नज़रिया – धर्मसंसद का अधार्मिक बयान

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दिल्ली, रामलीला मैदान में आयोजित धर्म संसद ने विश्व हिन्दू परिषद का यह बयान आपत्तिजनक और आतंकवाद के वायरस से संक्रमित है। यह बयान संविधान, कानून और विधि द्वारा स्थापित न्यायपालिका को खुली चुनौती है।

रैली में कहा गया है कि

” हम हथियार उठाएंगे अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला हमारे खिलाफ हुआ । “

यह बयान अदालत की अवमानना है या नही यह तो अदालत जानें पर यदि हर व्यक्ति अदालत के निर्णय के बाद यही दृष्टिकोण और हथियार उठाने की बात करने लगेगा तो अदालतों, कानून, संविधान और सरकार की ज़रूरत ही क्या है। याद कीजिये, श्रीश्री रविशंकर ने क्या कहा था,” अयोध्या मसला पक्ष में नही आया तो देश सीरिया बन जायेगा। ” यह सीरिया वाला धर्मघोष है। क्या अब यह मान लिया जाना चाहिये कि अब, शांतिपूर्ण आपसी बातचीत औऱ अदालत के फैसले को मानने की बात समाप्त हो गयी है ?

सच तो यह है कि यह बयान एक प्रलाप और कुंठा का उद्गार है । ऐसे बयान हर चुनाव के पूर्व आते हैं। इन्हें सुनिये, मुस्कुराइये और मस्त रहिये। पर सतर्क रहिये और एक बने रहिये।

संत गोपाल दास पिछले 24 जून से,अविरल गंगा के लिये आमरण अनशन पर हैं और इस दौरान तबियत बिगड़ने पर उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा । गोपाल दास के सहयोगियों का आरोप है कि वे लापता नहीं हुए हैं बल्कि उन्हें लापता कराया गया है। कभी गंगा की सफाई, वाराणसी में पक्का महाल में तोड़े जा रहे मंदिरों और देव विग्रहों के तोड़ने के विषय, और बुलंदशहर हिंसा में मारे गये इंस्पेक्टर सुबोध कुमार सिंह पर वीएचपी और संघ परिवार को बोलते, आंदोलन करते देखा सुना है आपने ? कोईउदाहरण मिले तो साझा कीजियेगा।

सच तो यह है कि, इन्हें न हिन्दू समाज से मतलब हैं, न भारत से, न राम से, न राम मंदिर से, औऱ नसनातन धर्म के मूल्यों से। ये भाजपा केलिए घृणा की फसल तैयार करते हैं, चुनिंदा पूंजीपतियों की मार्केटिंग करते हैं और गिरोहबंद पूंजीवाद समर्थक सरकार बनवाते हैं, और भारत को खोखला करते हैं।

पूर्व आईपीएस विजयशंकर सिंह