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नरगिस पहली अभिनेत्री थीं,जिन्हें राष्ट्रीय फ़िल्म पुरुस्कार से नवाजा गया था

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आज बॉलीवुड की महान अदाकारा नरगिस की 37 वीं पुण्यतिथि है.हिंदी सिनेमा की बेहतरीन फिल्मों में से एक ‘मदर इंडिया’ का नाम सुनते ही लोगों के मनमस्तिष्क में सबसे पहला चेहरा नरगिस का ही आता है.कहा जाता है कि अगर आपने ‘मदर इंडिया‘ नहीं देखी तो हिंदी फिल्में नहीं देखी. उस वक़्त इस फिल्म को ऑस्कर के लिए भी नोमिनेट किया गया था.
एक जून 1929 को कलकत्ता में जन्मी कनीज फातिमा राशिद उर्फ नरगिस के घर में मां जद्दन बाई के अभिनेत्री और फिल्म निर्माता होने के कारण फिल्मी माहौल था. इसके बावजूद बचपन में नरगिस की अभिनय में कोई दिलचस्पी नहीं थी.उनकी तमन्ना डाक्टर बनने की थी जबकि उनकी मां चाहती थी कि वह अभिनेत्री बनें.
एक दिन उनकी मां ने उनसे स्क्रीन टेस्ट के लिए फिल्म निर्माता एवं निर्देशक महबूब खान के पास जाने को कहा.जैसा कि नरगिस एक्टिंग फील्ड में जाने में बिल्कुल भी इंट्रेस्टेड नहीं थीं इसलिए उन्होंने सोचा कि यदि वह स्क्रीन टेस्ट में फेल हो जाती हैं तो उन्हें एक्ट्रेस नहीं बनना पड़ेगा.
स्क्रीन टेस्ट के दौरान नरगिस ने अनमने ढंग से संवाद बोले और सोचा कि महबूब खान उन्हें स्क्रीन टेस्ट में फेल कर देंगे लेकिन उनका यह आईडिया गलत साबित हुआ और महबूब खान ने 1948 में अपनी फिल्म तकदीर के लिए उन्हें बतौर नायिका उन्हें चुन लिया.
वर्ष 1945 में एक बार फिर महबूब खान द्वारा ही निर्मित फिल्म हुमायूं में नरगिस को काम करने का मौका मिला.वर्ष 1949 नरगिस के सिने कैरियर में अहम पड़ाव साबित हुआ.इस वर्ष उनकी बरसात और अंदाज जैसी सफल फिल्में प्रदर्शित हुई.लव ट्रायंगल बनी फिल्म अंदाज में उनके साथ दिलीप कुमार और राजकपूर जैसे नामी अभिनेता थे.
इसके बावजूद भी नरगिस दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने में सफल रही.वर्ष 1950 से 1954 तक का वक्त नरगिस के सिने कैरियर के लिए कुछ खास अच्छा साबित नही हुआ. इस दौरान उनकी शीशा, बेवफा, आशियाना, अंबर, अनहोनी, शिकस्त, पापी, धुन, अंगारे जैसी कई फिल्में बॉक्स ऑफ़िस पर असफल हो गई.
साल 1955 में उनकी राजकपूर के साथ श्री 420 फिल्म प्रदर्शित हुई जिसकी कामयाबी के बाद वह एक बार फिर से शोहरत की बुंलदियों पर जा पहुंची. नरगिस के सिने कैरियर में उनकी जोड़ी राज कपूर के साथ बेहद पसंद की जाती थी.राज कपूर और नरगिस ने सबसे पहले फिल्म वर्ष 1948 में प्रदर्शित फिल्म आग में एक साथ अभिनय किया था.
