकी उम्र 51 वर्ष है, जब वो 14 वर्ष के थे तब ही सेवादल से जुड़ गए थे. और जो जुड़े तो बस जुड़े रहे. मैंने उनसे पुछा कि ये बताईये आप आज के रोड शो के बारे में क्या कहेंगे ? उन्होंने कहा कि कांग्रेस कई साल सत्ता में रही और मेरा पूरा जीवन कांग्रेस की सेवा में गुज़र गया पर मैंने कभी इतना उत्साह कांगेसी कार्यकर्ता में नहीं देखा.
रोड शो में मैंने ये भी देखा कि कई बुज़ुर्ग महिलायें राहुल गांधी को देखने के लिए रोड के आस पास ख़ड़ी हुई थीं, उस समय मेरी नज़र एक ऐसी बुज़ुर्ग महिला पर पड़ी जो भीड़ में फंसी हुई थी मैंने उनसे कहा कि आप यहाँ कहाँ भीड़ में आ गईं. तो उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को देखना था बेटा. मैं अचंभित हो गया. क्योंकि मैं लगभग 5-6 रोड शो राहुल गांधी के देख चुका हूँ. ये मामला मैंने पहले कभी नहीं देखा. मंदिरों के ऊपर पुजारियों और बाबाओं की भी.
वो जनता जो अपने घरों की खिडकियों से राहुल गांधी का रोड शो देख रही थी. लगभग सभी हाथ में मोबाईल इस रोड शो का वीडियो बना रहा था. अंत में सवाल ये है कि क्या राहुल गांधी का ये सफ़ल रोड शो कांग्रेस के वोट में बदल पायेगा. क्या राहुल गांधी की दीवानगी में उन्हें देखने आई लड़कियां कांग्रेस को वोट करेंगी ? क्या युवाओं का हुजूम कांग्रेस के वोट में तब्दील हो पायेगा?