सार्वजनिक बैंकें DHFL का साठ हजार करोड़ रुपया राइट ऑफ करने जा रही है

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DHFL का साठ हजार करोड़ रुपया राइट ऑफ करने जा रही है सार्वजनिक बैंके ! भारत के बैंकिंग इतिहास में किसी भी कम्पनी की एक साथ इतनी बड़ी रकम राइट ऑफ नही की गयी है, क्या कोई न्यूज़ चैनल यह खबर आपको बता रहा है ?

60 हजार करोड़ रु दिल्ली का एक साल का बजट है अगर यह पैसा शिक्षा व्यवस्था में लगाया जाता तो न्यूनतम शुल्क में भारत के छात्रों की एजुकेशन का प्रबंध किया जा सकता है, एम्स जैसे बड़े बड़े दसियों अस्पताल खोले जा सकते है।

लेकिन भारत मे इस बारे में कौन सोचता है जब वोट जाति धर्म के आधार पर ही दिए जाने हैं, तो न्यूज़ चैनल भी आपको यह खबर क्यो बताए वे वही खबरें आपको देंगे जो मतदाताओं में ध्रुवीकरण पैदा करें।

डीएचएफएल दिवालिया प्रक्रिया में रखी गई पहली वित्तीय सेवा कंपनी है। डीएचएफएल के लिए बोली लगाने वाली चार कंपनियों में दो देशी अडानी ग्रुप, पीरामल एंटरप्राइजेज ओर दो विदेशी, अमेरिका स्थित ओकट्री और हांगकांग स्थित एससी लॉवी शामिल है।

DHFL को खरीदने के लिए अमेरिका की ओकट्री ने सबसे बड़ी 33 हजार करोड़ रुपए की बोली लगाई है। पहले कंपनी ने 27,800 करोड़ रुपए की बोली लगाई थी। प्रबंधन सलाहकार ईवाई की पड़ताल के मुताबिक कीमत, समय और शर्तों के लिहाज से सबसे अच्छी बोली ओकट्री की है।

लेकिन उसकी इस बोली के सामने आने के बाद पीरामल एंटरप्राइजेज ने डीएचएफएल के रिटेल पोर्टफोलियो के लिए अपनी बोली बढ़ाकर करीब 25,000 करोड़ रुपये कर दी है, अदाणी समूह ने भी केवल थोक पोर्टफोलियो और एसआरए के लिए अपनी बोली को 2,250 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 3,000 करोड़ रुपये कर दिया है।

कुछ और राशि मिलाकर लगभग पीरामल ओर अडानी की बोली ओकेट्री के बराबर आ गयी हैं। साफ है कि DHFL का पीरामल ओर अडानी के हाथ मे जाना लगभग तय है, पीरामल समूह के मालिक मुकेश अम्बानी के समधी है उनके बेटे आनंद पीरामल से ईशा अम्बानी की शादी हुई है यानी DHFL भी अडानी अम्बानी के कब्जे में चली जाएगी।

लेकिन इन चारों कंपनियों की ओर से बढ़ी हुई बोली जमा करने के बावजूद भी DHFL को कर्ज देने वालों को करीब 60 हजार करोड़ रुपए राइट ऑफ करना पड़ सकता है। DHFL की CoC ने करीब 95 हजार करोड़ रुपए की देनदारी स्वीकृत की है। यदि सबसे बड़ी बोली को भी मंजूरी दी जाती है तो कर्ज देने वालों को बाकी राशि यानी 60 हजार राइट ऑफ करनी होगी। यानी बैंकों में लाखों करोड़ो जमाकर्ताओं के 60 हजार करोड़ रुपये एक बार फिर अडानी अंबानी के काम आने वाले है।