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राजनीतिक गलियारों में कैसा रहा 2017 ?

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2017 भी ख़त्म हुआ,लेकिन अपने साथ सभी के लिये ये साल कुछ न कुछ सवाल छोड़कर जा रहा है.तो कुछ के लिए ये साल बेमिसाल रहा तो किसी के लिये उत्तर चढ़ाव का रहा. राजनीति के गलियारों से लेकर आम जन जीवन के लिए ये साल विवादस्पद और चुनौतीपूर्ण रहा.इस साल ने किसी की ज़िंदगी मे कमाल करदिया तो किसी के लिए ये साल उलझन भरा रहा.
सबसे पहले राजनीति की बात करे तो देश के 14 वे राष्ट्रपति के रूप में राम नाथ कोविंद को देश का सबसे बड़ा पद दिया गया. ये साल उनके लिए बहुत ही खास रहा .इसी के साथ यूपी में बीजेपी ने 325 से सीटे जीत कर। देश को चौंका दिया. लेकिन इस से भी बड़ी चौकाने वाला फैसला तब सामने आया जब पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को यूपी का मुख्यमंत्री बनाने का फैसला सुनाया. सी एम बनने के बाद योगी जी की लोकप्रियता इतनी बढ़ गई कि उन्होंने गुजरात से हिमाचल तक वो एक स्टार कंपेनर बने. इस साल योगी की किस्मत के सितारे चमक गए.
मुख्यमंत्री पद संभालने के बाद योगी ने कई अहम फैसले सुनाये जिसमे से यूपी में गोश्तबंदी एक बहुत बड़ा फैसला मना गया. शादी बियाहो में लोगो को इसका बखूबी सामना करना पड़ा। योगी ने पार्टी के लिए अच्छा प्रदर्शन किया उस से खुश होकर मोदी जी ने साल के आखिर में दिल्ली मेट्रो उदघाटन में उन्हें बुलाया. जिस तरह योगी एक नए चेहरे की तरह उभरकर सामने आए उसी तरह और भी चेहरों ने राजनीति में कामयाबी पाई.
उसी तरह विधानसभा चुनावों के बाद गोवा में नेतृत्व संकट की वजह से मनोहर परिकर को रक्षामंत्री का पद छोड़ना पड़ा. इस दौरान सरकार ने ये पद निर्मला सीतारमण को संभालते हुए देश को एक महिला रक्षामंत्री देकर महिला का सम्मान और ओहदा बढ़ा दिया. ये उनके करियर का सबसे बड़ा मुक़ाम है.
इन सब के बीच मे गुजरात का चुनाव आ गया जिसमें नए तीन युवा नेताओ अल्पेश ,जिग्निश और हार्दिक ने अपनी पहचान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बहुत कामियाबी हासिल की. तीनो युवा नेताओं का नाम बखूबी सुर्खियों में रह.जँहा अल्पेश ओर जिग्नेश पहली बार विधायक बने.
वंही हार्दिक ने चुनाव न लड़ते हुए बीजेपी के पसीने छुड़ा दिए. गुजरात के चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस की कटे की टक्कर रही.जिस से खुद सी एम रुपाणी के लिए अपनी सीट तक बचानी मुश्किल होगया था. क्योंकि उनके खिलाफ गुजरात का सबसे अमीर उमीदवार इंद्रनील राजगुरु खड़ा था। लेकिन उन्होंने उसे 21 हज़ार से अधिक वोट से हरा कर जीत दर्ज की. इस जीत के बाद मोदी सरकार ने फिर से उन्हें गुजरात की कमान उनके हातो में सौंप दी.
बात अब हिमाचल की करे तो वँहा विधानसभा चुनाव में धूमिल की हार ने जयराम ठाकुर की राजनीति के लिए नया रास्ता खुल गया। लेकिन सरकार ने बहुमत तो पा ली थी मगर मुख्यमंत्री पद के लिए केन्द्रिये मंत्री जे पी जद्दा का नाम बीबी खूब उछला लेकिन फायदा सिर्फ जयराम ठाकुर का हुआ.उनके लिए ये साल खुशियों का हुआ आशा है कि वो इस ओहदे का सही इस्तेमाल करंगे ओर जनता को निराश नही करेंगे.
राजनीति के गलियारे में ये साल वाक़ई में बेमिसाल रहा। इस साल राजनीति में नेताओ और आम जन जीवन के लिए ये सवाल बेमिसाल रहा. आम जन जीवन के हिसाब से साल 2017 इतना अच्छा न रहा हो मगर राजनीति में ये साल बेमिसाल ओर कामाल रहा। आशा है जिन्होंने राजनीति में अपनी पहल की है,वो अपनी जनता के लिए अपने वादे पूरे कर सके.