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न्यायप्रिय लोगों का मज़ाक उड़ाकर, क्या संदेश देना चाहते हैं परेश

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मशहूर समाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी ने आतंकी भीड़ द्वारा की जा रही हत्याओं के विरोध में अपना आवार्ड लौटा दिया।
आवार्ड लौटाने पर भाजपा सांसद परेश रावल शबनम हाशमी का मजाक उड़ा रहे हैं। परेश रावल राजनीति में आने से पहले फिल्म अभिनेता थे, शायद अभी भी हैं।

उनकी एक फिल्म है ‘फिर भी दिल है हिन्दोस्तानी’ इस फिल्म में वे एक लड़की के पिता की भूमिका निभाते हैं। जिस लड़की के वे पिता होता हैं वह लड़की पढ़ लिखने के बाद एक सूबे के मुख्यमंत्री के भाई की कंपनी में जॉब के लिये इंटरव्यू देने जाती है। वह बॉस उसके साथ बलात्कार करता है और फिर उसे चलती गाड़ी से फेंक देता है, उस लड़की का पिता (परेश रावल) खून से लथपथ अपनी बेटी से मालूम करता है कि ऐसा कैसा हुआ तब वह लड़की अपने साथ हुऐ जुल्म को बयान करती है और दम तोड़ देती है। बेटी के साथ हुआ यह अत्याचार परेश रावल को इतना विचलित करता है कि वह साधारण नागरिक से सीधे कानून को अपने हाथ में ले लेता है और उस बलात्कारी के सीने को गोलियों से छलनी कर देता है।

परेश रावल ने अपने टवीट से शबनम हाशमी के अवार्ड वापस करने का कुछ यु मज़ाक़ बनाया


यह एक परेश रावल का रील लाईफ में जुल्म के खिलाफ प्रतिशोध होता है। लेकिन रियल लाईफ में वही परेश रावल उन लोगों का मजाक उड़ा रहा है जिन्होंने जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाई है।
शर्म नहीं आती ऐसे बेशर्मों को, यह जमीन भी ऐसे दौगलों के बोझ को क्यों सह रही है यह फट क्यों नहीं जाती जिसमें परेश रावल जैसे दौगले समा जायें। ऐसे धूर्त इंसान जो रील लाईफ में नायक और खलनायक दोनों की भूमिका निभाते हैं वही लोग जब रियल लाईफ में सिर्फ ओ सिर्फ विलेन की भूमिका अदा कर रहे हैं। क्या भाजपा में आने की शर्तों में कोई शर्त यह भी है कि अगर आप में मानवता है तो पहले उसका त्याग करो उसके बाद भाजपा की सदस्यता लो ? या फिर अपने आस पास घट रही अमानवीय घटनाओं का विरोध नहीं करना है ? जो भी हो परेश रावल ने शबनम हाशमी का मजाक उड़ाकर इस देश के न्यायप्रिय लोगों को यह संदेश दिया है कि वे भले ही इंसानों की लाशो पर तड़पते रहें लेकिन परेश रावल और उनकी पार्टी के लोग हर लाश पर ठहाका लगाना जानते हैं।