इसके बाद नरगिस ने राजकपूर के साथ बरसात, अंदाज, जान-पहचान, प्यार, आवारा, अनहोनी, आशियाना, आह, धुन, पापी, श्री 420, जागते रहो(गेस्ट अपीयरेंस), चोरी चोरी जैसी कई फिल्मों में काम किया. वर्ष 1956 में प्रदर्शित फिल्म चोरी चोरी नरगिस और राजकपूर की जोड़ी वाली अंतिम फिल्म थी.दोनों के बीच अफेयर की बात कही जाती थी.
वर्ष 1957 में महबूब खान की फिल्म मदर इंडिया ने नरगिस के सिने कैरियर के साथ ही व्यक्तिगत जीवन में भी बहुत महत्वपूर्ण भूमिका अदा की.इस फिल्म में नरगिस ने सुनील दत्त की मां का किरदार निभाया थामदर इंडिया की शूटिंग के दौरान सेट पर आग लग गई.सुनील दत्त ने अपनी जान पर खेलकर नरगिस को बचाया और दोनों में प्यार हो गया.
इस घटना के बाद नरगिस ने कहा था कि पुरानी नरगिस की मौत हो गई है और नई नरगिस का जन्म हुआ है. नर्गिस ने अपनी उम्र और हैसियत की परवाह किए बिना सुनील दत्त को अपना जीवन साथी चुन लिया.मार्च 1958 में दोनों की शादी हो गई.दोनों के तीन बच्चे हुए, संजय, प्रिया और नम्रता.
अपनी किताब ‘द ट्रू लव स्टोरी ऑफ़ नरगिस एंड सुनील दत्त’ में नरगिस कहती हैं कि राजकपूर से अलग होने के बाद वो आत्महत्या करने के बारे में सोचने लगी थीं. लेकिन, उन्हें सुनील दत्त मिल गए. जिन्होंने उन्हें संभाल लिया.नरगिस कहती हैं कि उन्होंने अपने और राज कपूर के बारे में सुनील दत्त को सब-कुछ बता दिया था. सुनील दत्त पर नरगिस को काफी भरोसा था और दुनिया जानती है यह जोड़ी जिंदगी भर साथ रही.
शादी के बाद नरगिस ने फिल्मों में काम करना कुछ कम कर दिया.करीब 10 साल के बाद अपने भाई अनवर हुसैन और अख्तर हुसैन के कहने पर नरगिस 1967 में फिल्म रात और दिन में काम किया. इस फिल्म के लिए उन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया.यह पहला मौका था जब किसी अभिनेत्री को राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया था.
नरगिस ने अपने फिल्मी करियर में लगभग 55 फिल्मों में काम किया.नरगिस को अपने फिल्मी  करियर में मान-सम्मान बहुत मिला.1958 में ‘मदर इंडिया’ और 1968 में ‘रात और दिन’ के लिए उन्हें  सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री का पुरस्कार मिला.सन 1958 में ही उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया.उन्हें राज्यसभा का सदस्य भी बनाया गया.
नरगिस एक अभिनेत्री के साथ साथ एक समाज सेविका भी थीं. उन्होंने असहाय बच्चों के लिए काफी काम किया.उन्होंने सुनील दत्त के साथ मिलकर ‘अजंता कला सांस्कृतिक दल’ बनाया जिसमें तब के नामी कलाकार-गायक सरहदों पर जा कर तैनात सैनिकों का हौसला बढ़ाते थे और उनका मनोरंजन करते थे. कैंसर जैसी गम्भीर बीमारी से जूझते हुए नरगिस कोमा में चली गयीं और आखिरकार 3 मई 1981 को मुंबई में उनका निधन हो गया.जिस दिन नरगिस की मौत हुई उसके एक सप्ताह पहले ही उनके बेटे संजय दत्त की पहली फ़िल्म ‘रॉकी’ रिलीज़ हुई थी.
जल्द ही संजय दत्त के जीवन पर एक फ़िल्म ‘संजू’ रिलीज़ होने वाली है.इस फ़िल्म में जहाँ संजय दत्त के किरदार को रणबीर कपूर ने निभाया है,वहीं मनीषा कोइराला नरगिस की भूमिका में हैं.